श्रीनगर: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार (27 जनवरी) को एक वरिष्ठ अधिकारी का तबादला कर दिया, जिन्होंने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम हेल्थ रिसॉर्ट में अवैध निर्माण और पर्यावरण संबंधी उल्लंघन का मुद्दा उठाया था.
एक आदेश में सामान्य प्रशासन विभाग ने पहलगाम विकास प्राधिकरण (पीडीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में कार्यरत जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) अधिकारी मसर्रत हाशिम का तबादला केंद्र शासित प्रदेश के श्रम विभाग में कर दिया.
अधिकारियों के अनुसार, यह आदेश हाशिम द्वारा दक्षिण कश्मीर के रिसॉर्ट शहर में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण पर चिंता व्यक्त करने के कुछ दिनों बाद आया है, जहां हाल के महीनों और वर्षों में बिना अनुमति के लगभग 300 अवैध संरचनाएं बनाई गई हैं, जिनमें होटल और लॉज भी शामिल हैं, जिनमें से कुछ पर्यावरण मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन करते हैं.
सरकार को लिखे पत्र में हाशिम ने यह भी बताया था कि पहलगाम में दर्जनों अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का नवीनीकरण या विस्तार उनके मालिकों द्वारा भवन संचालन नियंत्रण प्राधिकरण (बीओसीए) के भवन मानदंडों का पालन किए बिना किया गया था.
पीडीए के सीईओ की अध्यक्षता वाली स्वायत्त संस्था, बीओसीए नोडल प्राधिकरण है जो पहलगाम में नए निर्माण और नवीनीकरण के लिए अनुमति प्रदान करती है.
अधिकारियों के अनुसार, कथित उल्लंघनों के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट पीडीए द्वारा इस महीने की शुरुआत में सरकार को भेजी गई थी, जबकि उल्लंघनकर्ताओं को कारण बताने और निर्माण कार्य तुरंत रोकने को भी कहा गया था.
ग्रेटर कश्मीर की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाशिम ने उमर अब्दुल्ला सरकार से इन निर्माण कार्यों को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने को कहा था, क्योंकि इनसे ‘पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच सकता है और स्थानीय लोगों द्वारा दशकों से किए जा रहे संरक्षण प्रयास बर्बाद हो सकते हैं.’
कश्मीर में एक सिविल सोसाइटी फोरम ने भी अब्दुल्ला सरकार से पहलगाम में अवैध निर्माण रोकने का आग्रह किया था.
पूर्व यूनियन नेता और जम्मू-कश्मीर सिविल सोसाइटी फोरम (जेकेसीएसएफ) के अध्यक्ष अब्दुल कयूम वानी ने एक बयान में कहा, ‘पहलगाम को कंक्रीट के जंगल में बदलने से न केवल इसकी सुंदरता नष्ट होगी, बल्कि पर्यावरण और पर्यटन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा होगा.’
हालांकि, सरकार ने सोमवार को सीईओ का तबादला कर दिया, जिससे संदेह और आरोप पैदा हो गए कि पहलगाम होटल व्यवसायियों की लॉबी – जिनमें से कुछ सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सरकार के करीबी हैं – और दक्षिण कश्मीर के रिसॉर्ट में निर्माण माफिया, उनके अप्रत्याशित निष्कासन के लिए जिम्मेदार हैं.
2020 में पीडीए के सीईओ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हाशिम ने बिल्डर माफिया द्वारा पहलगाम में अवैध निर्माण और पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन को रोकने में एक प्रभावशाली भूमिका निभाई थी, जो होटल व्यवसायियों को पसंद नहीं आया था, जिसके बाद उन्हें लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रशासन द्वारा स्थानांतरित कर दिया गया था.
पिछले वर्ष 9 दिसंबर को अब्दुल्ला सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद किए गए पहले बड़े फेरबदल में उन्हें पीडीए के सीईओ के पद पर वापस लाया गया था.
कई लोगों ने पहलगाम में उनकी वापसी को दक्षिण कश्मीर के रिसॉर्ट में पर्यावरणीय क्रूरता को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया था, जो पारिस्थितिकी रूप से नाजुक लिद्दर घाटी के मध्य में स्थित है.
कार्यभार संभालने के बाद पीडीए अधिकारियों के साथ बैठक में हाशिम ने पदाधिकारियों से कहा कि उनके पिछले कार्यकाल के दौरान पहलगाम में निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा उन्हें हटाने के लिए अभियान चलाया गया था, लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा.
द वायर द्वारा प्राप्त एक वीडियो के अनुसार, उन्होंने पीडीए अधिकारियों से कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक दलों का सम्मान करता हूं. मैं दूसरों की अपेक्षा गरीब लोगों का समर्थन करूंगा. लेकिन मैं उल्लंघनों पर चुप नहीं रहूंगा. अगर कोई समस्या आती है तो मैं आपके साथ खड़ा रहूंगा और मुझे उम्मीद है कि आप भी ऐसा ही करेंगे.’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता और पुलवामा के विधायक वहीद पारा ने अधिकारी को हटाने के लिए अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जेकेएएस अधिकारियों का तबादला मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आता है.
युवा पीडीपी के अध्यक्ष पारा ने कहा, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ने खुद को भाजपा की मूल विचारधारा के हवाले कर दिया है. उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में केंद्र शासित प्रदेश की सरकार भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है, जिसका उद्देश्य हमारे कृषि क्षेत्रों को छीनना और हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना है.’
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार दोनों ने पहलगाम में अमरनाथ गुफा तक रेलवे लाइन और चार लेन वाली सड़क सहित कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की घोषणा की है, जिनसे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.
पिछले सप्ताह वन विभाग ने पहलगाम में बैसरन घाटी तक रोपवे बनाने के लिए जंगल में 700-800 पेड़ों को गिराने की जम्मू-कश्मीर सरकार की योजना पर आपत्ति जताई थी.
2023 में द वायर ने रिपोर्ट किया था कि कैसे पीडीए के पूर्व सीईओ सैयद सज्जाद कादरी को लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के प्रशासन द्वारा हटा दिया गया और लद्दाख स्थानांतरित कर दिया गया, जब उन्होंने पहलगाम में एक निर्माणाधीन होटल द्वारा कथित उल्लंघनों को चिह्नित किया था.
2021 में उच्च न्यायालय ने पहलगाम और उसके आसपास के क्षेत्रों के संरक्षण की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रशासन को अनंतनाग जिले में सभी अवैध निर्माणों को रोकने का निर्देश दिया था.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)