नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लंबित आपराधिक मामलों के निपटान के लिए उच्च न्यायालयों में एड हॉक न्यायाधीशों की नियुक्ति की अपनी पूर्व शर्त में ढील दी और कहा कि उच्च न्यायालयों में रिक्तियां स्वीकृत पदों के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई तथा जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि एड हॉक न्यायाधीश उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में बैठेंगे तथा लंबित आपराधिक अपीलों पर फैसला करेंगे.
अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों के ढेर से उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए’ संविधान के अनुच्छेद 224 के तहत एडहॉक न्यायाधीशों की नियुक्ति की अनुमति देते हुए निर्देश जारी किए.
अनुच्छेद 224ए उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है.
इसमें कहा गया है, ‘किसी राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से, किसी ऐसे व्यक्ति से, जो उस न्यायालय या किसी अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद पर रह चुका है, उस राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बैठने और कार्य करने का अनुरोध कर सकता है और ऐसा अनुरोध किया गया प्रत्येक व्यक्ति, इस प्रकार बैठने और कार्य करने के दौरान ऐसे भत्तों का हकदार होगा, जैसा कि राष्ट्रपति आदेश द्वारा निर्धारित कर सकते हैं और उसके पास उस उच्च न्यायालय के सभी क्षेत्राधिकार, शक्तियां और विशेषाधिकार होंगे, लेकिन उसे अन्यथा उस उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नहीं माना जाएगा.’
अप्रैल 2021 के आदेश में कहा गया था कि अनुच्छेद 224ए का सहारा लेने की जरूरत केवल तभी नहीं होगी जब रिक्तियां 20 प्रतिशत से अधिक हो जाएं. इसमें यह भी कहा गया था कि ‘फिलहाल उच्च न्यायालय की क्षमता और न्यायालय के सामने आने वाली समस्याओं के आधार पर उच्च न्यायालय में एड हॉक न्यायाधीशों की संख्या दो से पांच के बीच होनी चाहिए.’
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आदेश दिया कि ‘प्रत्येक हाईकोर्ट अनुच्छेद 224ए का सहारा लेकर दो से पांच के बीच एड हॉक जजों की नियुक्ति कर सकता है, लेकिन स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं.’ इसने कहा कि अप्रैल 2021 के फैसले के पैराग्राफ 43, 54 और 55 में दिए गए उसके निर्देश, जिसमें 20 प्रतिशत रिक्तियों की आवश्यकता के बारे में बात की गई थी, स्थगित रखे जाएं.
अप्रैल 2021 के फैसले में हाईकोर्ट को सिर्फ़ एड हॉक जजों वाली डिवीजन बेंच बनाने की अनुमति दी गई थी ‘क्योंकि ये पुराने मामले हैं जिन पर उन्हें सुनवाई करनी है.’
हालांकि, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘एड हॉक जज हाईकोर्ट के मौजूदा जज की अध्यक्षता वाली बेंच में बैठेंगे और लंबित आपराधिक अपीलों पर फैसला लेंगे.’
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रक्रिया ज्ञापन, जो अनुच्छेद 224ए के तहत नियुक्ति के लिए प्रक्रिया निर्धारित करता है, लागू किया जाएगा.