देहरादून: मुस्लिम दुकानदारों की बेदख़ली, हमला करने के आरोप में दक्षिणपंथी संगठन पर केस दर्ज

देहरादून पुलिस ने 'काली सेना' नामक संगठन के पांच सदस्यों पर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने और स्थानीय लोगों से मुस्लिम किराएदारों को बेदखल करने और दुकानदारों पर हमला करने को लेकर मामला दर्ज किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Flickr/John S. Quarterman CC BY 2.0)

नई दिल्ली: उत्तराखंड के देहरादून में पुलिस ने रविवार (9 फरवरी) को बताया कि एक दक्षिणपंथी संगठन ‘काली सेना’ के कम से कम पांच सदस्यों पर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने और स्थानीय लोगों से मुस्लिम किराएदारों को बेदखल करने का आग्रह करने और दुकानदारों पर हमला करने का मामला दर्ज किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, काली सेना के सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसार, यह घटना 4 फरवरी को हुई जब 50-60 लोगों के एक समूह ने एक दिन पहले एक नाबालिग के यौन शोषण के विरोध में सुबह करीब 11 बजे नाथूवाला इलाके में एक सभा की.

एफआईआर में कहा गया है, ‘इस सभा के दौरान उन्होंने लोगों को भड़काया, (यौन शोषण के मामले को) सांप्रदायिक रंग दिया और भड़काऊ भाषण दिए, स्थानीय लोगों से इलाके में रहने वाले या व्यवसाय चलाने वाले अन्य समुदायों के किरायेदारों पर हमला करने और उन्हें बेदखल करने का आग्रह किया. इसके बाद उन्होंने नाथूवाला से डोनाली तक मार्च किया और अन्य समुदायों के व्यक्तियों के स्वामित्व वाली दुकानों के साइनबोर्ड और बैनर तोड़ दिए.’

5 फरवरी को शाम करीब 4.30 बजे संगठन के सदस्यों ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर डोनाली तिराहे पर एक और सार्वजनिक सभा आयोजित की, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें भड़काया.

बालावाला चौकी के प्रभारी सब-इंस्पेक्टर संजय रावत की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है, ‘उन्होंने मकान मालिकों और दुकान मालिकों को दूसरे समुदायों के किराएदारों को तुरंत बेदखल करने की धमकी दी और कहा कि अगर सात दिनों के भीतर ऐसा नहीं किया गया तो वे उन्हें जबरन हटा देंगे.’

उसी दिन बाद में उन्होंने लोअर तुनवाला में प्राथमिक विद्यालय के पास साप्ताहिक बाज़ार से मुस्लिम विक्रेताओं को जबरन बाहर निकाल दिया. उन्होंने कथित तौर पर बाज़ार को ‘सनातनी’ घोषित कर दिया.

एफआईआर में कहा गया है, ‘उन्होंने अन्य समुदायों के विक्रेताओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया और मारपीट की, उन्हें भविष्य में दुकानें न लगाने की चेतावनी दी और वापस लौटने पर जान से मारने की धमकी दी… इसके अलावा, कई वीडियो बनाए गए जिनमें भड़काऊ भाषण रिकॉर्ड किए गए.’

इसमें कहा गया है कि भड़काऊ भाषणों की वजह से इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ.

एफआईआर में भूपेश जोशी और उनके साथियों वैभव पंवार, अजय कैप्टन, आचार्य विपुल बंगवाल और सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी राजेंद्र सिंह नेगी तथा अन्य को आरोपी बनाया गया है.