किश्तवाड़: मुफ़्त बिजली की मांग का आंदोलन तेज़ होने के बीच सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों पर रोक

किश्तवाड़ में मुफ़्त बिजली की मांग को लेकर आंदोलन तेज़ होने के साथ ही प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन और पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया है. विपक्ष ने इसे असहमति को अपराध बनाने और वैध मांग पर दमन की कोशिश क़रार दिया है.

आने वाले वर्षों में किश्तवाड़ उत्तर भारत के लिए एक ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरने वाला है. (फोटो: Google Earth)

श्रीनगर: किश्तवाड़ में मुफ्त बिजली की मांग को लेकर आंदोलन तेज होने के साथ ही प्रशासन ने सोमवार (10 फरवरी) को सार्वजनिक शांति के लिए खतरे की आशंका के बीच विरोध प्रदर्शन और पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर एकतरफा प्रतिबंध लगा दिया.

विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने दो महीने तक लागू रहने वाले इस आदेश को किश्तवाड़ जिले में लोगों की ‘असहमति को अपराध बनाने’ और ‘वैध मांग पर दमन’ का प्रयास करार दिया है. इसने प्रशासन पर ‘सत्ता के खुलेआम दुरुपयोग’ का भी आरोप लगाया.

यह आदेश किश्तवाड़ के कुछ निवासियों द्वारा मुफ्त बिजली की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में आया है.

उनके साथ सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद किचलू के बेटे शाहान सज्जाद, पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व सांसद फिरदौस टाक, स्थानीय कांग्रेस नेता और अन्य लोग भी शामिल हुए.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत आदेश में किश्तवाड़ के जिलाधिकारी राजेश कुमार शवन ने ‘पांच या पांच से अधिक लोगों के अनधिकृत जमावड़े’ और ‘सार्वजनिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन या धरना’ पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया.

आदेश में कहा गया है, ‘उल्लंघन करने वालों पर बीएनएसएस की धारा 223 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.’

धारा 163 जिला मजिस्ट्रेट, सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देती है, जब ‘मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरा या सार्वजनिक शांति में बाधा, दंगा या मारपीट के पर्याप्त आधार हों. बीएनएसएस की धारा 223, लोक सेवकों के विरुद्ध शिकायतों सहित शिकायतों की जांच करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए मजिस्ट्रेट की शक्तियों से संबंधित है.

19 जनवरी को फेसबुक ‘लाइव’ के जरिये विरोध प्रदर्शन शुरू करने वाले स्थानीय कार्यकर्ता वसीम अकरम भट ने कहा कि उन्होंने प्रसारण के दौरान ‘हमारी बिजली हमको दो, मुफ्त दो, मुफ्त दो’ का पोस्टर दिखाया था और कहा था कि वह अकेले विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में लोग बड़ी संख्या में उनके साथ शामिल होंगे.

भट ने कहा, ‘यह नारा हिट हो गया. मुझे बहुत ज़्यादा समर्थन की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जब मैंने 26 जनवरी को बाहर निकलकर पहला विरोध प्रदर्शन किया तो किश्तवाड़ शहर के चोगान मैदान में सैकड़ों प्रदर्शनकारी आए.’

संवेदनशील जम्मू जिले में, जहां अतीत में मौखिक विवाद घातक सांप्रदायिक दंगों में बदल चुके हैं, नागरिक समाज के प्रमुख सदस्यों, व्यापारियों, धार्मिक हस्तियों और यहां तक ​​कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के कुछ सरकारी अधिकारियों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया है.

किश्तवाड़ से भाजपा विधायक शगुन परिहार ने भी किश्तवाड़ जिले के लिए मुफ्त बिजली के पक्ष में बोलते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जम्मू-कश्मीर के हर घर के लिए 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा एक धोखा साबित हुआ है.

रविवार (9 फरवरी) को मुफ्त बिजली की मांग को लेकर किश्तवाड़ शहर के शहीदी पार्क में विरोध प्रदर्शन किया गया, जो चार प्रदर्शनकारियों – दो हिंदुओं और दो मुसलमानों – का दफन स्थल है, जो 13 सितंबर, 1974 को मारे गए थे, जब पुलिस ने जिले में एक कॉलेज की स्थापना की मांग कर रहे आंदोलनकारियों पर कथित तौर पर गोलीबारी की थी.

हर साल किश्तवाड़ के निवासी पार्क में मारे गए चार लोगों की कब्रों पर जाकर 13 सितंबर को ‘शहीदी दिवस’ के रूप में मनाते हैं.

भट ने कहा, ‘अब तक हमने तीन बार विरोध प्रदर्शन किया है, सभी रविवार को.’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे पर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा है.

द वायर ने डीएम से इस बारे में टिप्पणी के लिए संपर्क किया है. उनका जवाब मिलने पर रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.

कहा जा रहा है कि आने वाले वर्षों में किश्तवाड़ उत्तर भारत के लिए एक ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरने वाला है. पहाड़ी जिले में चेनाब नदी पर 6,000 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाली कम से कम सात रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं, जिन्हें आने वाले वर्षों में चालू किया जाना है. इनमें से कुछ परियोजनाओं ने पहले ही बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है.

भट ने कहा, ‘किश्तवाड़ एक बिजली अधिशेष (सरप्लस) जिला है, फिर भी हम अंधकार युग में रह रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मेरा उद्देश्य किश्तवाड़ के लोगों को एक साथ लाना था, लेकिन प्रशासन हमें तोड़ने की कोशिश कर रहा है. हम बिजली परियोजनाओं के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनका कुछ लाभ किश्तवाड़ के विकास के लिए मिलना चाहिए. मुफ़्त बिजली कम से कम वह चीज़ है जो सरकार हमें दे सकती है.’

हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट के आदेश में कहा गया है कि किश्तवाड़ के मुख्य चौक पर ‘बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के’ लोगों की ‘अनधिकृत सभा’ से ‘किसी भी अप्रिय घटना के घटित होने की उचित आशंका पैदा हो गई है, जो सार्वजनिक अशांति का कारण बन सकती है और सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है.’

आदेश में कहा गया है कि ‘मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति और आगामी धार्मिक त्योहारों जैसे महाशिवरात्रि, रमजान पाक़, ईद-उल-फितर आदि के मद्देनजर सार्वजनिक अव्यवस्था या खतरों को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है, जो सार्वजनिक शांति और सौहार्द को खतरा पहुंचा सकते हैं.’

वरिष्ठ पीडीपी नेता टाक ने इस कार्रवाई के लिए प्रशासन की आलोचना की.

उन्होंने कहा, ‘लोग केवल जलविद्युत परियोजनाओं में अपने उचित हिस्से के लिए वैध मांग उठा रहे हैं. उनकी चिंताओं को दूर करने के बजाय प्रशासन ने असहमति को आपराधिक बनाने का विकल्प चुना है, जो सत्ता का खुला दुरुपयोग है.’

टाक ने कहा कि निर्वाचित सरकार के सत्ता में होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर के लोग अंतहीन कष्ट झेल रहे हैं.

उन्होंने द वायर से कहा, ‘बड़ी उम्मीदों और अपेक्षाओं के साथ उन्होंने नौकरशाही शासन से मुक्ति पाने के लिए पूर्ण बहुमत वाली पार्टी को चुना था. हालांकि, अब ऐसा लगता है कि हमारे पास एक ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार है, जिसमें हर इंजन लेफ्टिनेंट गवर्नर, मुख्यमंत्री और नौकरशाही द्वारा संचालित है.’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)