तिरुपति लड्डू विवाद: रिपोर्ट में सामने आया- ब्लैकलिस्टेड कंपनी ने प्रॉक्सी के ज़रिये मिलावटी घी भेजा

तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू पर हुए विवाद के बाद अब एसआईटी की रिमांड रिपोर्ट में सामने आया है कि रुड़की की एक ब्लैकलिस्टेड भोले बाबा डेयरी ने प्रॉक्सी कंपनियों के ज़रिये मिलावटी घी की आपूर्ति की. 2022 में इस कंपनी को टीटीडी ने अयोग्य घोषित किया था.

चंद्रबाबू नायडू और सोशल मीडिया पर वायरल मंदिर के लड्डू की एक तस्वीर.

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप दिए जाने वाला लड्डू पिछले साल विवादों घिर गया था. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि ‘पिछली सरकार के दौरान तिरुमला लड्डू को बनाने में शुद्ध घी की बजाय जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था.’

अब इंडियन एक्सप्रेस ने खुलासा किया है कि एक फर्म, जिसे टेंडर प्रक्रिया से अयोग्य घोषित कर और ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, उसने कथित रूप से प्रॉक्सी कंपनियों के माध्यम से तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर को मिलावटी घी की आपूर्ति की थी.

अख़बार ने यह जानकारी उस एसआईटी (विशेष जांच दल) की रिमांड रिपोर्ट के हवाले से दी है, जिसे लड्डू में ‘मिलावट’ की जांच के लिए बनाया गया था. रिपोर्ट को स्थानीय अदालत में दाखिल किया गया था और इसमें बताया गया कि उत्तराखंड के रुड़की स्थित भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी प्रॉक्सी कंपनियों – वैष्णवी डेयरी और एआर डेयरी– के माध्यम से घी की आपूर्ति की, हालांकि इसे 2022 में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था.

बताया गया है कि टीटीडी लड्डू प्रसादम बनाने के लिए हर दिन 15,000 किलोग्राम घी का उपयोग करता है.

रविवार (9 फरवरी) को दाखिल इस रिमांड रिपोर्ट में चार आरोपियों को नामजद किया गया है – भोले बाबा डेयरी के पूर्व निदेशक पोमिल जैन और बिपिन जैन, वैष्णवी डेयरी के सीईओ अपूर्व विनय कांत चावड़ा, और एआर डेयरी के एमडी राजू राजशेखरन.

रिपोर्ट के अनुसार, भोले बाबा डेयरी ने 2019 में टीटीडी को 291 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से घी की आपूर्ति शुरू की थी. 2022 तक यह आपूर्ति जारी रही, लेकिन टीटीडी ने उनके उत्पादन प्रक्रिया का निरीक्षण किया और इसे ‘असंतोषजनक’ पाया, जिसके चलते उन्हें टेंडर प्रक्रिया से अयोग्य घोषित कर दिया गया.

हालांकि, टीटीडी ने कंपनी की दो प्रॉक्सी कंपनियों से घी खरीदना जारी रखा. वैष्णवी डेयरी ने 2020 में टेंडर जीता, जबकि एआर डेयरी ने मार्च 2024 में दस्तावेज़ों की कथित फर्जीवाड़े से टेंडर हासिल किया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भोले बाबा डेयरी ने अपने प्रॉक्सियों की टेंडर प्रक्रिया में मदद की और दस्तावेज़ों को फर्जी तरीके से तैयार करने में सहयोग किया. टेंडर के मुताबिक, एआर डेयरी को घी का उत्पादन और आपूर्ति करनी थी, लेकिन उसने वैष्णवी डेयरी से घी खरीदा, जो वास्तव में भोले बाबा डेयरी से इसे प्राप्त कर रही थी.

रिपोर्ट में दावा किया गया कि एआर डेयरी ने एगमार्क मानक के घी के लिए दस्तावेज़ तैयार किए और कथित रूप से मिलावटी घी की आपूर्ति की. तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) सरकार ने पिछले साल दावा किया था कि प्रसाद के रूप में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी की मिलावट की गई थी.

इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित की गई थी, जिसमें दो सीबीआई अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारी और एक खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का अधिकारी शामिल है.

यह मामला आंध्र प्रदेश में राजनीतिक विवाद का कारण बना, जहां डीटीपी ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर ‘तिरुपति के सबसे पवित्र प्रसाद के साथ खिलवाड़ करने’ का आरोप लगाया था. रेड्डी 2019 से 2024 तक मुख्यमंत्री थे.