2024 में नफ़रती भाषणों में 74% की बढ़ोतरी, भाजपा और उसके सहयोगी दल सबसे आगे: रिपोर्ट

इंडिया हेट लैब की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 242 हेट स्पीच की घटनाएं दर्ज की गईं. ये 2023 की तुलना में 132% की वृद्धि है. वहीं, नफ़रती भाषण देने वाले टॉप दस लोगों में वरिष्ठ भाजपा नेताओं- योगी आदित्यनाथ, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नाम शामिल हैं.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: भारत में बीते साल 2024 में नफरत फैलाने वाले भाषणों (हेट स्पीच) में 74% की वृद्धि देखी गई है. इंडिया हेट लैब की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल 1,000 से अधिक नफरती भाषण दिए गए, जबकि 2023 में ऐसी 688 घटनाएं दर्ज की गईं.

रिपोर्ट के अनुसार, शोध समूह इंडिया हेट लैब ने सोमवार (10 फरवरी) को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि अल्पसंख्यक विरोधी नफरती भाषण के 1,165 दर्ज मामलों में से 98.5% में या तो स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय या उनके साथ ईसाई समुदाय को लक्षित किया है. वहीं लगभग 10% में या तो स्पष्ट रूप से ईसाइयों को या उनके साथ मुसलमानों को निशाना बनाया गया है.

हेट स्पीच की लगभग 80% घटनाएं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा शासित राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में हुईं, जहां पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अधीन है. इसके अलावा विपक्ष शासित राज्यों में पिछले साल 20% हेट स्पीच की घटनाएं दर्ज की गईं.

पिछले साल देश भर में नफरती भाषण की 47% घटनाएं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हुईं. इन सभी जगहों पर भाजपा या उसके सहयोगी दलों का शासन है.

2024 में इनमें से लगभग 30% या 340 घटनाओं के लिए अकेले भाजपा जिम्मेदार थी,जो देशभर में नफरत फैलाने वाले भाषण कार्यक्रमों की सबसे बड़ी आयोजक पार्टी बन गई और 2023 में 588% की इसमें वृद्धि दर्ज की गई, जब पार्टी द्वारा 50 ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए गए.

इसके बाद विश्व हिंदू परिषद और इसकी युवा शाखा, बजरंग दल नफरती भाषण कार्यक्रमों के दूसरे सबसे सक्रिय आयोजक हैं, जो पिछले साल 279 ऐसी सभाओं के लिए जिम्मेदार हैं. ये 2023 से 29.16% की वृद्धि है.

‘मोदी का बांसवाड़ा भाषण एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ’

रिपोर्ट में ये भी पाया गया कि भारत में लोकसभा चुनाव अभियान के चरम के साथ ही मई 2024 के आसपास ऐसी घटनाओं में भी तेजी से बढ़ोत्तरी देखी गई.

रिपोर्ट में 21 अप्रैल 2024 को राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष रूप से परेशान करने वाले भाषण का उल्लेख किया गया है, जहां उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ ‘रूढ़िवादी’ बातें कहीं और अपने ही देश के नागरिकों के एक वर्ग को ‘घुसपैठिए’ और ‘ज्यादा बच्चे करने वाले’ जैसे शब्दों से संबोधित किया.

रिपोर्ट में पाया गया कि बांसवाड़ा भाषण से पहले 16 मार्च से 21 अप्रैल के बीच 61 हेट स्पीच की घटनाएं हुईं. हालांकि, मोदी के भाषण के बाद ऐसी घटनाओं में तीन गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई.

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र करती है कि कैसे चुनाव के दौरान मुस्लिम विरोधी नफरत को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया.

हेट स्पीच में भाजपा सबसे आगे

रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 40% या 462 नफरत भरे भाषण राजनेताओं द्वारा दिए गए, जिनमें से 452 के लिए भाजपा नेता जिम्मेदार थे. साल 2023 की तुलना में, जब भाजपा नेताओं ने 100 नफरत भरे भाषण दिए, यह 352% की वृद्धि दर्शाता है.

नफरती भाषण देने वाले दस सबसे अधिक लोगों में से छह राजनेता थे, जिनमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल थे. आदित्यनाथ ने 86 (7.4%) नफरत भरे भाषण दिए, जबकि मोदी ने 63, जो 2024 में ऐसे सभी भाषणों का 5.7% है.

आदित्यनाथ के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 242 हेट स्पीच की घटनाएं दर्ज की गईं. ये 2023 की तुलना में 132% की वृद्धि है. इसके बाद महाराष्ट्र में 210 ऐसी घटनाएं दर्ज की गईं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में भी 2024 में भाजपा, विहिप और बजरंग दल सहित अन्य की गतिविधियों के कारण हेट स्पीच की घटनाओं में वृद्धि देखी गई.

नफरत के मंच

2024 में 1,165 हेट स्पीच की घटनाओं में से 995 को पहली बार फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स सहित सोशल मीडिया मंचों पर साझा या लाइवस्ट्रीम किया गया था.

नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए फेसबुक अग्रणी सोशल मीडिया मंच था और इस पर 495 ऐसी घटनाएं पोस्ट की गई थीं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘6 फरवरी, 2025 तक, रिपोर्ट किए गए वीडियो में से केवल 3 को फेसबुक द्वारा हटाया गया है, जबकि शेष 98.4% सामुदायिक मानकों के स्पष्ट उल्लंघन के बावजूद विभिन्न मंचों पर बने हुए हैं.’

रिपोर्ट में ‘खतरनाक भाषण’ (dangerous speech) को लेकर भी चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. इस तरह के भाषण को हेट लैब ने घृणास्पद भाषण के एक उपसमूह वर्गीकृत किया है, ऐसे भाषण जो ‘यह जोखिम बढ़ा सकते हैं कि इसके दर्शक किसी अन्य समूह के सदस्यों के खिलाफ हिंसा को नजरअंदाज करेंगे या उसमें भाग लेंगे.’

खतरनाक भाषण कार्यक्रमों के लिए भी सोशल मीडिया मंचों में फेसबुक पहली पसंद थी. हिंसा के लिए स्पष्ट आह्वान सहित खतरनाक भाषण के 259 रिकॉर्ड किए गए उदाहरणों में से 219 को पहली बार सोशल मीडिया पर साझा या लाइवस्ट्रीम किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे भाषणों के मामले फेसबुक पर 164 (74.9%), यूट्यूब पर 49 (22.4%) थे और इंस्टाग्राम पर 6% हिस्सेदारी रही.

कर्नाटक इस प्रवृत्ति से परे है

रिपोर्ट में कहा गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों में राष्ट्रीय वृद्धि के बावजूद दक्षिणी भारतीय राज्य कर्नाटक में ऐसी घटनाओं में 20% की गिरावट देखी गई. यह बदलाव काफी हद तक राज्य में राजनीतिक बदलावों के कारण है.

मई 2023 तक कर्नाटक में भाजपा का शासन था, लेकिन राज्य चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद नफरत भरे भाषण की घटनाओं में गिरावट आई.