नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (10 फरवरी) को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत विदेशी भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम (फोरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट) 1977 के क्रियान्वन पर 180 दिनों के लिए रोक लगा दी गई है. यह कानून अमेरिका में कार्यरत कंपनी द्वारा व्यवसायिक लाभ प्राप्त करने के लिए विदेशी सरकारों, उनके राजनीतिक दलों और नागरिकों को रिश्वत देने पर रोक लगाता है.
एफसीपीए का स्थगन तब तक जारी रहेगा जब तक कि अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी इस कानून की समीक्षा कर ऐसे नये निर्देश नहीं जारी करतीं जो अमेरिकी हितों के अनुकूल हैं. यह कदम अडानी समूह और इसके संस्थापक गौतम अडानी सहित ऐसे अन्य गैर-अमेरिकी नागरिकों को राहत दे सकता है जिनके व्यवसायों पर इस कानून के तहत आरोप लगे हैं.
नवंबर 2024 में, अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) और न्यूयॉर्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी कार्यालय ने अडानी समूह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
आदेश में यह भी कहा गया है कि 180 दिनों के शुरुआती स्थगन के बाद इसे बढ़ाया भी जा सकता है. इस अवधि के दौरान, अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी, जो ट्रंप की करीबी मानी जाती हैं, किसी भी नई एफसीपीए जांच को रोकेंगी और मौजूदा जांचों की समीक्षा करेंगी. नई गाइडलाइंस लागू होने के बाद, अटॉर्नी जनरल ‘अनुचित’ जांचों को रद्द करने के लिए नये कदम उठा सकती हैं.
भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा है कि एफसीपीए ने अमेरिका को वैश्विक भ्रष्टाचार से निपटने में एक अग्रणी देश बनाया. ट्रंप के कार्यकारी आदेश से यह कानून कमजोर हो सकता है और इसे पूरी तरह खत्म करने का रास्ता खुल सकता है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल यूएस के कार्यकारी निदेशक गैरी कालमैन ने एक बयान में कहा कि यह आदेश अमेरिका की वैश्विक भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई के ‘मुख्य हथियार’ को कमजोर कर सकता है.
भ्रष्टाचार के आरोप और अडानी समूह
पिछले साल के अंत में अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अडानी पर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंधों को हासिल करने के लिए साल 2020 से 2024 के बीच 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी मामले में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने का आरोप लगाया था. अनुमान है कि उन अनुबंधों से अडानी ग्रुप को 20 सालों में 2 अरब डॉलर का मुनाफा हो सकता है.
अमेरिकी अभियोग में आरोप लगाया गया है कि अडानी के अधिकारियों, जिनमें स्वयं अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अडानी ग्रीन के प्रबंध निदेशक विनीत जैन शामिल थे, ने बिजली अनुबंधों के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने की योजना बनाई थी.
हालांकि, अडानी ग्रीन एनर्जी ने पहले स्पष्ट किया था कि तीनों अधिकारियों के खिलाफ आरोप प्रतिभूतियों और वायर धोखाधड़ी से संबंधित हैं, न कि विशेष रूप से विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (जो सीधे विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने) के उल्लंघन से से संबंधित है.
एफसीपीए पर ट्रंप को थी हमेशा आपत्ति
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने एफसीपीए पर आपत्ति जताई हो. अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने इस कानून का विरोध किया था.
आदेश में कहा गया है कि ‘राष्ट्रपति की विदेश नीति का सीधा संबंध अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता से है.’ आदेश में यह भी कहा गया कि अमेरिकी नागरिकों और व्यवसायों पर एफसीपीए का इनफोर्समेंट ‘अनावश्यक रूप से व्यापक’ और ‘अनिश्चित’ हो गया है. यह कानून अपनी सीमाओं से बाहर जाकर लागू किया जा रहा है और इससे अमेरिकी हितों को नुकसान हो रहा है.
ट्रंप ने सत्ता में वापसी के बाद अब तक 80 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं. सोमवार को आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, ‘इससे अमेरिका के लिए बहुत अधिक व्यापार के अवसर खुलेंगे.’