नई दिल्ली: कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी, जिसने नवंबर 2024 में मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, अब मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन में फिर से शामिल हो गई है.
एनपीपी विधायक और पार्टी प्रमुख शेख नूरुल हसन ने द वायर को बताया कि पार्टी ने मणिपुर में भाजपा सरकार का समर्थन करने का फैसला किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका विरोध केवल पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ है.
ज्ञात हो कि बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया है. 11 फरवरी की रात भाजपा सांसद और पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा ने हसन से मुलाकात की थी.
हालांकि, भाजपा अब भी खुद को मजबूत नहीं कर पाई है. पार्टी के सात कुकी विधायकों में से दो ने द वायर से पुष्टि की है कि केंद्रीय नेतृत्व से किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया है.
60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में सात विधायकों के साथ एनपीपी राज्य के राजनीतिक समीकरण में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है.
इस बीच, पात्रा वर्तमान में मणिपुर में हैं, जहां वे वर्तमान राजनीतिक संकट को हल करने और नए मुख्यमंत्री का चयन करके राज्य सरकार का पुनर्गठन करने के लिए काम कर रहे हैं.
सूत्रों ने द वायर को बताया कि पात्रा भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में विश्वास बहाल करने के लिए स्थानीय नेतृत्व के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रहे हैं, जिसके तहत ही उन्होंने हसन से मुलाकात की.
हसन ने बैठक के बाद द वायर से कहा, ‘हम बीरेन सिंह का समर्थन नहीं कर रहे थे. अब जब पार्टी ने उन्हें हटा दिया है, तो भाजपा ने एनपीपी का समर्थन फिर से हासिल कर लिया है.’
हसन ने राज्य की राजनीतिक स्थिति पर पात्रा से अलग से चर्चा की, लेकिन इस पर विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया.
जब उनसे पूछा गया कि क्या एनपीपी भाजपा द्वारा नियुक्त नए मुख्यमंत्री का समर्थन करेगी, तो उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, एनपीपी केंद्र में एनडीए का हिस्सा है और हमारी प्राथमिकता मणिपुर की शांति और स्थिरता है. हमारा ध्यान उस लक्ष्य की ओर काम करने पर रहेगा.’
हसन की पात्रा से मुलाकात से यह भी संकेत मिलता है कि भाजपा नए मुख्यमंत्री के चयन पर एनडीए के भीतर अपने सहयोगियों से सलाह-मशविरा कर रही है. हालांकि, जब इस बारे में पूछा गया तो हसन ने कहा, ‘हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष इस सवाल का जवाब देने के लिए सही व्यक्ति हैं.’
चूंकि एनपीपी ने बीरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, इसलिए द वायर ने हसन से पूछा कि क्या वे मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए बीरेन को ज़िम्मेदार मानते हैं, तो उनका जवाब सीधा नहीं था. उन्होंने कहा, ‘वे एक असफल मुख्यमंत्री थे.’
बीरेन सरकार के तहत राज्य में लगभग 21 महीनों तक हिंसा जारी रही, जिसके कारण 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)