नई दिल्ली: भारत-पाक सीमा पर संवेदनशील क्षेत्र को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने और अडानी समूह के ऊर्जा पार्क स्थापित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा नियमों में ढील दिए जाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नाराज़गी जाहिर की है.
द गार्जियन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण और लंबे समय से चले आ रहे राष्ट्रीय सुरक्षा रक्षा प्रोटोकॉल में ढील दी, जिससे अरबपति व्यवसायी गौतम अडानी को कच्छ के रण के साथ भारत-पाकिस्तान सीमा के एक किलोमीटर के भीतर सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के साथ गुजरात के खावड़ा में दुनिया के सबसे बड़े अक्षय ऊर्जा पार्क को बनाने की अनुमति मिली.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रोटोकॉल में बदलाव ने चीन, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे अन्य पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर भी इस तरह के निर्माण के लिए रास्ता खोल दिया है.
मालूम हो कि अडानी समूह गुजरात सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई भूमि पर कच्छ के रण में पाकिस्तान की सीमा से 1 किमी (0.6 मील) दूर सौर पैनल और पवन टर्बाइन का निर्माण कर रहा है. हालांकि, इससे पहले राष्ट्रीय रक्षा प्रोटोकॉल में पाकिस्तान की सीमा से 10 किलोमीटर दूर मौजूदा गांवों और सड़कों से आगे किसी भी बड़े निर्माण की अनुमति नहीं थी, जिससे बड़े पैमाने पर सौर पैनलों की स्थापना पर रोक लग गई थी.
ब्रिटिश अखबार के अनुसार, दस्तावेजों से पता चलता है कि भाजपा ने कच्छ के रण में सौर और पवन ऊर्जा निर्माण संबंधी भूमि उपलब्ध कराने के लिए प्रोटोकॉल में ढील देने के लिए उच्चतम स्तर पर पैरवी की थी.
सैन्य अधिकारियों ने इस संबंध में जब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर टैंक संचालन और सुरक्षा निगरानी के बारे में चिंता जताई, तो डेवलपर्स ने उन्हें आश्वासन दिया कि दुश्मन की टैंक गतिविधियों से किसी भी खतरे को कम करने के लिए सौर प्लेटफॉर्म ही पर्याप्त होंगे.
इसी तरह डेवलपर्स ने वित्तीय व्यवहार्यता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए सौर पैनल के आकार में समायोजन के सैन्य अनुरोधों को भी अस्वीकार कर दिया.
मालूम हो कि रक्षा मंत्रालय अप्रैल 2023 में लंबे समय से चले आ रहे प्रोटोकॉल में संशोधन करने पर सहमत हुआ था, जो पहले सीमा के 10 किलोमीटर के भीतर बड़े निर्माण को प्रतिबंधित करता था.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2020 में शुरू की गई 445 वर्ग किलोमीटर की इस परियोजना से चरम क्षमता पर 30 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पन्न होने की उम्मीद है, जो छोटे यूरोपीय देशों को बिजली देने के लिए पर्याप्त है. नियमों में ढील दिए जाने के बाद यहां की जमीन काफी अधिक मूल्यवान हो गई थी, जिसे राज्य संचालित सौर ऊर्जा निगम ऑफ इंडिया से अडानी समूह को हस्तांतरित कर दिया गया.
हमलावर विपक्ष
इस मीडिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी अरबपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत की सीमाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘…भाजपा का छद्म राष्ट्रवाद चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है. आपने निजी अरबपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए हमारी सीमाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है.’
उन्होंने इस मामले पर मोदी सरकार से कई सवाल भी पूछे और कहा कि तब स्थिति क्या होगी, जब सीमा पर माइन बिछाने, टैंक रोधी और कार्मिक रोधी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता होगी. उन्होंने सवाल किया, ‘क्या यह सच है कि आपने सीमा सुरक्षा नियमों में ढील देकर अपने ‘प्रिय मित्र’ को पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ एक किलोमीटर निकट एक बहुमूल्य रणनीतिक भूमि उपहार में दी है?’
कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया , ‘क्या यह सच नहीं है कि आपकी सरकार ने न केवल भारत-पाकिस्तान सीमा पर, बल्कि बांग्लादेश, चीन, म्यांमार और नेपाल से सटी भूमि पर भी ऐसे नियमों में ढील दी है, जिससे हमारी सामरिक और सीमा सुरक्षा खतरे में पड़ गई है?’
इस संबंध में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूछा कि आप भारत-पाकिस्तान सीमा से आसान दूरी के भीतर एक बड़ी निजी परियोजना की अनुमति क्यों देंगे, जिससे हमारे सशस्त्र बलों की रक्षा जिम्मेदारियां बढ़ेंगी और उनके रणनीतिक फायदे कम होंगे?
.@narendramodi ji,
BJP’s Pseudo-Nationalism face is once again unmasked!
You have endangered National Security at our borders in order to benefit private billionaires!
1. Is it true that you have gifted precious strategic land, just 1 km near the International Border with… pic.twitter.com/o1YFb0Vixi
— Mallikarjun Kharge (@kharge) February 12, 2025
इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए कांग्रेस के संगठन प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘पीएम मोदी की प्राथमिकता: भारत की सीमाओं को सुरक्षित करना नहीं, बल्कि अडानी का खजाना भरना है.’
केसी वेणुगोपाल ने आगे कहा कि मोदी सरकार का भाईचारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.
उन्होंने कहा, ‘भारत की सबसे बड़ी सौर परियोजना को पाकिस्तान सीमा से मुश्किल से 1 किमी दूर बनाने की अनुमति देना बेहद खतरनाक है और सभी स्थापित सैन्य मानदंडों के खिलाफ है. प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को यह बताना चाहिए कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के लिए इतना कठोर कदम क्यों उठाया गया.’
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सोशल मीडिया मंच एक्स पर हैशटैग #AdaniBachaoDeshBecho के साथ लिखा- ‘अडानी को बचाओ, देश को बेचो.’
मोइत्रा आगे लिखा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार ने रक्षा प्रोटोकॉल में ढील दी और सबसे अच्छे दोस्त गौतम अडानी को गुजरात में रिन्यूएबल एनर्जी पार्क के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी.’
वकील प्रशांत भूषण ने लिखा, ‘भारत द्वारा ऊर्जा पार्क के लिए सीमा सुरक्षा नियमों में ढील देने के बाद अडानी को फायदा हुआ. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर टैंक जुटाने और सुरक्षा निगरानी के लिए सौर पैनलों के निहितार्थ के बारे में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों द्वारा आशंकाएं जताई गई थीं.’
ज्ञात हो कि पिछले साल अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना का आरोप लगाया था. लेकिन अब ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों अदालतें – दीवानी और आपराधिक मामले पर शांत हो गई हैं क्योंकि अडानी अमेरिका में राजनीतिक प्रभाव बनाने के नए अभियान पर निकल पड़े हैं.
10 फरवरी को एक कार्यकारी आदेश में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) को लागू करने पर रोक लगा दिया, जो कुछ संस्थाओं के लिए विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देना अवैध बनाता है, जिसके तहत अभियोजकों ने अडानी पर आरोप लगाया था.
ऐसा प्रतीत होता है कि रिपब्लिकन संघीय विधायकों के एक समूह ने भी अमेरिकी अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर कहा है कि अडानी और अन्य के खिलाफ मामले में अमेरिकी हितों को कोई वास्तविक चोट नहीं पहुंची है और भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचने का जोखिम है.