नई दिल्ली: बजट सत्र के आखिरी दिन संसद के दोनों सदनों में गुरुवार (13 फरवरी) को केंद्र सरकार द्वारा वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पेश करने को लेकर विपक्षी सांसदों का हंगामा देखने को मिला.
विपक्ष ने आरोप लगाया कि उनके सदस्यों के असहमति नोट के कुछ हिस्सों को रिपोर्ट से हटा दिया गया है. हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने इससे इनकार किया.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी, जो इस संसदीय समिति का हिस्सा थे, ने पैनल के कामकाज, इसकी रिपोर्ट और विपक्षी सदस्यों के असहमति नोट्स सहित अन्य मुद्दों पर इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बात की.
संसद वक़्फ़ समिति की कार्यप्रणाली और उसकी रिपोर्ट के बारे में ओवैसी ने कहा कि समिति की कार्यवाही अव्यवस्थित ढंग से हुई. अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने हितधारकों को बुलाने के लिए अपने विशेषाधिकार का गलत तरीके से इस्तेमाल किया. उनके कुछ सदस्य आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं जबकि कुछ पर हत्या का आरोप है. वक़्फ़ विधेयक या मुद्दे पर उनकी क्या हिस्सेदारी है?
दूसरे, कई ऐसी संस्थाओं को बुलाया गया जिनका वक़्फ़ से कोई लेना-देना नहीं था.
तीसरा, समिति का कार्यकाल चालू बजट सत्र के आखिरी दिन तक होना था, लेकिन इसे आगे बढ़ा दिया गया. सदस्यों के लिए कुछ घंटों के भीतर दस्तावेज़ पढ़ना और असहमति नोट देना कैसे संभव है? यह आपको बताता है कि वे हमारे असहमति नोट नहीं चाहते थे जो असंवैधानिक विधेयक का खंडन करते थे.
एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों, जिन्हें समिति ने मंजूरी दे दी है, पर राय देते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे संशोधन बेकार हो गए क्योंकि हमारे पास संख्या बल नहीं था जबकि एनडीए और भाजपा के पास संख्या बल था. भाजपा सदस्यों द्वारा पेश किए गए संशोधन विधेयक को और खराब बनाते हैं. सबसे बुरी बात यह है कि इसमें न केवल गैर-मुस्लिम पदेन सदस्य हो सकते हैं, बल्कि गैर-मुस्लिमों को नामांकन के आधार पर वक़्फ़ बोर्डों में नियुक्त भी किया जा सकता है. यह दिखाने की भी आवश्यकता है कि आप मुसलमान हैं. यह दिखाने का क्या अर्थ है? आप यह कैसे प्रदर्शित करते हैं कि आप मुसलमान हैं या आप मुसलमान नहीं हैं? क्या यह कानूनी भाषा है?’
ओवैसी ने आगे जोड़ा, ‘आप ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक़्फ़’ तभी कहते हैं जब संपत्ति विवाद में न हो और वह सरकार की न हो. विवाद की कानूनी परिभाषा क्या है? कोई भी व्यक्ति मौखिक रूप से अथवा प्रतिवेदन देकर विवाद उत्पन्न कर सकता है. इस विधेयक के अनुसार, यदि कोई कलेक्टर से शिकायत करता है कि वक़्फ़ संपत्ति वक़्फ़ संपत्ति नहीं है और यदि जांच का आदेश दिया जाता है, तो जांच पूरी होने तक वह संपत्ति वक़्फ़ संपत्ति नहीं रहेगी. इसकी कोई समयसीमा नहीं है.’
‘कलेक्टर कार्यपालिका का एक अंग है. वह एक सरकारी नियुक्त व्यक्ति है. यह शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन है और इस बात का उदाहरण है कि उपयोगकर्ता संशोधन द्वारा इस वक़्फ़ का उपयोग वक़्फ़ के हितों के खिलाफ कैसे किया जाएगा,’ उनका कहना था.
ओवैसी ने उदाहरण देते हुए कहा, ‘संसद के सामने वाली मस्जिद की मिसाल लीजिए, सरकार और वक़्फ़ का दावा है कि यह उनका है. अब, जब विधेयक कानून बन जाएगा और सरकार यह तय कर लेगी कि यह उनकी संपत्ति है, तो आपको मस्जिद पर एक स्टिकर चिपका हुआ दिखाई देगा, जिस पर लिखा होगा, ‘यह सरकारी संपत्ति है और आप यहां इबादत नहीं कर सकते’. ये सभी संशोधन किस तरह से वक़्फ़ संपत्तियों को बचाने के लिए लाये जा रहे हैं? इसके बजाय, आप उन्हें छीनना चाहते हैं. साथ ही, इसके कानून बन जाने पर (वक़्फ़ बोर्ड के) सदस्यों की नियुक्ति बिना चुनाव के की जायेगी, जो अलोकतांत्रिक है. अत: आप अपने सदस्यों की नियुक्ति कर वक़्फ़ संपत्ति पर कब्जा कर लेंगे.’
उन्होंने जोड़ा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 29 का उल्लंघन है. ये मौलिक अधिकार हैं जिन्हें छीना नहीं जा सकता. जब हिंदू, ईसाई और सिख जैसे अन्य धर्मों के बोर्ड स्पष्ट रूप से कहते हैं कि धर्म का पालन नहीं करने वालों को उनके बोर्ड का सदस्य नहीं बनाया जा सकता है और विवादों से निपटने के लिए उनके अपने न्यायाधिकरण हैं, तो वक़्फ़ अधिनियम, 1995 में संशोधन के माध्यम से कुछ बिल्कुल विपरीत किया जा रहा है. ये संशोधन वैचारिक दृष्टिकोण से लाए गए हैं. आप सिर्फ वक़्फ़ बोर्ड को खत्म करना चाहते हैं और कुछ नहीं बचेगा.
कई विपक्षी सदस्यों के असहमति नोट रिपोर्ट में शामिल न किए जाने के दावे पर ओवैसी ने कहा कि वे जब हम अध्यक्ष से मिले, तो उन्होंने महासचिव को पैनल के लोकसभा सदस्यों के साथ बैठने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यदि समिति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया जाता है, तो संशोधित संस्करण को अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और उनकी भूमि के लिए खतरा है और मंत्रालय को उचित विधायी उपाय करने की सिफारिश की गई है…
‘मैंने अपने असहमति नोट में लिखा है कि आप ऐसा नहीं कर सकते. कानूनी तौर पर मुसलमान आदिवासी हो सकता है. उदाहरण के लिए, आपके पास लक्षद्वीप के सांसद (मोहम्मद फैज़ल) और लद्दाख के सांसद (मोहम्मद हनीफा) हैं जो आदिवासी हैं लेकिन मुस्लिम हैं. आप उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को कैसे कम कर सकते हैं? हम पर अपने असहमति नोटों में समिति के कामकाज की आलोचना करने का आरोप लगाया गया है और इसकी आड़ में, हमारे असहमति नोटों के कुछ हिस्सों को रिपोर्ट से हटा दिया गया है,’ ओवैसी ने कहा.
उन्होंने आगे कहा, ‘यह समिति की आलोचना कैसी है? संसदीय प्रक्रिया कहती है कि यदि किसी सदस्य के असहमति नोट को संशोधित किया जाता है, तो अध्यक्ष को सूचित करना होगा. इस मामले में चेयरमैन ने जानकारी नहीं दी. इससे साफ पता चलता है कि चेयरमैन वही बुलडोजर चलाना चाहते थे जो सरकार चाहती थी. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. एनडीए के पास विधेयक को पारित करने के लिए पर्याप्त संख्या है क्योंकि हमने देखा है कि उनके सहयोगी, जेडीयू, टीडीपी और लोजपा (रामविलास) सरकार के साथ एक ही पक्ष में हैं. विपक्ष का रोडमैप क्या है? टीडीपी, लोजपा (रामविलास) और जेडीयू प्रमुख]नीतीश कुमार को एहसास होना चाहिए कि वे जो कर रहे हैं वह असंवैधानिक है.’
ओवैसी का कहना है, ‘वे वक़्फ़ को नष्ट करने जा रहे हैं और इस प्रक्रिया में, मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हितों और धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने की उनकी सतही बातें एक दिखावा बनकर सामने आ रही हैं. वे बुरी तरह बेनकाब हो जाएंगे. ऊपरवाला न करे, अगर यह विधेयक कानून बन गया, तो मुसलमान टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष चिराग पासावन और नीतीश को उनके विश्वासघात के लिए माफ नहीं करेंगे.’
विधेयक को रोकने के लिए विपक्षी दलों की योजना क्या है, इस पर ओवैसी ने कहा, ‘देखते हैं क्या होता है और सरकार क्या करती है. वह जो भी कर रही है, अपनी विचारधारा को आगे बढ़ा रही है. जब रिपोर्ट संसद में पेश की जा रही है तो जय श्री राम के नारे लगाने की क्या जरूरत है? यह देश को क्या बताता है? सरकार का दावा है कि वह गरीब मुसलमानों के लिए ऐसा (वक़्फ़ अधिनियम, 1995 में संशोधन) कर रही है. क्या ऐसा करने का यही तरीका है?’