अमेरिकी पत्रकार के प्रश्न पर पीएम मोदी ने अडानी मुद्दे को ‘व्यक्तिगत मामला’ कहा, विपक्ष हमलावर

अमेरिका के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक अमेरिकी पत्रकार ने अडानी समूह पर लगे घूसखोरी के आरोप के बारे में सवाल किया था, जिसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे व्यक्तिगत मामलों के लिए दो देशों के मुखिया न मिलते हैं, न बैठते हैं, न बात करते हैं.

संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप. (फोटो साभार: एक्स/@narendramodi)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुए संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान अरबपति व्यवसायी गौतम अडानी पर पूछे गए सवाल को टाल गए. ये बीते 16 सालों में इस तरह की उनकी तीसरी प्रेस वार्ता थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी पर हाल ही में अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति और विनिमय आयोग द्वारा आपराधिक और नागरिक मामलों में अडानी समूह की सौर योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया था.

मालूम हो कि इस संबंध में 13 फरवरी को ह्वाइट हाउस में एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्या पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बातचीत में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी.

इस सवाल का जवाब देने से पहले पीएम मोदी भारतीय आतिथ्य और परंपरा का आह्वान करते दिखाई दिए. इसके बाद उन्होंने कहा कि यह एक ‘व्यक्तिगत मामला’ है.

पीएम मोदी ने कहा, ‘पहली बात है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की है – हम पूरे विश्व को अपना एक परिवार मानते हैं. हर भारतीय को मैं अपना मानता हूं. दूसरी बात है कि ऐसे व्यक्तिगत मामलों के लिए दो देशों के मुखिया न मिलते हैं न बैठते हैं न बात करते हैं.’

ज्ञात हो कि ऐसा माना जाता है कि पीएम मोदी और गौतम अडानी लंबे समय से मित्र हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने अडानी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप को ‘व्यक्तिगत’ क्यों माना. वो भी तब, जब बीते साल 20 नवंबर को इन आरोपों को जनता के सामने उजागर कर दिया गया है, जिसके कारण विपक्ष ने भारतीय संसद में सवालों की झड़ी भी लगाते हुए सरकार को घेरा था.

वहीं, शेयर बाजार में भी अडानी समूह को नुकसान का सामना करना पड़ा था.

गौरतलब है कि हाल ही में 10 फरवरी को ट्रंप ने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के कार्यान्वयन पर 180 दिनों के लिए रोक लगा दिया है, जिसके तहत अडानी पर आरोप लगाए गए थे. ट्रंप के इस कदम से अडानी के खिलाफ मामलों की दिशा बदल गई है.

हालांकि, अमेरिका में नरेंद्र मोदी से इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछा गया कि क्या भारत सरकार अडानी द्वारा सरकारी अधिकारियों को कथित रिश्वत देने के मामले की जांच करने जा रही है. पीएम मोदी ने खुद अपनी इच्छा से भी इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की.

विपक्ष ने सरकार को घेरा, कहा- ‘अडानी के भ्रष्टाचार को छिपाओ’

भारत में प्रधानमंत्री मोदी के जवाब ने एक नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. इसे लेकर विपक्ष ने पीएम मोदी पर विदेश में अडानी के भ्रष्टाचार को ‘छिपाने’ का आरोप लगाया है. सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान में लोकसभा में विपक्ष के नेता, राहुल गांधी ने कहा कि मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका में अडानी के भ्रष्टाचार को ‘छिपा’ रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘देश में सवाल पूछो तो सन्नाटा हो जाता है. यदि आप विदेश में पूछते हैं, तो यह एक निजी मामला है! अमेरिका में भी मोदी जी ने अडानी जी के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला! जब दोस्त की जेब भरना मोदीजी के लिए ‘राष्ट्र निर्माण’ है, तो रिश्वत लेना और देश की संपत्ति लूटना ‘व्यक्तिगत मामला’ बन जाता है.’

आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि पीएम मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया से ‘अमेरिका में अडानी के साथ अपनी दोस्ती’ दिखा दी है.

‘आप’ ने एक्स पर कहा, ‘जब अमेरिका में एक पत्रकार ने पीएम मोदी से उनके करीबी दोस्त अडानी के भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के बारे में सवाल पूछा तो मोदी जी ने इसे निजी मामला बताया. यह बेहद निंदनीय और शर्मनाक है कि प्रधानमंत्री ने अडानी के देश की संपत्ति लूटने और रिश्वत बांटने के कुकृत्य को निजी मामला बताया है.’

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले ने कहा कि मोदी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए ‘मजबूर’ किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रेस का सामना करते हुए पीएम मोदी ‘क्रोधित और घबराए’ हुए थे.

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘आखिरकार! पीएम मोदी को अमेरिका में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए मजबूर किया गया है – कुछ ऐसा जो उन्होंने 11 वर्षों में भारत में नहीं किया है. यही कारण है कि वह भारत में कभी भी प्रेस के सवालों का जवाब नहीं देते. यही कारण है कि भारत में उनके ‘साक्षात्कार’ पूरी तरह से स्क्रिप्टेड होते हैं. वह बहुत क्रोधित और व्याकुल हैं.’

मालूम हो कि इस सप्ताह की शुरुआत में ही भारत-पाक सीमा पर संवेदनशील क्षेत्र को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने और अडानी समूह के ऊर्जा पार्क स्थापित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा नियमों में ढील दिए जाने की रिपोर्ट सामने आई थी, जिसे लेकर विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नाराज़गी जाहिर की थी.

द गार्जियन की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण और लंबे समय से चले आ रहे राष्ट्रीय सुरक्षा रक्षा प्रोटोकॉल में ढील दी, जिससे अरबपति व्यवसायी गौतम अडानी को कच्छ के रण के साथ भारत-पाकिस्तान सीमा के एक किलोमीटर के भीतर सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के साथ गुजरात के खावड़ा में दुनिया के सबसे बड़े अक्षय ऊर्जा पार्क को बनाने की अनुमति मिली.