नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले के संबंध में कथित तौर पर ‘ब्लैकमेल’ करने का आरोप लगाया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री स्टालिन ने धर्मेंद्र प्रधान के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य के प्रति यह रुख अपनाया है कि जब तक तमिलनाडु एनईपी और तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक प्रदेश को समग्र शिक्षा अभियान के तहत फंड नहीं उपलब्ध कराया जाएगा.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 16 फरवरी को एमके स्टालिन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रधान के एक वीडियो क्लिप को टैग किया. वीडियो में प्रधान यह कहते हुए दिखे कि तमिलनाडु को भारतीय संविधान की शर्तों को मानना होगा और तीन भाषा नीति ही कानून का शासन है.
मुख्यमंत्री ने प्रधान के इस रुख को अस्वीकार्य बताया और कहा कि तमिल लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे. स्टालिन ने कहा कि राज्य ने केंद्र से अपना हक मांगा है, जो उसका अधिकार है, लेकिन केंद्रीय मंत्री अहंकार से बात करते हैं जैसे कि राज्य उनकी निजी संपत्ति पर दावा कर रहा है.
स्टालिन ने ये भी कहा कि प्रधान को संवैधानिक प्रावधान को स्पष्ट करना चाहिए जो अंग्रेजी, संबंधित क्षेत्रीय भाषा और हिंदी की त्रिभाषा नीति को अनिवार्य बनाता है.
“They have to come to the terms of the Indian Constitution” என்கிறார் ஒன்றியக் கல்வி அமைச்சர். மும்மொழிக் கொள்கையை ‘rule of law’ என்கிறார்.
இந்திய அரசியலமைப்புச் சட்டத்தின் எந்தப் பிரிவு மும்மொழிக் கொள்கையைக் கட்டாயமாக்குகிறது? எனக் கல்வி அமைச்சரால் கூற முடியுமா?
மாநிலங்களால்… pic.twitter.com/NtbYkV4FZK
— M.K.Stalin (@mkstalin) February 16, 2025
दिलचस्प बात यह है कि धर्मेंद्र प्रधान के बयान की तमिलनाडु की सभी प्रमुख पार्टियों ने राजानीतिक मतभेद से ऊपर उठकर आलोचना की है.
अन्नाद्रमुक महासचिव और विपक्ष के नेता के. पलानीस्वामी ने वेल्लोर में अपनी पार्टी द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य को शिक्षा के मद में धनराशि जारी करने के लिए एनईपी और तीन भाषा मानदंड के कार्यान्वयन पर केंद्र का जोर ठीक नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्र का यह कहना कि वह केवल तभी धन जारी करेगा जब तमिलनाडु तीन-भाषा प्रणाली को स्वीकार करेगा, यह सही नहीं है. हमारा केंद्र से अनुरोध है कि शासकों पर नहीं बल्कि जनता पर ध्यान दें. तमिलनाडु शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है. हमारे युवाओं की शिक्षा जारी रहनी चाहिए.’
नाम तमिलर पार्टी (एनटीके) जैसी अन्य पार्टियों ने भी प्रधान के बयान की निंदा की है.
इस संबंध में एनटीके प्रमुख सीमन ने कहा, ‘एनईपी हिंदी को अनिवार्य बनाता है. हम चाहें तो हिंदी सीख लेंगे, लेकिन केंद्र इसे हम पर थोपे नहीं. अनेक भाषाएं होने पर ही भारत एक देश होगा. यह अस्वीकार्य है कि केंद्र केवल इसलिए फंड देने से इनकार कर रहा है क्योंकि तमिलनाडु नई शिक्षा नीति को स्वीकार नहीं कर रहा है.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, स्टालिन के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने सवाल किया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को तमिल, अंग्रेजी और एक अन्य भारतीय भाषा क्यों नहीं पढ़ाई जानी चाहिए, जब मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बच्चों या पोते-पोतियों को निजी स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाई जा सकती हैं.
वहीं, धर्मेंद्र प्रधान ने आरोप लगाया है कि द्रमुक नीत सरकार राजनीतिक कारणों से एनईपी पर सहमति नहीं दे रही है. मंत्री ने कहा, ‘उन्हें एनईपी को अक्षरशः स्वीकार करना होगा.’