ओडिशा: नेपाली छात्रा की मौत के बाद केआईआईटी पर नस्लवाद और धमकी का आरोप

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी ने एक नेपाली छात्रा की आत्महत्या के बाद नेपाल के छात्रों को परिसर छोड़कर जाने को कहा गया था. अब संस्थान ने माफ़ी मांगते हुए घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. वहीं, सरकार ने कहा कि वह इस मामले में उचित क़ानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई करेगी.

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: X)

भुवनेश्वर: ओडिशा की राजधानी भुनेश्वर के एक निजी विश्वविद्यालय में एक नेपाली छात्र की कथित आत्महत्या और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा नेपाल के छात्रों के प्रति उदासीन रवैये, जिन्हें तुरंत अपने छात्रावास खाली करने के लिए कहा गया था, ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश पैदा कर दिया है.

मंगलवार (18 फरवरी) को ओडिशा सरकार ने कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) विश्वविद्यालय में नेपाल की एक छात्रा की आत्महत्या के बाद हुई घटनाओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय फैक्ट-फाइडिंग समिति का गठन किया है.

एक प्रेस विज्ञप्ति में सरकार ने कहा कि वह इस मामले में ‘उचित कानूनी और प्रशासनिक’ कार्रवाई करेगी, जो समिति के निष्कर्षों के आधार पर होगी, जिसमें गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, महिला और बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव और उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त-सह-सचिव शामिल हैं.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि संस्थान को नोटिस जारी कर दिया गया है, तथा घटनाओं को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया गया है. इसमें कहा गया है कि, ‘ओडिशा सरकार ने मामले का तत्काल संज्ञान लिया है तथा सुरक्षा गार्डों को गिरफ्तार करने तथा दोषी अधिकारियों को निलंबित करने के लिए कदम उठाए हैं.’

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, ‘ओडिशा सरकार प्रत्येक छात्र की सुरक्षा, सम्मान तथा भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. ओडिशा सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी कि न्याय शीघ्रतापूर्वक तथा निष्पक्ष रूप से हो.’

इस मुद्दे पर पहले बोलते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने धमकी दी थी कि इससे भारत-नेपाल संबंधों पर असर पड़ सकता है.

इस घटना के बाद बीजू जनता दल (बीजेडी) के पूर्व सांसद अच्युत सामंत द्वारा स्थापित ओडिशा के पहले निजी विश्वविद्यालय केआईआईटी के अधिकारियों ने नेपाल के छात्रों को हुई असुविधा के लिए माफी मांगी है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस घटना ने संस्थान की छवि को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है.

घटना के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए

नेपाल की 20 वर्षीय स्नातक छात्रा का शव रविवार (16 फरवरी) को उसके कमरे में मिलने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया.

हालांकि, कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन छात्रा के चचेरे भाई, जो कि केआईआईटी में ही छात्र है, ने अपनी शिकायत में इन्फोसिटी पुलिस को बताया कि उसकी बहन को अपने पूर्व प्रेमी, जो विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष का छात्र है, के कथित दुर्व्यवहार और ब्लैकमेल के कारण यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

विश्वविद्यालय के सूत्रों ने छात्रा की मौत के लिए उसके प्रेमी के ‘अपमानजनक व्यवहार’ को जिम्मेदार ठहराया. कथित तौर पर पीड़िता ने उसके खिलाफ विश्वविद्यालय अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

उसका लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त करने के बाद पुलिस ने उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है. भुवनेश्वर-कटक के पुलिस आयुक्त एस. देव दत्ता सिंह ने कहा कि आरोपी को प्रथम दृष्टया सबूतों के आधार पर पकड़ा गया, जिससे पता चलता है कि वह छात्रा को परेशान कर रहा था.

इस बीच, इस घटना के बाद नेपाली छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और विश्वविद्यालय परिसर के बाहर सड़क जाम कर दी, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. इसके बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने नेपाल से आने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए संस्थान को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया और उन्हें सोमवार (17 फरवरी) को छात्रावास खाली करने को कहा.

छात्रों, जिनमें से कई के पास घर वापस जाने के लिए टिकट खरीदने के लिए भी पर्याप्त पैसे नहीं थे, को बसों में भरकर कटक रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया गया. कई लोगों ने जोरदार विरोध किया, लेकिन उनके विरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

कटक स्टेशन पर केआईआईटी अधिकारियों द्वारा छोड़े गए नेपाली छात्रों में से एक राजन गुप्ता ने कहा, ‘लड़की की मौत के खिलाफ़ विरोध करने के बाद हमें हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया. हमें नहीं पता कि उनके इरादे क्या हैं. मुझे न तो ट्रेन के समय का पता है और न ही मेरे पास यात्रा करने के लिए पैसे हैं. हमें खाना भी नहीं मिला है. हम असहाय हैं. हमें बस हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया. स्टाफ़ के सदस्य हॉस्टल में घुस गए और हमें बाहर निकलने के लिए मजबूर किया. उन्होंने हॉस्टल खाली करने में देरी करने वालों को मारा भी.’

नेपाल सरकार छात्रों के साथ खड़ी है, वहीं केआईआईटी अधिकारी नुकसान की भरपाई में जुटे हैं

जब परेशान छात्रों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, तो शर्मा ओली को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि दिल्ली में नेपाली दूतावास से दो अधिकारियों को उनकी देखभाल के लिए भेजा जा रहा है.

उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ‘नई दिल्ली स्थित हमारे दूतावास ने ओडिशा में प्रभावित नेपाली छात्रों की काउंसलिंग के लिए दो अधिकारियों को भेजा है. इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की गई है कि उनके पास अपनी पसंद के आधार पर या तो अपने छात्रावास में रहने या घर लौटने का विकल्प हो.’

इस बीच, नेपाली सांसदों ने भी सरकार से भारत में पढ़ रहे नेपाली छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार (18 फरवरी) को नेपाल प्रतिनिधि सभा के आपातकालीन सत्र के दौरान सांसद छबीलाल विश्वकर्मा, माधव सपकोटा, ध्रुव बहादुर प्रधान और ठाकुर गैरे ने छात्र की मौत की जांच की मांग की और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की.

हालांकि, इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक अधिकारी केआईआईटी नहीं पहुंचे थे, लेकिन इस मुद्दे के अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के भय से केआईआईटी के अधिकारी स्पष्ट रूप से रक्षात्मक मुद्रा में आ गए, जिसके कारण उन्हें क्षति नियंत्रण के लिए व्यापक प्रयास करने पड़े.

सोमवार (17 फरवरी) शाम को केआईआईटी के रजिस्ट्रार ज्ञान रंजन मोहंती ने एक पत्र जारी कर इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और नेपाल के सभी छात्रों से कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए परिसर में लौटने की अपील की.

पत्र में कहा गया है, ‘कल शाम को कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) परिसर में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी. घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मामले की जांच की और अपराधी को पकड़ लिया. केआईआईटी प्रशासन ने शैक्षणिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए परिसर और छात्रावासों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं. हमारे सभी नेपाली छात्रों से अपील है कि वे वापस लौटें और कक्षाएं फिर से शुरू करें, जो परिसर छोड़कर जा चुके हैं या छोड़ने की योजना बना रहे हैं.’

कुछ घंटों बाद केआईआईटी अधिकारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने नेपाली छात्रों की कैंपस में वापसी के लिए एक समर्पित नियंत्रण कक्ष खोला. उन्हें सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक 24×7 हेल्पलाइन भी स्थापित की गई.

विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, ‘हम सभी नेपाली छात्रों से किसी भी सहायता के लिए आगे आने का आग्रह करते हैं. केआईआईटी उनकी सुरक्षा और भलाई के लिए प्रतिबद्ध है.’

मंगलवार (18 फरवरी) को जब विश्वविद्यालय में वहां पढ़ रहे विदेशी छात्रों ने मौन विरोध प्रदर्शन किया, तो अतिरिक्त रजिस्ट्रार श्याम सुंदर बेहुरा ने मीडियाकर्मियों को बताया कि परिसर छोड़कर चले गए नेपाली छात्रों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

उन्होंने गलती होने की बात स्वीकार करते हुए कहा, ‘लगभग 100 नेपाली छात्र पहले ही वापस आ चुके हैं. उन्हें वापस लाना हमारी प्राथमिकता है. उनके माता-पिता को भी विश्वास में लिया जा रहा है.’

उन्होंने कहा कि नेपाली छात्रों को छात्रावास खाली करने के लिए कहा गया है क्योंकि उन्होंने अपने देश के छात्र की आत्महत्या के बाद परिसर में उपद्रव मचाया था. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने सड़क को अवरुद्ध कर दिया था.’ उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को अभी तक नेपाल सरकार से कोई संदेश नहीं मिला है.

विश्वविद्यालय ने एक ‘फॉलो-अप’ नोटिस में माफी जारी की, जिसमें कहा गया कि दो सुरक्षा कर्मचारियों को तत्काल बर्खास्त कर दिया गया है और दो वरिष्ठ छात्रावास अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंध कार्यालय (आईआरओ) के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को विस्तृत जांच होने तक निलंबित कर दिया गया है.

नोटिस में कहा गया है, ‘हमारे कर्मचारियों के लिए हम मानते हैं कि कुछ टिप्पणियां क्षणिक आवेश में की गई थीं और हम किसी भी परेशानी के लिए माफ़ी मांगते हैं. हम छात्रों की सुरक्षा और भलाई को सबसे ऊपर रखते हैं.’

यह माफ़ी उस दिन आई है जब केआईआईटी परिसर में हुई घटना की गूंज राज्य विधानसभा में भी सुनाई दी और सभी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर चिंता जताई. विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा विधायक बाबू सिंह ने नेपाली छात्रों के खिलाफ़ किए गए अत्याचारों की निंदा की और केआईआईटी अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की.

नेपाली छात्रों के खिलाफ केआईआईटी अधिकारियों के असंवेदनशील व्यवहार की निंदा आत्महत्या करने वाले छात्र के पिता ने भी की. वे मंगलवार सुबह भुवनेश्वर पहुंचे.

यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है. आपके आश्वासन के कारण ही दूर-दूर से छात्र यहां पढ़ने आते हैं. आपको उनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए.’ हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि विश्वविद्यालय के अधिकारी और पुलिस उनके साथ सहयोग कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनके साथ न्याय होगा.

वायरल वीडियो क्लिप

केआईआईटी अधिकारियों का असंवेदनशील व्यवहार सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो क्लिप से स्पष्ट है. इसमें कथित तौर पर उस छात्रावास के अंदर विश्वविद्यालय के अधिकारियों और छात्रों के बीच तीखी बहस को दिखाया गया है, जहां मृतक रहती थीं.

बहस के दौरान एक जगह पर एक महिला अधिकारी नेपाली छात्रों से कहती हुई नज़र आती है कि वे जहां भी सुरक्षित महसूस करें वहां चले जाएं. वह कहती है कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के कल्याण पर खर्च की गई राशि नेपाल के राष्ट्रीय बजट से भी ज़्यादा है. इस बयान की काफ़ी आलोचना हुई और छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किया.

क्लिप में अधिकारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘इस विश्वविद्यालय के संस्थापक का अपमान मत करो. वह व्यक्ति 40,000 छात्रों को मुफ़्त में खाना खिला रहा है. इतनी राशि तो आपके देश के पूरे बजट से भी ज़्यादा होगी.’

केआईआईटी अधिकारियों की कथित मनमानी के खिलाफ विभिन्न छात्र संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन किया है, जिन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और विश्वविद्यालय से नेपाली छात्रों से माफी मांगने की मांग की है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कहा, ‘हम विश्वविद्यालय से नेपाली छात्रों से तत्काल माफी मांगने, उनके आवास और भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने और मृतक छात्र के परिवार को पर्याप्त मुआवजा देने का आग्रह करते हैं.’ उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं भारत और नेपाल के बीच मजबूत संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)