‘किसी और को निर्वाचित कराने की कोशिश’: ट्रंप के दावों के बाद विपक्ष की यूएसएआईडी पर श्वेत पत्र की मांग

ट्रंप ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए यूएसएआईडी द्वारा दिए गए अनुदान के राजनीतिक निहितार्थ पर सवाल उठाया है. इसके बाद कांग्रेस ने कहा है कि भारत सरकार को दशकों से देश में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को यूएसएआईडी से मिली मदद पर श्वेत पत्र लाना चाहिए.

डोनाल्ड ट्रंप. (फोटो साभार: फेसबुक/@DonaldTrump)

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) द्वारा दी जाने वाली फंडिंग को लेकर एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है, जिसे लेकर विपक्ष ने भारत सरकार से जल्द से जल्द एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने गुरुवार (20 फरवरी) को भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए यूएसएआईडी द्वारा दिए गए 21 मिलियन डॉलर के अनुदान के राजनीतिक निहितार्थ पर सवाल उठाया. इसे हाल ही में अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफ़िशिएंसी यानी डीओजीई ने बंद करने का ऐलान किया था.

इस घोषणा में भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए दिए जाने वाली फंडिंग भी शामिल थी.

कांग्रेस ने इस संबंध में भारत सरकार से श्वेत पत्र की मांग की है. कांग्रेस का कहना है कि ट्रंप का बयान बेतुका है, फिर भी सरकार को यूएसएआईडी की ओर से सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को दिए गए समर्थन के विवरण की पूरी जानकारी साझा करनी चाहिए.

मालूम हो कि ये मामला तब प्रकाश में आया जब ट्रंप ने फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात से भारत को उच्च टैरिफ को रोकने में मदद नहीं मिली.

ताज़ा मामला मियामी का है, जहां एक कार्यक्रम में ट्रंप ने यूएसएआईडी अनुदान का मुद्दा उठाया, जो हाल ही में देश में सुर्खियां बटोर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘हमें भारत में मतदान प्रतिशत पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता क्यों है? मुझे लगता है कि वे किसी और को निर्वाचित कराने की कोशिश कर रहे थे. हमें भारत सरकार को बताना होगा. क्योंकि जब हम सुनते हैं कि रूस ने हमारे देश में लगभग दो हजार डॉलर खर्च कि तो यह बहुत बड़ी बात है. उन्होंने दो हजार डॉलर में कुछ इंटरनेट विज्ञापन लिए. यह बड़ी बात है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. मैं प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं, वह दो दिन पहले ही यहां से गए हैं. लेकिन हम मतदान प्रतिशत के लिए 21 मिलियन डॉलर दे रहे हैं. यह भारत का मतदान प्रतिशत है. यहांं के मतदान प्रतिशत के बारे में क्या ख़याल है? ओह, मुझे लगता है, हमने वह कर लिया है. हमने 500 मिलियन डॉलर कमाए, है न? इसे लॉकबॉक्स कहा जाता है.’

ज्ञात हो कि इस फंडिंग को रद्द करने का फैसला हाल ही में 16 फरवरी को एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई से सामने आया था. इसमें विभाग द्वारा चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया सुदृढ़ीकरण (सीईपीपीएस) के लिए कंसोर्टियम को पहले आवंटित वित्तीय सहायता को रद्द करने की घोषणा की गई थी.

ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर इस कदम का समर्थन किया था. ट्रंप ने कहा था, ‘हम भारत को 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत पैसा है. हमारे हिसाब से वे दुनिया में सबसे अधिक कर लगाने वाले देशों में से एक हैं; हम मुश्किल से वहां पहुंच सकते हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ऊंचे हैं.’

इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का एक समूह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मोदी के शासनकाल से पहले की कांग्रेस सरकार ने भारत में ‘विदेशी प्रभाव’ की अनुमति दी थी.

हालांकि, एक्स पर फैक्ट-चेकर्स ने दिखाया था कि यूएसएआईडी मोदी सरकार की गतिविधियों में कितनी गहराई तक शामिल थी, जिसमें यह तथ्य भी शामिल था कि मोदी ने खुद यूएसएआईडी अधिकारियों से जुड़े कार्यक्रमों की अध्यक्षता की थी.

बहरहाल, ट्रंप के शब्दों से भाजपा के दावों को हवा मिलने की संभावना है. भाजपा के ‘आईटी सेल’ प्रमुख अमित मालवीय, जो दावा कर रहे थे कि यूएसएआईडी की घुसपैठ कांग्रेस की मूर्खता थी, ने एक्स पर एक पोस्ट के साथ ट्रंप की टिप्पणी की खबर पर प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का दावा है कि देश में चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए भारत में पैसा डाला जा रहा था, 2024 के अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के दावे की पुष्टि है कि विदेशी शक्तियां उन्हें सत्ता में आने से रोकने की कोशिश कर रही थीं…’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक टिप्पणी में ट्रंप की बात को ‘बकवास’ करार देते हुए कहा, ‘फिर भी, भारत सरकार को जल्द से जल्द एक श्वेत पत्र लाना चाहिए जिसमें दशकों से भारत में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों संस्थानों को यूएसएआईडी के समर्थन का विवरण हो.’

गौरतलब है कि सऊदी अरब समर्थित एफआईआई प्राथमिकता शिखर सम्मेलन कार्यक्रम में ट्रंप की उपस्थिति आलोचना और सवालों का विषय रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने व्यापार और प्रशासनिक हितों का प्रबंधन कैसे करते हैं.