नई दिल्ली: बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान बीजीबी ने कहा है कि हाल के महीनों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, द हिंदू ने बताया है कि बैठक के दौरान बीजीबी प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी ने कहा, ‘बांग्लादेश में हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें अतिशयोक्ति हैं. हमने दुर्गा पूजा के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 8 किमी के दायरे में पूजा पंडालों को सुरक्षा दी थी, जो शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित की गई.’
मालूम हो कि ये बैठक भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने से संबंधित मुद्दे के लिए आयोजित की गई थी. इसमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सीमा पर घुसपैठ को लेकर भी चर्चा की गई. दोनों देशों के बीच हालिया सीमा बाड़ लगाने के संबंध में सिद्दीकी ने कहा कि किसी भी पक्ष को 150 गज के भीतर स्थायी संरचना का निर्माण करने की अनुमति नहीं है.
उन्होंने कहा कि संवादहीनता तब होती है जब 150 गज के दायरे में बाड़ लगाई जाती है. इस पर बांग्लादेश ने आपत्ति जताई है और इसे लेकर उचित परामर्श और आपसी चर्चा की जरूरत का उल्लेख किया है.
सिद्दीकी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि हम भविष्य में इसका समाधान निकाल लेंगे, ताकि नो-मैन्स लैंड में निर्माण हो सके.’
बीजीबी प्रमुख ने कहा कि बीएसएफ के साथ उनकी द्विवार्षिक बैठक में बाड़ लगाने से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई क्योंकि यह सबसे अधिक केंद्रित एजेंडा था.
उन्होंने कहा, ‘जहां भी मसले हैं, हमने संयुक्त निरीक्षण का अनुरोध किया है.’
मोहम्मद अशरफज्जमां सिद्दीकी ने यह भी कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा संधि को फिर से तैयार करने पर कोई चर्चा नहीं हुई, जिस पर 1975 में सहमति बनी थी. उन्होंने बताया कि यह इस बैठक के दायरे में नहीं था.
ज्ञात हो कि दोनों देशों के बीच ऐसी आखिरी बैठक पिछले साल मार्च में ढाका में हुई थी.
गौरतलब है कि बीएसएफ ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था कि यह सम्मेलन सीमा संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने और सीमा सुरक्षा बलों के बीच समन्वय में सुधार के लिए आयोजित किया जा रहा है.