गोरखपुर: गोरखपुर शहर के मेवातीपुर मोहल्ले में स्थित मस्जिद को गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने बिना नक्शा स्वीकृत कराए बनाने का आरोप लगाते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया है. जीडीए ने 15 फरवरी को जारी आदेश में मस्जिद को अवैध निर्माण बताया है और मस्जिद के पक्षकार शुएब अहमद को 15 दिन के अंदर मस्जिद को खुद ध्वस्त कर लेने का आदेश दिया है. साथ ही यह हिदायत दी है कि यदि उन्होंने स्वयं निर्माण ध्वस्त नहीं किया तो जीडीए द्वारा किए जाने वाले ध्वस्तीकरण के व्यय को उनसे वसूल किया जाएगा.
जीडीए के इस ध्वस्तीकरण आदेश की प्रति मस्जिद पर चस्पा भी कर दी गई. उधर, मस्जिद के पक्षकार शुएब अहमद ने आदेश के खिलाफ प्राधिकरण के अध्यक्ष कमिश्नर के यहां अपील दाखिल की है जिसकी सुनवाई 25 फरवरी को होनी है.
जिस मस्जिद को गिराने का आदेश दिया गया है वह एक वर्ष पहले तामीर की गई है. जिस जगह मस्जिद का निर्माण हुआ है, उसके पास बहुत पुरानी मस्जिद थी जिसे गोरखपुर नगर निगम ने 25 जनवरी 2024 को उस स्थान पर स्थित कई घरों और दुकानों के साथ गिरा दिया था. बाद में नगर निगम और मस्जिद पक्षकार में आपसी समझौते के आधार पर नगर निगम ने 24×26 फीट वर्ग फीट जमीन मुहैया करवाई थी जिस पर वर्तमान मस्जिद बनी है.
मस्जिद के मुतवल्ली सुहेल अहमद हुआ करते थे जिनका जुलाई 2024 में निधन हो गया, अब उनके स्थान पर उनके बेटे शुएब अहमद मस्जिद की व्यवस्था देखते हैं.
शुएब अहमद ने बताया कि उनके अधिवक्ता जय प्रकाश नारायण श्रीवास्तव ने प्राधिकरण के अध्यक्ष/कमिश्नर के यहां अपील दाखिल की है जिस पर 18 फरवरी को सुनवाई होनी थी लेकिन उस दिन सुनवाई नहीं हो सकी. अब अगली तारीख 25 फरवरी को नियत की गई है.
उन्होंने बताया कि घोष कंपनी चौक के पास मेवातीपुर में अबु हुरेरा नाम की बहुत पुरानी मस्जिद थी जिसके मुतवल्ली उनके पिता सुहेल अहमद थे. मेवातीपुर में काफी पुराना अस्तबल व गाड़ीखाना था जिसके बीचोंबीच मस्जिद थी. वर्ष 1963 में दीवानी न्यायालय में मुकदमा शेख फुन्ना बनाम म्युनिसिपल बोर्ड दाखिल हुआ. चार वर्ष बाद 19 अप्रैल 1967 को शेख फुन्ना आदि और म्युनिसिपल बोर्ड के बीच मस्जिद में किसी भी तरह के हस्तक्षेप न करने का सुलहनामा हुआ. दीवानी न्यायालय ने सुलहनामे को 26.04.67 को स्वीकृत किया गया.
इसके बाद पिछले वर्ष नगर निगम ने मस्जिद और उसके आस-पास की जमीन पर अपना दावा किया. नगर निगम ने 24 जनवरी 2024 को मस्जिद के आस-पास की करीब 46 डिसमिल जमीन पर बने 16 घरों और 31 दुकानों को ध्वस्त कर दिया और अब यहां मल्टीलेवल पार्किंग और काम्प्लेक्स का निर्माण करा रहा है.
शुएब के अनुसार, उस समय दिन में मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया था लेकिन आधी रात को मस्जिद को भी गिरा दिया गया जबकि दीवानी न्यायालय के आदेश के अनुसार मस्जिद को कानूनन ध्वस्त नहीं किया जा सकता था. इस बारे में उनके पिता सुहेल अहमद ने नगर निगम को पूरी बात अवगत कराया तो नगर निगम ने गलती मानते हुए अपनी छठवीं बैठक में 27 फरवरी 2024 को प्रस्ताव पारित कर जमीन के दक्षिण पश्चिम कोने पर 24 गुणे 26 फीट भूमि मस्जिद निर्माण के लिए दे दी.
इसके बाद सुहेल अहमद ने अपनी देखरेख में लोगों के सहयोग से मस्जिद का भूतल, प्रथम तल एवं द्वितीय तल का निर्माण किया, जिसमें तबसे बराबर नमाज होती है.
फिर मिला नोटिस
इस मसले में नया मोड़ तब आया जब गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने सुहेल अहमद को 16 मई 2024 को नोटिस जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश नगर योजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 14 और 15 के अनुसार प्राधिकरण के अनुज्ञा प्राप्त किए और नक्शा स्वीकृत कराए बिना भूतल का निर्माण कर लिया गया है और दूसरे तल की शटरिग का काम किया जा रहा है.
तब जीडीए ने 30 मई 2024 तक जवाब देने को कहा.
शुएब अहमद ने बताया कि 16 मई 2024 की नोटिस का विस्तृत जवाब उनके पिता सुहेल अहमद की ओर विकास प्राधिकरण के समक्ष 09.6.2024 को प्रस्तुत किया गया. इसके बाद जीडीए ने दाखिल किए गए जवाब के क्रम में प्रपत्रों की विधिमान्य व सत्य प्रतिलिपि प्रस्तुत करने को कहा. इसी बीच 12 जुलाई 2024 को उनके पिता का इंतकाल हो गया. ‘मैंने 11 सितंबर को जीडीए को दीवानी न्यायालय की डिक्री, पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र और नगर निगम बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव की प्रति दाखिल की. पांच फरवरी 2025 का नोटिस 13 फरवरी को मिला, 14 फरवरी को आपत्ति दाखिल करते हुए जवाब देने के लिए समय की मांग की गई लेकिन समय नहीं देते हुए अगले ही दिन 15 फरवरी को ध्वस्तीकरण आदेश दे दिया गया,’ उन्होंने बताया।
जीडीए द्वारा 15 फरवरी को जारी ध्वस्तीकरण आदेश में कहा गया है, ‘क्षेत्रीय अवर अभियंता द्वारा स्थल निरीक्षण के दौरान पाया गया कि 60 वर्ग मी० में भूतल, प्रथम तल का निर्माण करते हुए वर्तमान में द्वितीय तल की शटरिंग का कार्य किया जा रहा है. कोई स्वीकृत मानचित्र नहीं दिखाया गया. उक्त निर्माण के विरुद्ध क्षेत्रीय अवर अभियंता द्वारा उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत दिनांक-15.05.2024 को पीठासीन अधिकारी के समक्ष चालान प्रस्तुत किया गया. इस चालानी रिपोर्ट का संज्ञान होने पर निर्माण के विरुद्ध वाद सं०-GRDA/ ANI/ 2024/ 0001624 दर्ज करते हुए निर्माणकर्ता को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिनांक-30.05.2024 को कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु अवसर देने के साथ जारी किया गया. ‘
नोटिस में आगे कहा गया है कि पक्षकार शुऐब अहमद नियत तिथि पर प्रस्तुत नहीं हुए तत्कम में पुनः सुनवाई हेतु 04.02.2025 व 15.02.2025 की तिथि निर्धारित करते हुए पुनः सूचना नोटिस जारी किया गया. पर पक्ष द्वारा अपने निर्माण के सम्बन्ध में सुनवाई किए जाने हेतु कोई रुचि नहीं ली गई. उपस्थित नहीं हुए और न ही अनाधिकृत निर्माण का स्वीकृत मानचित्र अथवा नक्शा/अभिलेख प्रस्तुत किया गया, जिससे यह स्पष्ट है कि क्षेत्रीय अवर अभियंता द्वारा किया गया चालानी रिपोर्ट अवैध निर्माण को प्रदर्शित करता है तथा निर्माण का कोई मानचित्र स्वीकृत न होने के कारण निर्माण अवैध है, जिसके विरुद्ध ध्वस्तीकरण आदेश पारित किया जाना नियम संगत है.’
इसके अनुसार, ‘अब शुऐब अहमद को आदेशित किया जाता है, कि उक्त अवैध निर्माण को इस आदेश के पारित होने के 15 दिनों के भीतर ध्वस्त कर लें, अन्यथा निर्धारित अवधि के बाद उक्त अवैध निर्माण को प्राधिकरण द्वारा ध्वस्त किए जाने पर ध्वस्तीकरण में होने वाले व्यय को भू-राजस्व की भांति अवैध निर्माणकर्ता श्री शुऐब अहमद से वसूल किया जाएगा.’
जीडीए नोटिस में कहा गया है कि सुहेल अहमद ने 16 मई 2024 और उसके बाद चार फरवरी 2025 और 15 फरवरी 2025 को सुनवाई की तिथि पर उपस्थित नहीं हुए और स्वीकृत मानचित्र, अभिलेख प्रस्तुत किया गया जबकि मस्जिद पक्ष का कहना है कि उन्होंने हर नोटिस का जवाब दिया है.
शुएब अहमद के अधिवक्ता जय प्रकाश नारायण श्रीवास्तव ने कहा कि मस्जिद की भूमि के लिए कोई प्रश्न नहीं है. जीडीए नक्शे को आधार बनाकर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है जबकि नगर विकास विभाग द्वारा साल 2008 का आदेश है कि 100 वर्ग मीटर तक भूमि पर निर्माण के लिए नक्शे की जरूरत नहीं है. मस्जिद सिर्फ 24 गुणे 26 वर्ग फीट पर बनी है. इसलिए उसके लिए नक्शे की कोई जरूरत नहीं है.
शुएब अहमद ने बताया कि उनके पिता ने नगर निगम द्वारा दी गई भूमि पर मस्जिद निर्माण के पहले जीडीए में नक्शा बनवाने के लिए जानकारी ली, तो वहां से भी बताया गया कि इतनी कम भूमि पर निर्माण के लिए नक्शे की जरूरत नहीं है.
कांग्रेस के निर्वतमान प्रदेश उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह ने 20 फरवरी को मेवातीपुर का दौरा किया और मस्जिद के व्यवस्थापकों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि सरकार और गोरखपुर का प्रशासन नफरती राजनीति से प्रेरित होकर निर्णय ले रहा है. एक वर्ष पहले अवैधानिक तरीके से पुरानी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया. नगर निगम द्वारा जमीन देने पर जब दुबारा मस्जिद बनी तो अब नक्शे का आधार लेकर उसे ध्वस्त करने का आदेश दिया गया गया है. सरकार समाज को विभाजित करने के लिए इस तरह का कार्य करा रही है.
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर से सटे कुशीनगर जनपद के हाटा में 9 फरवरी को मदनी मस्जिद को अवैध कब्जा, नक्शे के विपरीत निर्माण का आरोप लगाकर नौ फरवरी को तोड़ दिया गया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को कुशीनगर के जिलाधिकारी के खिलाफ शीर्ष अदालत के नवंबर 2024 के एक फैसले का उल्लंघन करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया है.
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 के अपने फैसले में देश भर में बिना पूर्व सूचना के बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)