मध्य प्रदेश: रेप मामले में पूर्व पार्षद शफीक अंसारी बरी, चार साल पहले प्रशासन ने घर पर चलाया था बुलडोज़र

रेप के आरोप सामने आने के बाद प्रशासन ने शफीक अंसारी के घर पर बुलडोज़र चला दिया था. अब जब शफीक अंसारी निर्दोष साबित हो चुके हैं, तो ऐसे में उनके पास रहने के लिए अपना कोई घर नहीं है. उनका कहना है कि वो अपने ध्वस्त घर के लिए मुआवजे की मांग करेंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की एक अदालत ने एक पूर्व वार्ड पार्षद शफीक अंसारी को एक महिला से बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया है. कोर्ट ने महिला के आरोपों को झूठा करार देते हुए पाया कि महिला ने आरोप सिर्फ इसलिए लगाए थे, क्योंकि शफीक अंसारी ने महिला के खिलाफ एक शिकायत की थी और उसी शिकायत के आधार पर महिला का घर ध्वस्त कर दिया गया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, रेप के आरोप सामने आने के बाद प्रशासन ने शफीक अंसारी के घर पर भी बुलडोज़र चला दिया गया था. अब जब शफीक अंसारी निर्दोष साबित हो चुके हैं, तो ऐसे में उनके पास रहने के लिए अपना कोई घर नहीं है.उन्होंने कहा है कि वो अपने ध्वस्त घर के लिए मुआवजे की मांग करेंगे. इसके लिए वो उचित मंच का दरवाजा खटखटाएंगे.

मालूम हो कि मार्च 2021 में महिला द्वारा शिकायत दर्ज कराने के 10 दिन से भी कम समय में प्रशासन ने उनके घर को बुलडोजर से ढहा दिया था. 58 वर्षीय अंसारी ने बताया कि ध्वस्त किया गया घर उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से 4,000 वर्ग फुट जमीन पर घर बनाया था. अब वहां सिर्फ मलबा बचा है. हम अपने भाई के घर में रह रहे हैं.

ये पूरा मामला भोपाल से लगभग 130 किलोमीटर दूर सारंगपुर का है. अंसारी यहां के पूर्व पार्षद हैं, उन्होंने अपनी आब बीती सुनाते हुए कहा, ‘हमारे पास सभी कागजात थे. यह आरोप लगाया गया था कि घर बिना अनुमति के बनाया गया है, लेकिन हमें रिकॉर्ड दिखाने या कुछ भी कहने का मौका नहीं दिया गया. इसे बस तोड़ दिया गया. मेरा परिवार सात लोगों का है. उन सभी को कष्ट सहना पड़ा. मैं तीन महीने के लिए जेल गया.’

ज्ञात हो कि इस संबंध में महिला ने  4 मार्च 2021 को शिकायत दर्ज कराई थी. इस शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि अंसारी ने 4 फरवरी 2021 को उन्हें उनके बेटे की शादी में मदद करने के बहाने अपने घर बुलाया और बाद में उनका बलात्कार किया. आरोप सामने आने के बाद अंसारी का घर 13 मार्च 2021 को ढहा दिया गया था.

अंसारी ने बताया कि सुबह 7 बजे प्रशासन उनके घर बुलडोजर लेकर पहुंचा और इससे पहले कि उनके परिवार के सदस्य कुछ समझ पाते, उनका घर मलबे में तब्दील हो गया. अंसारी उस समय फरार थे और इसके बैद अगले ही दिन उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था.

गौरतलब है कि इस साल 14 फरवरी को करीब चार साल बाद राजगढ़ ज़िले के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश चितरेंद्र सिंह सोलंकी ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए शफीक अंसारी को इस केस से बरी कर दिया. उन्होंने महिला और उसके पति की गवाही में महत्वपूर्ण विसंगतियां पाईं. कोर्ट ने कहा कि आरोपी शफीक अंसारी के घर पर पीड़िता की मौजूदगी ही संदिग्ध है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अदालत ने आगे कहा कि महिला के घर के पास एक पुलिस स्टेशन है. फिर भी उन्होंने कथित रेप की तुरंत रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई. अपने बेटे की शादी के 15 दिन बाद तक उन्होंने अपने पति या बेटे किसी को भी इस कथित अपराध के बारे में नहीं बताया. महिला इस देरी का कोई संतोषजनक कारण देने में भी असफल रही हैं.

आदेश में कहा गया है कि शिकायतकर्ता के नमूनों पर कोई मानव शुक्राणु नहीं पाया गया, जिससे यह निष्कर्ष निकला कि मेडिकल और वैज्ञानिक साक्ष्यों से रेप की पुष्टि नहीं हो सकी है.

कोर्ट ने माना कि आरोपी शफीक एक वार्ड पार्षद थे. नगरपालिका ने शफीक और इलाक़े के निवासियों की शिकायत पर महिला का घर ध्वस्त कर दिया. इससे पता चलता है कि महिला ने अपने घर को गिराए जाने के कारण शफीक अंसारी के खिलाफ रेप की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

अब शफीक अंसारी ने बरी होने के बाद ये भी कहा है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि उन्होंने अपने इलाक़े में अवैध ड्रग तस्करी के खिलाफ आवाज़ उठाई थी. महिला ने बदला लेने के लिए मेरे उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई थी.