नई दिल्ली: तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एक निर्माणाधीन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग की छत का एक हिस्सा शनिवार (22 फरवरी) को ढह जाने के बाद उसमें फंसे आठ लोगों से बचाव दल अभी तक संपर्क नहीं कर पाया है.
नागरकुरनूल में श्रीशैलम बांध के पीछे 44 किलोमीटर लंबी सुरंग शनिवार सुबह ढह गई, जब कुछ मज़दूर अंदर रिसाव की मरम्मत कर रहे थे.
रिपोर्ट के अनुसार, फंसे हुए श्रमिकों में दो मशीन ऑपरेटर, दो इंजीनियर और चार मजदूर शामिल हैं.
23 फरवरी को हैदराबाद आपदा प्रतिक्रिया और संपत्ति संरक्षण एजेंसी (HYDRAA) के आयुक्त ए.वी. रंगनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष की टीमें उनसे 50 मीटर की दूरी पर हैं.
138 कर्मियों वाली एनडीआरएफ की चार टीमें, 24 सैन्य कर्मी, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के 23 विशेषज्ञ हैं जो ढहने वाली जगह पर काम कर रहे हैं.
साउथ फर्स्ट ने नागरकुरनूल के जिला कलेक्टर बी. संतोष ने कहा है कि भारी मात्रा में गाद जमा होने के कारण उस खंड की ओर आगे की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हो रही है, जहां मजदूरों के फंसे होने की आशंका है.
बचावकर्मियों के नजदीक होने के बावजूद स्थिति गंभीर मानी जा रही है. बचावकर्मियों ने फंसे हुए मजदूरों से अभी तक सीधा संपर्क नहीं किया है.
बी. संतोष ने कहा कि सुरंग के अंदर ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी गई है, जबकि पानी निकालने और गाद निकालने का काम जारी है. चुनौतियों में मलबा और जलभराव शामिल है, जिसे गंभीर बताया गया है.
सिंचाई और नागरिक आपूर्ति मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि दुर्घटना स्थल पर पानी का प्रवाह बचाव कार्यों में बाधा डाल रहा है. भागने में कामयाब रहे मजदूरों ने इंडियन एक्सप्रेस से बात की. वेल्डर संजय साह ने कहा, ‘हम अक्सर पानी के रिसाव की छोटी-मोटी घटनाओं के बारे में बात करते हैं.’
फंसे हुए लोग झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से हैं.
द हिंदू के मुताबिक, पिछले 48 घंटों से ढही सुरंग में फंसे लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्रीनिवास, जम्मू-कश्मीर के सनी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह और झारखंड के संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि दो दिन पहले एसएलबीसी सुरंग के आंशिक ढहने के बाद उसमें फंसे आठ लोगों के बचने की संभावना ‘बहुत कम. है, हालांकि उन तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले रैट माइनर्स की एक टीम भी बचाव दल में शामिल हो गई है.
मंत्री ने कहा कि फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है, जिससे बचावकर्मियों के लिए यह एक कठिन कार्य बन गया है.