‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है!’ भगवान राम की नगरी के लोगों को गत शुक्रवार को स्मृतिशेष राहत इंदौरी की ये पंक्तियां तब बहुत याद आईं, जब बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं का निर्बाध आवागमन व दर्शन-पूजन सुनिश्चित करने के बहाने अयोध्यावासियों पर अरसे से थोपी गई कड़ी यातायात पाबंदियों ने भारतीय जनता पार्टी के एक स्थानीय नेता की जान ले ली.
जहां बेदर्द हाकिम हो
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी की सरकारों के दौरान विश्व हिंदू परिषद के उग्र आंदोलनों से निपटने के लिए ऐसी पाबंदियां लगाई जाती थीं, तो भाजपा बढ़-चढ़कर उनका विरोध किया करती थी. लेकिन अपनी सरकार बनने के बाद से वह नागरिकों को ऐसी पाबंदियों से हो रहे दर्द की ओर से एकदम से बेदर्द बनी रहती है.
पिछले साल सड़कें चौड़ी करने के अभियान में घरों, दुकानों व प्रतिष्ठानों की व्यापक तोड़-फोड़ के दौर में भी उसने पीड़ितों से कोई हमदर्दी नहीं ही दिखाई थी. तब भी नहीं जब उक्त अभियान में हुई दुर्घटनाओं में कई जानें चली गईं. लोकसभा चुनाव में उसे इस सबका नतीजा भुगतना पड़ा तो भी उसने अपना रवैया नहीं बदला है, जबकि नागरिकों की हालत ‘जहां बेदर्द हाकिम हो, वहां फरियाद क्या करनी’ जैसी हो गई है.
बहरहाल, बीडी द्विवेदी नामक यह भाजपा नेता स्थानीय कामताप्रसाद सुंदरलाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के प्रोफेसर और कालेज के शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी रहे थे. मीरापुर मुहल्ले की पशु अस्पताल वाली गली में स्थित अपने आवास पर शुक्रवार की सुबह उन्हें अचानक सीने में दर्द व बेचैनी होने लगी और बढ़ती ही गई तो उनके परिजन दिल के दौरे के अंदेशे से परेशान हो उठे. लेकिन पहले तो यातायात प्रतिबंधों के चलते प्रोफेसर को अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस ही वहां नहीं पहुंच पाई, फिर परिजनों ने उनको निजी वाहन से अस्पताल ले जाना चाहा तो रास्ते पर लगाए गए बैरियर आड़े आ गए, जिन्हें खुलवाने की जद्दोजहद में घंटों बीत गए. दुखद रहा कि बिना चिकित्सा सुविधा मिले वे रास्ते में ही चल बसे.
इस बीच परिजनों ने बहुत कोशिश की कि प्रशासन किसी और का नहीं तो उनके भाजपा से जुड़ाव का खयाल रखकर ही यातायात प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दे दे और बैरियर खोलकर उनके वाहन को अस्पताल पहुंच जाने दे. मगर ऐसा नहीं हुआ.
परिजनों के मुताबिक, पहले उन्हें देवकाली वाले बैरियर पर रोका गया तो वहां उपस्थित दारोगा से चिरौरी-बिनती भी किसी काम नहीं आई, जबकि एसएसपी और शहर कोतवाल का फोन नहीं उठा. कोई सवा घंटे बाद किसी तरह यह बैरियर खुला तो आगे दूसरे बैरियर आड़े आ गए. एक अन्य मार्ग से उन्हें उदया चौराहे से श्रीराम अस्पताल ले जाने की कोशिश भी नाकाम रही और जब तक परिजन कुछ और सोचते, उनके प्राण निकल गए.
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रोष, क्षोभ और हंगामा
इसकी खबर फैली तो भाजपाइयों ने अपना रोष व क्षोभ जताने के लिए थोड़ा हंगामा तो किया लेकिन फिर ‘निरंकुश’ प्रशासन के समक्ष अपनी ‘असहायता’ स्वीकार करने की ‘ईमानदारी’ प्रदर्शित करने लगे.
दूसरी ओर गैर-भाजपा हल्कों में इसको लेकर प्रशासन की तीखी आलोचनाएं की जा रही हैं. साथ ही पूछा जा रहा है कि स्थानीय भाजपाई इसके विरुद्ध मुखर होने का साहस अब कर पाएंगे? और कब तक श्रद्धालुओं की सुविधाओं के नाम पर अयोध्यावासियों की दुर्दशा के मूकदर्शक बने रहेंगे?
यह भी कहा जा रहा है कि जब प्रशासन को सत्ता दल से जुड़े प्रोफेसर के अस्पताल पहुंचने के रास्ते की बाधाएं दूर करने में दिलचस्पी लेना भी गवारा नहीं है, तो सामान्य जन से उसके सलूक की तो कल्पना करना भी मुश्किल है.
अयोध्या नागरिक मंच के संयोजक सम्पूर्णानंद बागी बताते हैं कि प्रशासन ने पाबंदियां लगाकर अयोध्यावासियों का अपने घरों से सड़कों पर आना मुश्किल किया तो उनकी इतनी भी परवाह नहीं की कि किसी आकस्मिकता के वक्त उन्हें और कुछ नहीं तो प्राथमिक चिकित्सा तो मिल जाए.
ज्ञातव्य है कि गत 13 जनवरी से ही राम मंदिर में दर्शन पूजन के लिए आ रहे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मुख्य मार्गों तक पहुंचाने वाली अयोध्या की प्रायः सारी गलियों व मार्गों पर बैरियर लगाकर उन्हें बंद कर दिया गया है. इससे शहर का वह श्रीराम चिकित्सालय भी, जो आकस्मिक तौर पर में उनके काम आता था, अयोध्यावासियों की पहुंच से दूर हो गया है. वे अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीदारी के लिए बाजार भी नहीं जा पा रहे हैं, जबकि लगभग दो माह से किसी न किसी बहाने विद्यालय बंद रखे जाने से उनके बेटे-बेटियों व पाल्यों की पढ़ाई-लिखाई भी चौपट हो जा रही है और विभिन्न परीक्षाओं में उनका शामिल होना भी कठिन हो चला है.
लोग दुखी हैं कि प्रशासन केवल श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रित करने और यह सुनिश्चित करने में लगा हुआ है कि उनको रामलला व हनुमानगढ़ी आदि के दर्शन व पूजन में कोई असुविधा न हो.
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श्रद्धालु भी बहुत खुश नहीं
यह और बात है कि इसके बावजूद श्रद्धालु भी दर्शन कराने के नाम पर ठगी और होटलों व होमस्टे आदि में कई तरह की ‘लूट’ व ज्यादतियों के शिकार हो रहे हैं. उन्हें एक-एक किलोमीटर की दूरी के लिए कई की सौ रुपये किराया देना पड़ रहा है.
जहां तक आम अयोध्यावासियों की बात है, वे बाजार जाकर आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की खरीदारी तक की सुविधा से वंचित होकर रह गए हैं.
हनुमानगढ़ी के पास के सिंहद्वार व कपिलगंज बाजार और अमावां मन्दिर के पास हरिश्चंद्र मार्केट की दुकानें गत 29 जनवरी यानी मौनी अमावस्या से ही बंद हैं. कहीं दुकानदार अपने घर से निकलकर दुकानें खोलने नहीं जा पा रहे तो कहीं बिक्री के लिए माल ही नहीं पहुंच रहा और कहीं ग्राहक ही नहीं पहुंच पा रहे.
समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) के जिलाध्यक्ष शिवप्रकाश यादव कहते हैं कि अयोध्या के भाजपाइयों को अब तो, जब वे स्वयं भी अपने नेतृत्व के इंगित पर कुछ भी सोचे समझे बिना, ताली व थाली आदि बजाने का अंजाम भुगतने को विवश हो रहे हैं, अपनी अंतरात्मा को जगाना और इसके प्रतिकार के लिए आगे आना चाहिए, जबकि कई व्यापारी नेता कहते हैं कि सड़कों पर लगे बैरियर वास्तव में व्यापारियों की जीविका पर लगाए गए हैं और वे समझ नहीं पा रहे कि उनसे कैसे पार पाएं.
सपना तो बहार का था!
उनका आरोप है कि उन्हें बताया गया था कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आएंगे तो उनके धंधे दिन दूने तो रात चौगुने फूलें और फलेंगे. लेकिन हो उसका ठीक उल्टा हो रहा है और पहले से होती आ रही कमाई भी ठप पड़ गई है. अयोध्या उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष पंकज गुप्त तो यहां तक कहते हैं कि महीनों से दुकानें बंद होने के कारण अनेक व्यापारी भुखमरी के कगार पर जा पहुंचे हैं और प्रशासन का पक्षपातपूर्ण रवैया कोढ़ में खाज की स्थिति पैदा किए हुए है.
दूसरी ओर, समाजवादी व्यापार सभा के नेता नंदकुमार गुप्त चेताते हैं कि प्रशासन की नीतियां ऐसी ही रहीं तो व्यापारियों के धैर्य को जवाब देने में देर नहीं लगेगी.
इस बीच अयोध्या के मेयर गिरीशपति त्रिपाठी ने जिले के डीएम व एसएसपी से बातचीत के हवाले से बताया है कि अब अयोध्यावासी आधार कार्ड दिखाने पर हर 20 मिनट पर रामपथ के अलावा सभी मार्गों के ‘कट’ से आ-जा सकेंगे. इसी तरह दीनबंधु तिराहे, रामघाट चौराहे, विद्याकुंड व अशर्फी भवन चौराहे और राजघाट के बैरियरों से वाहन निकालने की अनुमति होगी और देवकाली तिराहे, दीनबंधु तिराहे, टेढ़ी बाजार, लता मंगेशकर चौक, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल आदि स्थानों पर एंबुलेंस उपलब्ध रहेगी, जबकि रामपथ को उदया पब्लिक स्कूल की ओर से ही क्रॉस किया जा सकेगा.
लेकिन नागरिक इसे अपर्याप्त बता व कह रहे हैं कि महज इतने से उनकी मुश्किलें हल नहीं होंगी, जबकि दुकानदारों को शिकायत है कि इन सुविधाओं में उनकी समस्याओं को संबोधित ही नहीं किया गया है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)