वित्त वर्ष 2025 में मनरेगा के लिए अतिरिक्त धनराशि जारी नहीं करेगी केंद्र सरकार: रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए कोई अतिरिक्त धनराशि जारी न करने का फैसला किया है. उसका मानना ​​है कि 86,000 करोड़ रुपये का परिव्यय इस वर्ष के लिए पर्याप्त होगा.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: UN Women Asia and Pacific/Flickr CC BY NC ND 2.0)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए कोई अतिरिक्त धनराशि जारी नहीं करने का फैसला किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम के पीछे सरकार का तर्क यह है कि उसका मानना ​​है कि 86,000 करोड़ रुपये का परिव्यय इस वर्ष के लिए पर्याप्त होगा.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि इस वर्ष के आवंटन में से लगभग 7,500 करोड़ रुपये की बचत राशि से शेष अवधि को कवर किया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार ने कहा कि कुछ राज्य, जो अपेक्षाकृत ‘समृद्ध’ हैं, वे धनराशि का दुरुपयोग कर रहे हैं और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को जरूरतमंदों को रोजगार प्रदान करने के मूल उद्देश्य के बजाय वैकल्पिक आय स्रोत में बदल रहे हैं.

 

एक अधिकारी ने कहा, ‘राज्यों ने सबसे अधिक राशि कोविड के दौरान लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये निकाली थी, जब ग्रामीण संकट वास्तविक था. सामान्य समय में 86,000 करोड़ रुपये कम है और ग्रामीण मांग अपेक्षाकृत अच्छी चल रही है.’

वित्त वर्ष 2025 में अब तक केंद्र ने 82,684 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो 86,000 करोड़ रुपये के वार्षिक परिव्यय का 96% है. हालांकि, वास्तविक खर्च लगभग 94,500 करोड़ रुपये है, जिसमें योजना में कुछ पिछली बचत का उपयोग भी शामिल है.

हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र से बिना किसी देरी के धनराशि जारी करने का आग्रह किया था.

इस वर्ष के बजट में नरेंद्र मोदी सरकार ने इस योजना के लिए 86,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं – यह वही राशि है जो 2024-2025 के संशोधित अनुमान के अनुसार इस योजना पर खर्च की गई थी.

86,000 करोड़ रुपये वही राशि है जिसका वादा राष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार के सत्ता में आने के बाद जुलाई, 2024 में पेश किए गए 2024-25 के केंद्रीय बजट में किया गया था, जो हाल के वर्षों में इस योजना के लिए बजट में ठहराव का संकेत देता है.