पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में 60% से अधिक लोग वायु प्रदूषण के कारण हुए बीमार: अध्ययन

अर्थ सेंटर फॉर रैपिड इनसाइट्स (एसीआरआई) द्वारा पिछले साल 11-13 नवंबर के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के 60% से ज़्यादा लोगों ने प्रदूषण के कारण सांस संबंधी समस्याओं की शिकायत की है. राष्ट्रीय राजधानी में सांस संबंधी बीमारी सबसे गंभीर थी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@sol_regam)

नई दिल्ली: अर्थ सेंटर फॉर रैपिड इनसाइट्स (एसीआरआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के 60% से ज़्यादा लोगों ने प्रदूषण के कारण सांस संबंधी समस्याओं की शिकायत की है.

पिछले साल 11-13 नवंबर के बीच किए गए इस सर्वेक्षण में बिहार, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 8,698 परिवार शामिल थे. इसमें पाया गया कि सर्वे से पहले के दो हफ़्तों में 55% से ज़्यादा घरों में वायु प्रदूषण के कारण कम से कम एक सदस्य को खांसी या सांस लेने में तकलीफ़ थी.

राष्ट्रीय राजधानी में सांस संबंधी बीमारी सबसे गंभीर थी, जहां 65% परिवारों ने ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया.

सर्वेक्षण से पहले के दो हफ़्तों में सांस संबंधी बीमारी से प्रभावित 65% से ज़्यादा लोगों ने कम से कम एक दिन काम या स्कूल नहीं गए. उनमें से लगभग 40% ने तीन दिन से ज़्यादा काम नहीं किया.

18-30 वर्ष की आयु वाले लोगों में से 70% से अधिक लोग एक दिन काम पर या स्कूल से अनुपस्थित रहे.

एसीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसके अलावा सभी सर्वे किए गए राज्यों में 60% से अधिक प्रभावित लोगों ने वायु गुणवत्ता से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण पिछले दो सप्ताह में कम से कम एक कार्यदिवस गंवाया है, जो उत्पादकता में काफी नुकसान का संकेत है.’

लिंग-वार आंकड़ों से पता चला कि 63% महिलाओं की तुलना में लगभग 67% पुरुष काम से अनुपस्थित रहे.

निपटने के तरीके

अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मास्क पहनना प्राथमिक उपाय के रूप में उभरा है.

सर्वेक्षण में शामिल लगभग 40% लोगों ने मास्क का विकल्प चुना, 17% ने घर के अंदर रहने का विकल्प चुना, 11% ने अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखीं तथा 8% ने एयर प्यूरीफायर का उपयोग किया.

लगभग 24% लोगों ने माना कि उनके पास वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई रणनीति नहीं है.

अध्ययन में कहा गया है, ‘यह कम आय वाले परिवारों पर असंगत बोझ को उजागर करता है, जिनके पास एयर प्यूरीफायर या निजी परिवहन तक पहुंच नहीं है. हालांकि दूरस्थ कार्य नीतियों और स्कूल बंद करने जैसे सरकारी हस्तक्षेप जोखिम को कम करने में मदद करते हैं, पर ये उपाय मुख्य रूप से शहरी और अमीर आबादी को ही फायदा पहुंचाते हैं.’

इस मसले पर भी लिंग विभाजन दिखाई दे जाता है. स्त्री की तुलना में पुरुषों के पास मास्क और एयर प्यूरीफायर अधिक उपलब्ध थे, जबकि पुरुषों के मुकाबले अधिक महिलाएं घर के अंदर रहीं.

दिल्ली में सबसे अधिक लोग मास्क पहनना पसंद करते हैं, जहां 50% लोगों ने मास्क पहनना पसंद किया, जबकि हरियाणा और मध्य प्रदेश में लगभग 11% लोग एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने के लिए तैयार हैं.