गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि कश्मीर में पत्थरबाज़ी की घटनाओं में कमी आई है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में हथियार उठाने वाले कश्मीरी नौजवानों की तादाद पिछले आठ साल में सबसे ज़्यादा हो गई है.
जम्मू/श्रीनगर: कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि कश्मीर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की भूमिका की वजह से पत्थरबाज़ों की संख्या में कमी आई है. हालांकि उनके इस दावे से इतर एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2017 में हथियार उठाने वाले कश्मीरी नौजवानों की तादाद पिछले आठ साल में सबसे ज़्यादा हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले कश्मीरी नौजवानों की संख्या में अच्छा-ख़ासा उछाल आया है. नौजवानों के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के आंकड़े जुटाने का काम 2010 में शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब ऐसे युवाओं की संख्या 100 को पार कर गई है. बीते रविवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों में बताया गया है कि 2016 में यह आंकड़ा 88 था जबकि 2017 के नवंबर महीने तक ही यह आंकड़ा 117 हो गया था. दक्षिण कश्मीर हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को सदस्य मुहैया कराने वाले एक प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरा है.
बीते अगस्त महीने में राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘आपने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की भूमिका को देखा होगा. वहां पत्थरबाज़ी की घटनाओं में कमी आई है. हमने भारत की सुरक्षा का संकल्प लिया है और इसके लिए हम कड़े क़दम उठा रहे हैं. हम चुनौतियों को स्वीकार करेंगे और पिछले तीन सालों में नक्सली वारदातों, आतंकवादी और अतिवादी घटनाओं में कमी देखी गई है.’
लखनऊ में एनआईए अधिकारियों के कार्यालय और आवास के उद्घाटन समारोह में गृह मंत्री ने कहा था, ‘हम नक्सलवाद, आतंकवाद और अतिवाद पर जीत हासिल कर लेंगे. पिछले तीन सालों में उत्तर पूर्व में अतिवादी घटनाओं में 75 प्रतिशत की कमी आई है और नक्सली घटनाओं में 35 से 40 प्रतिशत की कमी आई है.’
इसके अलावा अभी पिछले हफ्ते ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर ने भी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि जम्मू कश्मीर में पथराव की घटनाओं में भी काफी कमी आई है.
बहरहाल इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल विभिन्न आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं में 12 अनंतनाग, 45 पुलवामा और अवंतीपुरा, 24 शोपियां और 10 कुलगाम के हैं.
उत्तर कश्मीर से जुड़े आंकड़ों में कुपवाड़ा से चार, बारामुला और सोपोर से छह जबकि बांदीपुर से सात नौजवान आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
मध्य कश्मीर में आने वाले श्रीनगर ज़िले से पांच जबकि बड़गाम से चार नौजवान आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
यह रिपोर्ट घाटी में चलाए गए विभिन्न आतंकवाद निरोधक अभियानों के दौरान गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों से पूछताछ में जानकारी और तकनीकी एवं इंसानी खुफिया तंत्र से इकट्ठा की गई सूचनाओं पर आधारित है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले नौजवानों की संख्या 117 है, लेकिन जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य की दलील है कि यह संख्या काफी कम है.
बहरहाल, एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि पुलिस के आंकड़ों में सिर्फ ऐसे मामलों को जगह मिलती है जो पुलिस स्टेशनों में दर्ज किए जाते हैं, जबकि वास्तविक आंकड़े हमेशा ज़्यादा होते हैं, क्योंकि कई माता-पिता डर के कारण मामले की जानकारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नहीं देते.
इस साल मार्च में संसद के पटल पर रखे गए आंकड़ों के मुताबिक, 2011, 2012 और 2013 की तुलना में 2014 के बाद घाटी में हथियार उठाने वाले नौजवानों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है.
आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले कश्मीरी नौजवानों की संख्या वर्ष 2010 में 54, 2011 में 23, 2012 में 21 और 2013 में 16 थी. साल 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 53 हो गया जबकि 2015 में 66 और 2016 में बढ़कर 88 हो गया.
कश्मीर पुलिस प्रमुख ने रिपोर्ट को तवज्जो नहीं दी
जम्मू कश्मीर पुलिस प्रमुख एसपी वैद्य ने बीते सोमवार को इस रिपोर्ट को बहुत अधिक तवज्जो नहीं दी. उन्होंने कहा कि आतंकवाद में वृद्धि नहीं हुई है और राज्य में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं.
वैद्य ने यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘यह (युवाओं का आतंकवाद में शामिल होने की बड़ी तादाद) तथ्यों पर आधारित नहीं है. आतंकवाद बढ़ नहीं रहा है और हकीक़त है कि (कश्मीर में) हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं.’
उन्होंने आतंकवाद में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या पर पूछे गए सवाल को टाल दिया. वैद्य ने कहा कि स्थानीय आतंकवादियों के माता-पिता अपने बच्चों से अपील कर रहे हैं कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हों.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में डर का कोई माहौल नहीं है. उन लड़कियों से पूछें जो देश के अन्य हिस्सों से यहां आई हैं.’
उन्होंने यह बात महिला खिलाड़ियों का उल्लेख करते हुए कहीं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के पहले टी20 प्रीमियर लीग में हिस्सा लिया. इस लीग का सोमवार को परेड ग्राउंड पर समापन हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)