बीते साल पीएम मोदी की विदेश यात्राओं की लागत लगभग 20 करोड़ रुपये रही: आरटीआई

ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा की कुल लागत कई करोड़ रुपये है, जिसका ख़र्च प्रधानमंत्री कार्यालय उठाता है. साथ ही विदेश में पीएम मोदी को देखने आने वाली भीड़ का ख़र्चा भी पीएमओ द्वारा ही किया जाता है.

जुलाई 2024 में मॉस्को यात्रा पर निकलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 2024में एक के बाद एक कई विदेशी देशों के राजनयिक दौरे किए. इन दौरान विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों की सामुदायिक कार्यक्रमों में उमड़ी भीड़ भी काफी सुर्खियों रही.

न्यूज़लॉन्ड्री की एक खबर के मुताबिक, भूटान और कुवैत से लेकर यूक्रेन और अमेरिका तक 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश यात्रा की कुल लागत कई करोड़ रुपये है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा फंड किया जाता है.

रिपोर्ट बताती है कि इसके साथ ही विदेश में पीएम मोदी को देखने के लिए उमड़ने वाली भीड़ का खर्चा भी भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा ही दिया जाता है.

ये सभी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत दायर पारदर्शिता एक्टिविस्ट कमोडोर (सेवानिवृत्त) लोकेश बत्रा के आरटीआई आवेदन के जवाब में सामने आई है.

हालांकि, बत्रा को प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की कुल लागत का जवाब अभी भी नहीं मिला है. लेकिन इससे बीते साल पीएम मोदी के 16 देशों के राजनयिक दौरे में हुए खर्चे की एक झलक जरूर मिलती है.

आरटीआई जवाब के अनुसार, मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री की दो रूस यात्राओं पर 15 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए. जबकि अबू धाबी की यात्रा पर लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत आई. हालांकि, विदेश में अधिकांश भारतीय दूतावासों ने बत्रा द्वारा दायर आरटीआई के सवालों का जवाब अभी तक नहीं दिया है, जिसके चलते इसमें बीते साल हुई सभी यात्राओं की कुल लागत की जानकारी का खुलासा नहीं हो सका है.

अपने आरटीआई आवेदन में बत्रा ने प्रत्येक विदेशी यात्रा की कुल लागत, आवास, परिवहन और कार्यक्रमों जैसे विभिन्न मदों के तहत खर्चों का विवरण पूछा था और इस बात की जानकारी भी मांगी थी कि क्या इन यात्राओं का कोई भी हिस्सा बाहरी संगठनों द्वारा प्रायोजित या वित्त पोषित की गई थीं. मोदी ने जिन देशों का दौरा किया वहां के सभी भारतीय दूतावासों में आरटीआई दाखिल करने के बावजूद, बत्रा को अब तक केवल दो देशों – मॉस्को और अबू धाबी से प्रतिक्रिया मिली है.

इस संबंध में एक्टिविस्ट बत्रा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘ज्यादातर दूतावास मेरी आरटीआई को स्वयं जानकारी प्रदान करने के बजाय विदेश मंत्रालय को भेज रहे हैं.’

मॉस्को सामुदायिक रिसेप्शन की लागत 1.87 करोड़ रुपये

अबू धाबी में भारतीय दूतावास के अनुसार, फरवरी 2024 में मोदी की संयुक्त अरब अमीरात यात्रा पर 4.95 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें व्यय ‘मंत्रिपरिषद’ के बजट मद के तहत किया गया था.

मॉस्को में भारतीय दूतावास के आरटीआई विवरण से पता चलता है कि पीएम की रूस की दो यात्राएं – जुलाई में मॉस्को और अक्टूबर में कज़ान – 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से हुईं.

मॉस्को की जुलाई यात्रा की लागत 5.12 करोड़ रुपये थी, जिसमें होटल व्यवस्था के लिए 1.81 करोड़ रुपये, दैनिक भत्ते के लिए 20.81 लाख रुपये, सामुदायिक स्वागत के लिए 1.87 करोड़ रुपये, परिवहन के लिए 59.06 लाख रुपये और अन्य विविध खर्चों में 62.56 लाख रुपये शामिल थे.

कज़ान की अक्टूबर यात्रा में सरकारी खजाने पर 10.24 करोड़ रुपये का खर्च आया. होटलों पर 1.62 करोड़ रुपये, दैनिक भत्ते पर 25.67 लाख रुपये, परिवहन पर 1.79 करोड़ रुपये और विविध खर्चों के तहत 6.56 करोड़ रुपये खर्च किए गए. दूतावास ने इन यात्राओं के लिए किसी बाहरी प्रायोजन या फंडिंग का संकेत नहीं दिया.

बत्रा ने पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि करदाताओं के पैसे का हिसाब होना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘यह अजीब है कि कई दूतावास, जिन्होंने 2015 में मेरी आरटीआई के जवाब में समान विवरण प्रदान किया था, अब उन सूचनाओं से इनकार कर रहे हैं जो आरटीआई अधिनियम के सक्रिय प्रकटीकरण खंड के तहत सार्वजनिक डोमेन में होनी चाहिए.’