नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया है कि संयुक्त अरब अमीरात में मृत्युदंड की सजा पाने वाली 33 वर्षीय भारतीय नागरिक शहजादी खान को फांसी दे दी गई है. बताया गया है कि फांसी से दो सप्ताह पहले खान ने अपने माता-पिता को अंतिम बार कॉल किया था.
रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने शहजादी खान के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि उसे पिछले महीने फांसी दे दी गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उन्होंने कहा, ‘सब ख़त्म हो गया है. उन्हें 15 फरवरी को फांसी दे दी गई. अंतिम संस्कार 5 मार्च को होगा.’
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2023 में चार महीने के बच्चे की कथित हत्या के आरोप में शहजादी खान गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके पिता ने उनकी स्थिति के बारे में जानकारी मांगते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. बाद में विदेश मंत्रालय के बाहरी प्रचार विभाग ने पुष्टि की थी कि ‘यूएई अधिकारियों ने 28 फरवरी, 2025 को (भारतीय) दूतावास को सूचित किया कि शहजादी की सज़ा स्थानीय कानूनों के अनुसार पूरी की गई है.’
इसमें यह भी कहा गया है कि खान के परिवार को सूचित कर दिया गया है.
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारतीय दूतावास ने ‘यूएई सरकार को दया याचिकाएं और क्षमा अनुरोध भेजने’ सहित सभी संभव कानूनी सहायता प्रदान की है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि भारत सरकार को शहजादी की फांसी की पुष्टि मिलने में देरी क्यों हुई.
इस बीच, बीते 16 फरवरी को शहजादी के पिता शब्बीर खान ने मीडिया से मदद मांगी, क्योंकि उन्हें एक दिन पहले उनकी बेटी का फोन आया था, जब उन्होंने कहा था कि उन्हें 24 घंटे के भीतर दुबई की जेल में फांसी दे दी जाएगी.
इंडिया न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘अब्बा, यह मेरी आखिरी कॉल है. अब मुझे दूसरे सेल में शिफ्ट कर दिया गया है. शायद, मैं आपको फिर से कॉल न कर पाऊं.’
हालांकि, अगले दिन आधिकारिक सूत्रों ने रिपोर्ट को ‘गलत’ बताकर खारिज कर दिया था.
सूत्रों ने 17 फरवरी को बताया, ‘दूतावास ने यूएई अधिकारियों से इसकी पुष्टि की है. उसके मामले में एक समीक्षा याचिका दायर की गई है और मामला विचाराधीन है. दूतावास मामले पर आगे की कार्रवाई जारी रखे हुए है.’
इस बात पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है कि भारतीय दूतावास ने 17 फरवरी को कैसे दावा किया कि वह जीवित है, जबकि उनकी फांसी दो दिन पहले ही हो चुकी थी.
हाल के वर्षों में भारत ने यूएई के साथ मजबूत संबंध विकसित किए हैं, खासतौर पर राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर. हालांकि, इस मामले में इसका बहुत कम असर हुआ है, क्योंकि आधिकारिक दृष्टिकोण से पता चलता है कि चूंकि पीड़ित यूएई का नागरिक था, इसलिए आरोपी शहजादी को राहत मिलने की संभावना हमेशा कम ही थी.
दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी खान ने कहा कि उनकी बेटी शहजादी की स्थिति के बारे में ‘गहरी अनिश्चितता’ है और स्पष्टीकरण के लिए विदेश मंत्रालय से बार-बार किए गए उनके आवेदन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
याचिका में कहा गया है, ’14 फरवरी, 2025 को याचिकाकर्ता की बेटी ने हिरासत से उन्हें फोन करके बताया कि उसे हिरासत केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है और संभावित फांसी से पहले उसकी अंतिम इच्छा अपने माता-पिता से बात करना है.’
इसमें आगे कहा गया, ‘याचिकाकर्ता ने काफी प्रयास के बाद 21 फरवरी, 2025 को विदेश मंत्रालय को एक आवेदन दिया, जिसमें उनकी बेटी की वर्तमान कानूनी स्थिति का पता लगाने और यह पुष्टि करने की मांग की गई कि क्या वह जीवित है या उसे मार दिया गया है.’
केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि दूतावास के अधिकारी याचिकाकर्ता के संपर्क में हैं और परिवार के लिए अबू धाबी में शहजादी के अंतिम संस्कार में शामिल होने की व्यवस्था की जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की. हमने अदालत में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए वहां एक कानूनी फर्म को नियुक्त किया. लेकिन वहां के कानून शिशु हत्या से बहुत सख्ती से निपटते हैं.’
याचिका में कहा गया है कि शहजादी ने दिसंबर 2021 में कानूनी वीजा पर अबू धाबी गई थीं. अगस्त 2022 में उनके नियोक्ता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसकी देखभाल करने के लिए शहज़ादी को काम पर रखा गया. 7 दिसंबर, 2022 को शिशु को नियमित टीके लगाए गए और उसी शाम उसकी मृत्यु हो गई.