नई दिल्ली: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ हुई तीखी बहस के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगा दी है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के हवाले से कहा है कि ये सैन्य सहायता अब तब तक फिर से शुरू नहीं की जाएगी, जब तक कि राष्ट्रपति ट्रंप यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि यूक्रेन ने रूस के साथ शांति वार्ता के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये अस्थाई रोक तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है और इससे यूक्रेन को भेजे जाने वाले करोड़ों डॉलर के हथियार प्रभावित होंगे. इस फैसले से यूक्रेन भेजे जाने वाले पाइपलाइन में पड़े 1 बिलियन डॉलर से अधिक के हथियार और गोला-बारूद प्रभावित होंगे. ट्रंप ने इस संबंध में करोड़ों डॉलर की आपूर्ति भी रोक दी है, जो यूक्रेन को भेजी जानी थी.
ज्ञात हो कि ट्रंप और ज़ेलेंस्की की बैठक असफल होने के बाद ट्रंप और उनके वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोगियों ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की, जिसमें यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता निलंबित करने की घोषणा की गई.
डीडब्ल्यू ने एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप इस बारे में स्पष्ट हैं कि उनका ध्यान शांति पर केंद्रित है. हम चाहते हैं कि हमारे सहयोगी भी इसी लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हों.’
मालूम हो कि रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करने के तीन साल बाद बीते 25 फरवरी को ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका युद्ध क्षेत्र में शांति के लिए यूरोपीय संघ और यूक्रेन समर्थित प्रस्ताव के खिलाफ मतदान में रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया के साथ शामिल हो गया था.
इस पृष्ठभूमि में ज़ेलेंस्की ने एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए वाशिंगटन का दौरा किया था, जिस दौरान ओवल कार्यालय में तीखी बहस हुई और इसका सीधा प्रसारण किया गया था. टकराव के बाद ज़ेलेंस्की समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना ही अचानक ह्वाइट हाउस से चले गए, जिसके चलते उनके और ट्रंप के बीच एक नियोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन रद्द कर दिया गया.
ह्वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि इस बातचीत के बाद ट्रंप ने कहा है कि वह वर्तमान में इस सौदे पर दोबारा विचार करने या इसे फिर उठाने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं.
इस निलंबित सौदे के प्रस्ताव में एक ‘पुनर्निर्माण निवेश कोष‘ का निर्माण था, जिसे अमेरिका और यूक्रेन द्वारा संयुक्त रूप से स्वामित्व और प्रबंधित किया जाना था. इससे ज़ेलेंस्की और कुछ बहुत शक्तिशाली यूक्रेनियन लोगों के बीच टकराव बढ़ने की भी संभावना थी.
इस सौदे में अमेरिकी योगदान कम स्पष्ट रूप से परिभाषित थे, क्योंकि ट्रंप का मानना है कि सहायता समर्थन के कारण यूक्रेन पर पहले से ही अमेरिका का पैसा बकाया है.
गौरतलब है कि ये बैठक ओवल ऑफिस में सार्वजनिक रूप से अब तक के सबसे बड़े नाटकीय घटनाक्रमों में से एक थी, जिसमें ट्रंप के कार्यालय संभालने के बाद से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और यूक्रेन के बीच आमूल-चूल अलगाव को रेखांकित किया गया था.