दिल्ली दंगा: कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ एफआईआर के विरोध में पुलिस, कहा- उनकी कोई भूमिका नहीं

दिल्ली के यमुना विहार के एक निवासी मोहम्मद इलियास ने दिल्ली दंगों के संबंध में भाजपा नेता कपिल मिश्रा और छह अन्य लोगों की भूमिका की जांच की मांग करते हुए दिसंबर 2024 में अदालत का रुख़ किया था. दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध किया है.

भाजपा नेता कपिल मिश्रा 23 फरवरी 2020 को जाफराबाद में समर्थकों को संबोधित करते हुए. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने बुधवार (5 मार्च) को 2020 दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वर्तमान विधायक कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दायर याचिका का जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा में मिश्रा की कथित भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है और कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया है.

मालूम हो कि इलियास ने दिल्ली दंगों के संबंध में कपिल मिश्रा और छह अन्य लोगों की भूमिका की जांच की मांग करते हुए दिसंबर 2024 में अदालत का रुख किया था. इस दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे.

इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने की अदालत में गई.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस याचिका में दंगों में कथित संलिप्तता के लिए कपिल मिश्रा के साथ ही मुस्तफाबाद विधायक और डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट, तत्कालीन डीसीपी (उत्तर पूर्व), दयालपुर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ और पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान का नाम भी शामिल किया गया है.

इलियास ने दावा किया है कि उन्होंने 23 फरवरी, 2020 को मिश्रा और अन्य लोगों को कर्दमपुरी में एक सड़क को अवरुद्ध करते और सड़क विक्रेताओं के ठेलों को नष्ट करते हुए देखा था. उन्होंने यह भी कहा है कि पूर्व (उत्तर पूर्व) डीसीपी और कुछ अन्य अधिकारी मिश्रा के साथ खड़े थे, जब उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को धमकी दी थी.

इलियास ने अपनी याचिका में यह भी दावा है कि उन्होंने दयालपुर के पूर्व एसएचओ और अन्य लोगों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मस्जिदों में तोड़फोड़ करते देखा था.

ज्ञात हो कि अदालत 24 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में इस याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी.

दिल्ली दंगा मामला और मिश्रा का भड़काऊ भाषण

गौरतलब है कि 2020 के दिल्ली दंगों के संबंध में पुलिस ने उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम सहित कई छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं को दंगों के सह-साजिशकर्ता के रूप में नामित किया है.

हालांकि, इस मामले में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा गठित 10 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कहा था कि दिल्ली में हिंसा ‘योजनाबद्ध और लक्षित’ थी और इसके लिए कपिल मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया था.

रिपोर्ट में कहा गया था कि 23 फरवरी, 2020 को मौजपुर में कपिल मिश्रा के संक्षिप्त भाषण के तुरंत बाद विभिन्न इलाकों में हिंसा शुरू हो गई, जिसमें उन्होंने खुले तौर पर उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने का आह्वान किया था. बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.

इसमें कहा गया था कि मिश्रा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह और उनके समर्थक मामले को अपने हाथों में लेंगे, ‘अगर तीन दिनों के बाद सड़कें खाली नहीं की गईं तो हम पुलिस की बात नहीं सुनेंगे…’

रिपोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली दंगों के मामले की जांच भेदभावपूर्ण है. ज्यादातर मामलों में पुलिस पहले मुस्लिम आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किए गए है.

समिति ने कहा कि पुलिस की बात ‘न सुनने’ की खुली स्वीकारोक्ति और अतिरिक्त-कानूनी रणनीति को उपस्थित अधिकारियों द्वारा हिंसा भड़काने के रूप में देखा जाना चाहिए था. लेकिन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या के ठीक बगल में खड़े होने के बावजूद, पुलिस द्वारा मिश्रा को गिरफ्तार नहीं करने पर समिति ने कहा कि यह इंगित करता है कि वे हिंसा को रोकने और जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए आवश्यक पहला और सबसे तत्काल निवारक कदम उठाने में विफल रहे.

ज्ञात हो कि कपिल मिश्रा अब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में कानून और न्याय मंत्री हैं.

बता दें कि दिल्ली में दंगा भड़कने से एक दिन पहले 23 फरवरी को कपिल मिश्रा ने एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें वह मौजपुर ट्रैफिक सिग्नल के पास सीएए के समर्थन में जुड़ी भीड़ को संबोधित करते देखे जा सकते हैं. इस दौरान उनके साथ उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी वेदप्रकाश सूर्या भी खड़े हैं.

मिश्रा कहते दिखते हैं, ‘वे (प्रदर्शनकारी) दिल्ली में तनाव पैदा करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने सड़कें बंद कर दी हैं. इसलिए उन्होंने यहां दंगे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. हमने कोई पथराव नहीं किया. हमारे सामने डीसीपी खड़े हैं और आपकी तरफ से मैं उनको यह बताना चाहता हूं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत में रहने तक हम इलाके को शांतिपूर्वक छोड़ रहे हैं. अगर तब तक सड़कें खाली नहीं हुईं तो हम आपकी (पुलिस) भी नहीं सुनेंगे. हमें सड़कों पर उतरना पडे़गा.’

इससे पहले दिल्ली की एक कोर्ट ने उन दो याचिकाओं पर पुलिस से जवाब मांगा था, जिसमें उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को लेकर भाजपा नेता कपिल मिश्रा एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली निवासी दो शिकायतकर्ताओं ने कड़कड़डूमा कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी उनके क्षेत्र की शांति एवं सौहार्द भंग करने तथा दंगा कराने में सहयोग करने के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की जाए.

इसी मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा दायर एक शिकायत पर भी दिल्ली पुलिस को कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. इस याचिका में भी कपिल मिश्रा के खिलाफ एफाीआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया था.

वहीं, सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि जुलाई के आखिरी हफ्ते में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के संबंध में पूछताछ की थी. पूछताछ में उन्होंने दावा किया था कि वह उस इलाके में मामले को सुलझाने के लिए गए हुए थे.

मिश्रा ने यह भी दावा किया कि वहां उन्होंने भाषण नहीं दिया था और एक डीसीपी के बगल में खड़े होकर उन्होंने जो बात कही थी उसका सिर्फ ये मतलब था कि वह सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ धरने की शुरुआत करेंगे.