बीरभूम में टीएमसी के ज़िलाध्यक्ष ने कहा कि राज्य में इमामों-मुअज्जिनों को सरकार की ओर से भत्ता मिलता है. इस सूची में पुजारियों को शामिल कर संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
सूरी: भारतीय जनता पार्टी द्वारा अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोपों को ख़ारिज करने के लिए पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) बीरभूम जिले में पांच हजार मंदिर के पुजारियों का सम्मलेन करवाने जा रही है.
द टेलीग्राफ के अनुसार टीएमसी बीरभूम के जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने अगले महीने मंदिर के पुजारियों की सभा रखी है. उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं से जिले के 19 ब्लॉक में पुजारियों की जनगणना करने को कहा है, ताकि रैली में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सकें.
बंगाल में गैर भाजपा दलों ने अक्सर केवल मजदूर, किसान और कामगारों की रैली का आयोजन किया है और इन रैलियों में अक्सर राजनीति और आर्थिक नीतियों पर बात होती है.
मंडल ने कहा, ‘हम पुजारियों को एक नामाबली, एक गीता, श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद पर किताबों के साथ श्री राम-कृष्ण और शारदा देवी की तस्वीरें देंगे. भाजपा नेता इस कार्यक्रम के बारे में सोचकर घबरा रहे हैं. हमारे राज्य में हिंदुत्व कार्ड नहीं चलेगा, हमारी पार्टी, हमारी सरकार सभी लोगों के लिए है.’
उन्होंने बताया कि राज्य में इमामों और बतौर मुअज्जिन (मस्जिद में काम करने वाले) काम करने वालों को सरकार की तरफ से भत्ता मिलता है और इस सूची में पुजारियों को शामिल कर संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल में कुल 35 प्रतिशत मतदाता अल्पसंख्यक समुदाय से हैं.
संघ परिवार के रामनवमी और हनुमान जयंती कार्यक्रमों का मुकाबला करने के लिए इस साल की शुरुआत में मंडल ने बीरभूम जिले के प्रसिद्ध कंकालीताला मंदिर में असम के कामख्या मंदिर के 11 पुजारियों द्वारा यज्ञ करवाया गया था.
वहीं टीएमसी के इस कदम पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि टीएमसी का यह कदम हताशा से भरा एक नाटक है.
सूत्रों के अनुसार सूरी में 24 दिसंबर को भाजपा ने एक रैली का आयोजन किया था और लगभग 15 हजार की भीड़ जुटाने में सफल रहे थे. रैली ने स्थानीय टीएमसी नेताओं को चिंतित कर दिया है और यह कार्यक्रम इसी लिए आयोजित किया जा रहा है.
सूत्रों का यह भी कहना है कि अगर ट्रेड यूनियन की तर्ज पर अगर पुजारियों का संगठन बनता है, तो उन्हें भी सरकारी सुविधा मिलेगी.
गौरतलब है कि टीएमसी की छवि कभी ऐसी नहीं रही है. अक्सर भाजपा द्वारा उस पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगता रहता है. ऐसे में उनका यह कदम लोगों को चौंका रहा है.
रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर विश्वनाथ चक्रवर्ती ने द टेलीग्राफ अख़बार से बात करते हुए कहा, ‘यह बंगाल की राजनीति और समाज के लिए एक गलत शुरुआत है, जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.’