आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, कलकत्ता, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक और मणिपुर की उच्च अदालतें बगैर किसी नियमित मुख्य न्यायधीश के काम कर रही हैं.
नई दिल्ली: सरकार ने बताया कि देश की ज़िला एवं अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 2 करोड़ 60 लाख से अधिक को गई है तथा इन स्तरों पर न्यायिक अधिकारियों के 5,984 पद रिक्त हैं.
लोकसभा में राजेश भाई चुड़ास्मा, सीएन जयदेवन और जयश्री बेन पटेल के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने बीते बुधवार को यह जानकारी दी.
चौधरी की ओर से सदन में पेश देश की ज़िला एवं अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों का आंकड़ों के अनुसार 22 दिसंबर, 2017 तक देश की ज़िला एवं अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 2,60,62,851 हो गई.
इन आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की ज़िला एवं अधीनस्थ अदालतों में सबसे अधिक 61,49,151 मामले लंबित हैं. महाराष्ट्र में 33 लाख से अधिक और पश्चिम बंगाल में 17 लाख से अधिक मामले लंबित हैं.
मंत्री ने कहा कि राज्यों की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में 16,693 न्यायिक अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि कुल 5,984 पद रिक्त हैं.
उच्चतम न्यायालय में न्यायधीशों की नियुक्ति के संबंध में सरकार को प्रस्ताव मिलना अभी बाकी
सरकार ने उच्च सदन को बताया कि उच्चतम न्यायालय में न्यायधीशों के पद की छह रिक्तियां हैं जबकि नौ उच्च न्यायालय बग़ैर किसी नियमित मुख्य न्यायाधीश के काम कर रहे हैं लेकिन सरकार को उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम से इन रिक्तियों को भरने के संबंध में अभी प्रस्ताव नहीं प्राप्त हुआ है.
केंद्रीय विधि राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उच्च सदन को बताया कि सरकार को उच्चतम न्यायालय में न्यायधीशों के छह रिक्त पदों को भरने और नौ उच्च अदालतों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोई प्रस्ताव नहीं प्राप्त हुआ है. ये अदालतें कार्यवाहक मुख्य न्यायधीशों की निगरानी में काम कर रही हैं.
उच्चतम न्यायालयों में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायधीशों के 31 पदों के लिए मंजूरी प्राप्त है.
आंध्र प्रदेश/तेलंगाना, बॉम्बे, कलकत्ता, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक और मणिपुर की उच्च अदालतें बगैर किसी नियमित मुख्य न्यायधीश के काम कर रही हैं.
उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च अदालतों में न्यायधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के अनुसार, उच्चतम न्यायालय का कॉलेजियम सरकार को उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करता है जो बदले में प्रस्ताव को या तो स्वीकार करती है अथवा इस पर पुनर्विचार करने के लिए इसे वापस लौटा देती है.
कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम जज शामिल होते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)