नई दिल्ली: भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में ‘आतंकवादी संरचनाओं’ के खिलाफ सैन्य हमलों की घोषणा करते हुए नौ जगहों को निशाना बनाए जाने की बात कही है, लेकिन इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया कि किन जगहों पर हमला किया गया. हालंकि यह बताया गया है कि ये सभी वे स्थान थे ‘जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और निर्देशित की गई थीं.’
रिपोर्ट के अनुसार, निशाना बनाई गई जगहों के बारे में जानकारी सबसे पहले पाकिस्तान के अंदर विभिन्न स्थानों, विशेष रूप से बहावलपुर से जलती हुई इमारतों के जल्दबाजी में शूट किए गए वीडियो फुटेज में सामने आई.
भारतीय समयानुसार सुबह 04:38 बजे पाकिस्तान के मुख्य सैन्य प्रवक्ता ने पाकिस्तान के छह स्थानों का नाम बताए, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें निशाना बनाया गया था. इनमें से चार पश्चिमी पंजाब में थे: बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट में कोटकी लोहारा गांव और शकरगढ़ के पास का एक इलाका, जबकि बाकी दो पीओके, यानी मुज़फ़्फ़राबाद और कोटली में थे. उन्होंने कहा कि कुल ’24 हमले’ हुए थे.
बाद में सुबह, भारतीय सूत्रों ने भाजपा बीट कवर करने वाले पत्रकारों को सेना द्वारा चुने गए नौ लक्ष्यों की सूची और उन्हें क्यों चुना गया, इसके संकेत दिए. जहां बहावलपुर और मुरीदके की भूमिकाएं सर्वविदित हैं, अन्य सात स्थानों के बारे में दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती.
1. बहावलपुर, पंजाब
पाकिस्तान के अंदर करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बसा पंजाब का यह बड़ा शहर आतंकी रिहाइश के लिए जाना जाता है. बताया जाता है कि शहर के अहमदपुर इलाके में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है. साल 2000 के अंत में IC-814 के हाईजैकर्स द्वारा बंधक बनाए गए यात्रियों की रिहाई के बदले में भारत द्वारा रिहा किए गए आतंकवादियों में से एक मसूद अजहर द्वारा स्थापित जैश-ए-मोहम्मद पिछले दो दशकों में भारत में हुई कई आतंकवादी घटनाओं में शामिल रहा है.
प्रेस वार्ता में कर्नल कुरैशी ने कहा कि मरकज सुभान अल्लाह शिविर को निशाना बनाया गया, जो जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और ‘शिक्षा और प्रशिक्षण का केंद्र’ था.
2. मुरीदके, पंजाब
अंतरराष्ट्रीय सीमा से 30 किलोमीटर दूर स्थित यह शहर लंबे समय तक लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय था, जो भारत के खिलाफ सक्रिय सबसे घातक आतंकवादी समूहों में से एक है.
भारत का मानना है कि यहीं से हाफ़िज़ सईद ने 2008 में मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमले की योजना बनाई थी. सईद कई साल पहले मुरीदके से बाहर चला गया था और माना जाता है कि वह अब लाहौर में है. इस शहर के भारत की लक्ष्य सूची में होने की उच्च संभावना को देखते हुए यह संभावना नहीं है कि लश्कर ने वहां महत्वपूर्ण जनशक्ति बनाए रखी होगी.
भारत ने कहा कि हमलों ने मुरीदके में मरकज़ तैयबा शिविर को निशाना बनाया, जिसने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के पीछे अजमल कसाब और डेविड हेडली सहित आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया था.
3. सरजल कैंप, शकरगढ़ जिला, पंजाब
भारत ने कहा कि हमलों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित सियालकोट में सरजल कैंप को निशाना बनाया है. मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर के चार पुलिस अधिकारियों की हत्या करने वाले आतंकवादियों को इसी कैंप में प्रशिक्षित किया गया था.
4. महमूना कैंप, सियालकोट जिला, पंजाब
भारतीय सेना ने दावा किया कि इस जगह पर हिजबुल मुजाहिदीन का ठिकाना था, जहां से 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले की योजना बनाई गई और उसे संचालित किया गया.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में वे स्थल जिन्हें भारत ने निशाना बनाया
5. गुलपुर, कोटली
नियंत्रण रेखा से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित कोटली में गुलपुर कैंप जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ सेक्टरों में लश्कर की गतिविधियों के लिए एक बेस के रूप में काम करता था. यह अप्रैल 2023 में पुंछ में घात लगाकर हमला करने वाले और जून 2024 में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हमला करने वाले आतंकवादियों के लिए प्रशिक्षण स्थल था.
6. लश्कर कोटली कैंप, पीओके
राजौरी के सामने एलओसी से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित इस कैंप को ‘लश्कर बॉम्बर कैंप’ बताया जा रहा है, जिसकी क्षमता ‘लगभग 50 आतंकवादियों’ की है. हालांकि, एलओसी से नजदीक होने और भारतीय सैन्य हमले की निश्चितता को देखते हुए यह स्पष्ट नहीं है कि हमले के समय 50 में से कितने लोग कैंप में थे.
7. लश्कर सवाई कैंप, मुजफ्फराबाद
नियंत्रण रेखा से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित इस जगह की पहचान भारतीय सेना ने लश्कर के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में की है. सेना के अनुसार, 20 अक्टूबर, 2024 के सोनमर्ग हमले, 24 अक्टूबर 2024 के गुलमर्ग हमले और 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के अपराधियों को यहीं प्रशिक्षित किया गया था.
8. बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद
भारतीय सेना ने इसकी पहचान जैश-ए-मोहम्मद के एक ठिकाने के रूप में की है, जिसका इस्तेमाल हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति के साथ-साथ जंगल में जीवित रहने का प्रशिक्षण देने के लिए किया जाता है.
9. भीमबेर में बरनाला कैंप
कर्नल कुरैशी के अनुसार, नियंत्रण रेखा से लगभग नौ किलोमीटर दूर स्थित यह कैंप हथियार संचालन, तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों और जंगल युद्ध के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करता था.
