आपातकाल पर बनी डॉक्यूमेंट्री को सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र देने से इनकार किया

फिल्म निर्देशक ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री में आपातकाल के दौरान हिरासत में लिए गए पीड़ितों के साक्षात्कारों के साथ पुलिस अत्याचार के तरीकों पर बात की गई है.

(फोटो साभार: यूट्यूब)

फिल्म निर्देशक ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री में आपातकाल के दौरान हिरासत में लिए गए पीड़ितों के साक्षात्कारों के साथ पुलिस अत्याचार के तरीकों पर बात की गई है.

(फोटो साभार: यूट्यूब)
(फोटो साभार: यूट्यूब)

तिरुवनंतपुरम: सेंसर बोर्ड ने मलयाली भाषा में आपातकाल पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री को प्रमाण पत्र देने से इनकार दिया है. केरल स्थित केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने ‘21 मंथ्स ऑफ हेल’ नाम की इस डॉक्यूमेंट्री को प्रमाण पत्र नहीं देने के लिए अधिक हिंसा समेत अन्य चीज़ों को वजह बताया है.

इस फिल्म के निर्देशक यदू विजयकृष्णन ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा कि 78 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में आपातकाल के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों पर पुलिस के कथित अत्याचार के तरीकों पर बात की गई है.

विजयकृष्णन पेशे से सिनेमा छायाकार हैं.

इस फिल्म में मुख्य तौर पर आपातकाल के पीड़ितों के साक्षात्कारों के साथ कथित उत्पीड़न के तरीकों के दृश्यों का रूपांतरण अभिनेताओं द्वारा फिल्माया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने आपातकाल के दौरान पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए उत्पीड़न के तरीकों का प्रमाण मांगा है.

फिल्म के निर्देशक ने बताया कि जीवित पीड़ितों की गवाही है तथा केस रिपोर्टें हैं, फिर भी बोर्ड को उस वक़्त उत्पीड़न के तरीकों के लिखित सरकारी सबूत चाहिए. विजयकृष्णन ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री में उस वक़्त के देश के राजनीतिक परिदृश्य के बजाय सिर्फ उत्पीड़न के तरीकों पर बात की गई है.

उन्होंने दावा किया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से विशेष इजाज़त लेने के बाद उन्होंने सितंबर में डॉक्यूमेंट्री का निजी प्रदर्शन किया था लेकिन अब सेंसर बोर्ड इसे प्रमाण पत्र देने से इनकार कर रहा है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बोर्ड ने फिल्म को निम्नलिखित आधार पर प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया:

1. फिल्म में अत्यधिक हिंसा है.

2. महात्मा गांधी के लिए अनादर का भाव.

3. राष्ट्रीय ध्वज का अनादर.

4. डॉक्यूमेंट्री सबूतों पर आधारित नहीं है.

5. इंदिरा गांधी के चित्रण को लेकर आपत्ति.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक निर्देशक यदु विजयकृष्णन ने कहा, ‘सेंसर बोर्ड ने मेरी फिल्म को पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने फिल्म में कोई बदलाव करने की सलाह नहीं दी सीधे इसे ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा था कि वे इसे मुंबई स्थिति बोर्ड मुख्यालय भेजेंगे.’

देश में 25 जून 1975 को 21 महीनों के लिए आपातकाल लगाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)