पुणे पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में हिंदुवादी संगठनों के दो नेताओं के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए. मुंबई में 100 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से लोकसभा में बयान की मांग की, भाजपा का कांग्रेस पर भावना भड़काने का आरोप.
मुंबई/पुणे/नागपुर/नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पुणे ज़िले में एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा और उसके बाद अलग-अलग इलाकों में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद बुधवार को बुलाए गए बंद के दौरान सरकारी परिवहन की बसों पर पथराव की छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो स्थिति सामान्य है. बंद की वजह से कई स्कूलों तथा बाज़ारों को बंद रखा गया है.
हिंसा के विरोध में आहूत महाराष्ट्र बंद ने बुधवार को हिंसक रूप ले लिया. इस वजह से शहर में रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुए. प्रदर्शनकारियों ने सिटी बसों पर हमला किया, उपनगरीय लोकल सेवाओं को रोक दिया और शहर में विभिन्न स्थानों पर सड़कों को अवरूद्ध कर दिया. इससे मुंबई में जनजीवन प्रभावित हो गया.
भारिप बहुजन महासंघ नेता और बीआर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था. उन्होंने राज्य सरकार पर दो दिन पहले पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव गांव में हिंसा रोकने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए यह आह्वान किया था.
राज्य में दलित नेताओं के बंद के आह्वान के बीच बुधवार को मुंबई में एक बार फिर बसों को निशाना बनाया गया. पुणे ज़िले में एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह के दौरान भड़की हिंसा का विरोध दलित समुदाय कर रहा है.
एक जनवरी को पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था.
भीमा-कोरेगांव का यह युद्ध एक जनवरी 1818 को लड़ा गया था. दलित समुदाय इस जीत का जश्न मनाता है क्योंकि यह माना जाता है तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में थे. पेशवा ब्राह्मण थे और जीत को दलितों की दृढ़ता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
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कुछ विचारक और चिंतक इस लड़ाई पिछड़ी जातियों के उस समय की उच्च जातियों पर जीत के रूप में देखते हैं. हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस जीत का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था. उस दौरान में अंग्रेजी सेना में शामिल 500 महार सैनिकों ने पेशवा के 28 हज़ार सैनिकों को मात दी थी.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की आपदा प्रबंधन इकाई के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने कलानगर इलाके बांद्रा, धारावी, कामराज नगर, संतोष नगर, डिंडोशी और हनुमान नगर में बेस्ट की 13 बसों में तोड़फोड़ की.
पूर्वी उपनगरों में मंगलवार को प्रदर्शनों के कारण शहर में सड़क यातायात बाधित रहा.
मुंबई में घाटकोपर स्टेशन पर बुधवार सुबह दलित कार्यकर्ताओं ने उपनगरीय रेल सेवा को बाधित किया. मध्य रेलवे की छत्रपति शाहुजी महाराज टर्मिनस की तरफ जाने वाली मुख्य लाइन पर रेल सेवा प्रभावित रहीं जिससे ऑफिस जाने वाले हजारों यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बंद को देखते हुये रेलवे ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं.
मुंबई में मशहूर डिब्बेवालों ने भी बुधवार को अपनी सेवाएं ना देने का फैसला किया है.
बीएमसी की आपदा प्रबंधन इकाई के वरिष्ठ अधिकारी महेश नार्वेकर ने पहले कहा था कि बेस्ट की बसें कांदिवली-अकुरली, डिंडोशी-हनुमान नगर, चांदिवली-संघर्ष नगर, खैरानी रोड-साकीनाका, सहर कार्गो, मुलुंड चेक नाका और जीजामाता नगर समेत कुछ संवेदनशील मार्गों पर नहीं चलेंगी.
स्कूल बस मालिक संघ (एसबीओए) के अध्यक्ष अनिल गर्ग ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से बातचीत में कहा, ‘सुरक्षा कारणों से बुधवार को राज्य में हमारी 99 फीसदी बसें सड़कें पर नहीं उतरेंगी. केवल एक या दो प्रतिशत बसें सड़कों पर हैं. हमने सुबह स्कूल बसें ना चलाने का फैसला लिया है और अगर परिस्थितियां ठीक रही तो हम दूसरी पाली में बसें चलाएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि क़ानून एवं व्यवस्था की स्थिति हमारे नियंत्रण में नहीं है, ऐसे में हम जोख़िम नहीं उठा सकते.’
राज्य में एसबीओए की करीब 40,000 स्कूल बसें हैं.
गर्ग ने यह भी दावा कि मुंबई में बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने कुछ स्कूल बसों को भी नुकसान पहुंचाया लेकिन पुलिस ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है.
बहरहाल, सरकार ने स्कूलों में छुट्टी घोषित नहीं की है लेकिन कई अभिभावकों ने ख़ुद बच्चों को स्कूल नहीं भेजा.
विक्रोली उपनगर निवासी विजय शुक्ला ने कहा, ‘मेरे दो बच्चे हैं, दोनों विक्रोली पूर्व में एक स्कूल में पढ़ते हैं. हालांकि स्कूल बुधवार को खुला है लेकिन मैंने उन्हें स्कूल नहीं भेजा.’
मुंबई के कार्यालयों में भी कर्मचारियों की हाज़िरी कम रही. कर्मचारी हिंसा के डर से कार्यालय नहीं पहुंचे.
मुंबई डब्बावाला संघ के प्रवक्ता सुभाष तालेकर ने कहा, ‘हमारे कई ग्राहकों को कार्यालय पहुंचने में देरी हो सकती है तो हमने बुधवार को सेवाएं बंद रखने का फैसला किया है.’
पुलिस ने बताया कि मंगलवार को मुंबई में प्रदर्शनकारियों ने 160 से ज़्यादा बसों को क्षतिग्रस्त किया. मुंबई पुलिस ने मंगलवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों के संबंध में बुधवार को नौ मामले दर्ज किए. शहर में मंगलवार से लेकर अब तक 100 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है.
मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने पुणे हिंसा मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं और शांति की अपील की है. उन्होंने कहा कि इस हिंसा के पीछे क्या कोई साज़िश थी इसका पता लगाने की ज़रूरत है.
इस बीच, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्थिति की जायजा लेने के लिए नई दिल्ली से फड़णवीस से मंगलवार को फोन पर बात की है. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सिंह को बताया गया है कि सबकुछ नियंत्रण में है और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं.
मंगलवार को कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने भीमा-कोरेगांव युद्ध के जश्न के कार्यक्रम को आरएसएस-भाजपा की फासीवादी दृष्टि के विरोध का प्रबल प्रतीक करार दिया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत में आरएसएस-भाजपा की फासीवादी दृष्टि का केंद्र स्तंभ यह है दलित भारतीय समाज में नीचे रहने चाहिए. उना, रोहित वेमुला और अब भीमा-कोरेगांव विरोध के प्रबल प्रतीक हैं.’
मंगलवार को मुंबई पुलिस ने एक बयान जारी कर लोगों से अफवाहों पर यकीन नहीं करने की अपील की और सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले पुलिस से तथ्यों को सत्यापित करने को कहा है.
महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने मंगलवार को भीमा-कोरेगांव तथा इसके आसपास के गांवों का दौरा किया और कहा कि हालात काबू में है.
मंगलवार को महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख अशोक चह्वाण ने हिंसा की निंदा करते हुए लोगों से अफवाहों पर यकीन नहीं करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि समाज विरोधी तत्व राजनीतिक फायदे के लिए दलित और मराठा समुदायों के बीच तनाव पैदा करना चाहते हैं.
वहीं आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने कहा कि फड़णवीस सरकार शांति बनाए रखने में नाकाम रही है.
नागपुर: बाज़ार और स्कूल बंद रहे, शहर में विरोध मार्च निकाले गए
इस बीच, नागपुर में बुधवार को स्कूलों और बाज़ारों के बंद रहने के साथ स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. शहर में कई बाज़ार और अधिकतर स्कूल बंद हैं जबकि कई संवेदनशील इलाकों में विरोध मार्च निकाले गए.
संयुक्त पुलिस आयुक्त शिवाजी बोडके ने कहा कि शहर में पथराव की घटनाएं हुई. न्यू काम्प्टे इलाके में पथराव में एक व्यक्ति घायल हो गया. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने हिंगना इलाके में एक सड़क को अवरुद्ध कर दिया जबकि कुछ स्थानों पर सड़कों पर टायर फूंके गए. शहर भर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं.
राज्य रिज़र्व पुलिस बल की दो टुकड़ियां और 250 होम गार्ड तैनात किए गए हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शन मार्च करने वाले लोगों से सड़कों को अवरुद्ध ना करने की अपील की है और अपनी मांगों का ज्ञापन पत्र इलाके में पुलिस थानों को देने के लिए कहा है.
पुणे: हिंदुवादी संगठनों के दो नेताओं के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने का केस दर्ज
पुणे में बुधवार को सरकारी परिवहन की बसों पर पथराव की कुछ घटनाओं को छोड़कर बंद शांतिपूर्ण रूप से शुरू हुआ. शहर में बुधवार सुबह से बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला. कुछ दुकानों के शटर आधे खुले हुए हैं.
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दक्षिण-उत्तर क्षेत्र रविंद्र सेनगांवकर ने बताया कि सुखसागर नगर और सिंहगाड रोड पर पुणे महानगर परिवहन महामंडल लिमिटेड (पीएमपीएनएल) की बसों पर पथराव की दो घटनाएं हुई.
पीएमपीएनएल के अनुसार, मंगलवार से लेकर अब तक उसकी 42 बसों पर पथराव किया गया. पीएमपीएनएल के एक अधिकारी ने कहा, बसें पुलिस के निर्देशों के तहत चल रही हैं.
एहतियाती कदम के तौर पर पुणे के कई निजी स्कूल बंद है हालांकि शैक्षिक संस्थानों के लिए छुट्टी की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई.
पुणे में मंगलवार को पीम्प्री पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में हिंदू एकता अघादी के प्रमुख मिलिंद एकबोते तथा शिवराज प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए हैं. दोनों संगठनों ने भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर अंग्रेज़ों की जीत का जश्न मनाने का विरोध किया था.
कृषि उत्पादन बाज़ार समिति (एपीएमसी) के अधिकारियों के मुताबिक, सब्जियों की आपूर्ति 20 फीसदी तक कम हो गई है.
एपीएमसी के एक पदाधिकारी ने बुधवार को कहा, ‘औसतन हर दिन राज्य के विभिन्न हिस्से से सब्जियों और कृषि उत्पादों के 1000 ट्रक आते हैं. बंद के मद्देनज़र आपूर्ति आज 20 फीसदी तक कम हो गई.’
सावित्रीबाई फुले पुणे विविद्यालय (एसपीपीयू) के अनुसार, मास्टर ऑफ फार्मेसी की बुधवार को होने वाली परीक्षा स्थगित कर दी गई है. इस बीच, कुछ दलित संगठनों ने मिलिंद एकबोटे के आवास तक मार्च करने का फैसला किया है लेकिन सेनगांवकर ने कहा कि ऐसी कोई अनुमति नहीं दी जाएगी.
एकबोटे के साथ अन्य हिंदुत्व संगठन के नेता संभाजी भीडे उर्फ गुरुजी पर एक जनवरी को भीमा कोरेगांव में कथित तौर पर हिंसा की योजना बनाने के लिए एससी/एसटी कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सेनगांवकर ने कहा, ‘शहर में पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है हम लोगों से अपील करते हैं कि वे क़ानून को अपने हाथ में ना लें.’
नासिक में दुकानें, स्कूल, कॉलेज रहे बंद
महाराष्ट्र के नासिक में बंद का असर बुधवार को देखने को मिला. सतपुर, अंबड, नासिक मार्ग क्षेत्र सहित शहर में व्यावसायिक प्रतिष्ठान यहां बंद रहे. महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन निगम की बसें और ऑटो रिक्शा भी सड़कों से नदारद रहे.
प्रशासन ने स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी का ऐलान पहले ही कर दिया था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शहर में 2,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.
ग्रामीण पुलिस नियंत्रण कक्ष के अधिकारियों के अनुसार मनमाड़ और लासलगांव में भी बंद का असर देखने को मिला. लासलगांव रेलवे गेट पर बुधवार सुबह मनमाड़-लासलगांव राज्य परिवहन की एक बस पर पथराव किया गया और कुछ प्रदर्शनकारियों ने बस में आग लगाने का एक असफल प्रयास भी किया.
पुलिस आयुक्त रवींद्र कुमार सिंघल और ज़िला पुलिस अधीक्षक संजय दराडे ने लोगों से अफवाहों पर विश्वास न करने और गलत एवं भड़काऊ वॉट्सऐप संदेश आगे न भेजने की अपील भी की है.
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से लोकसभा में बयान की मांग की, भाजपा का कांग्रेस पर भावना भड़काने का आरोप
महाराष्ट्र के पुणे ज़िले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के बाद राज्य में भड़की हिंसा को उकसावे का परिणाम बताते हुए कांग्रेस ने लोकसभा में बुधवार को इस घटना के लिए हिंदूवादी संगठनों और आरएसएस को ज़िम्मेदार ठहराया, वहीं सरकार ने इस मुद्दे पर विपक्षी दल पर हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे भड़काने का आरोप लगाया.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि वह दलितों से जुड़ी इस तरह की घटनाओं पर हमेशा चुप रहते हैं.
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से इस मामले में सदन में बयान देने की मांग की. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा घटना की जांच कराने की भी मांग की.
उधर, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे और भड़काने का काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि खड़गे जी महाराष्ट्र की समस्या का निदान नहीं करना चाहते, बल्कि उसे भड़काना चाहते हैं. वह राजनीति करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश की हार के बाद कांग्रेस हताशा में है. महाराष्ट्र में शांति की कामना के बजाय वे इसे भड़काना चाह रहे हैं और जिस तरह अंग्रेज़ शासक बांटो और राज करो की नीति अपनाते थे, उसी तरह कांग्रेस फूट डालो और राज करो की राजनीति कर रहे हैं.
अनंत कुमार ने कहा कि हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ, सबका विकास के साथ काम कर रहे हैं. कुमार ने कहा कि बुधवार को सदन को शांति का पैगाम देने का मंच बनना होगा.
शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए खड़गे ने कहा कि देश में दलितों पर कुछ शक्तियां अत्याचार कर रही हैं और उन्हें हमेशा निचले पायदान पर रखना चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि दलित जब स्वाभिमान के साथ जीना चाहते हैं और कोई कार्यक्रम करते हैं तो कुछ लोग उसमें दख़ल देकर और उकसाकर उसका फायदा उठाना चाहते हैं.
खड़गे ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की घटना में भी यही हुआ जहां पिछले कई दशकों से श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाता रहा है और कभी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी लेकिन एक जनवरी को वहां जो हुआ, उसके बारे में पता लगाया जाना चाहिए कि किसने लोगों को उकसाया.
कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकार ने जो भी कार्रवाई की हो लेकिन हम मांग करते हैं कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में मामले की जांच करानी चाहिए.
खड़गे ने कहा कि समाज में विभाजन की कोशिश की जा रही है और कट्टर हिंदूवादी लोगों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने इस काम को अंजाम दिया है.
संघ पर उनके इस आरोप का भाजपा के सदस्यों ने विरोध किया. बीच में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खड़गे को अपनी बात समाप्त करने का आग्रह किया और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय को बोलने की अनुमति दी.
बात पूरी नहीं होने और बीच में माइक बंद होने से खड़गे नाराज़ हो गए कि उन्होंने अपने हाथ में मौजूद काग़ज़ों को फाड़ दिया. कांग्रेस के अन्य सदस्य भी जोर-जोर से खड़गे को बात पूरी करने देने की मांग करने लगे.
बाद में खड़गे ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि गुजरात के उना, राजस्थान और अब महाराष्ट्र में दलितों पर अत्याचार की घटना सामने आई हैं.
उन्होंने आरोप लगाया, जहां-जहां भाजपा की सरकार हैं, वहां ज़्यादा अत्याचार हो रहा है.
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार स्थिति को भांपने और हिंसा रोकने में विफल रही.
पुणे से शिवसेना सांसद शिवाजीराव अधलराव पाटिल ने कहा कि इस घटना से दलितों का कोई संबंध नहीं है और कुछ लोगों ने मराठाओं और दलितों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश इसके माध्यम से की है.
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी शिवसेना के सांसद ने राज्य पुलिस पर संघर्ष की घटनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से राज्य सरकार को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहने की मांग की.
इसी राज्य से सांसद भाजपा के रावसाहब दानवे पाटिल ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव के युद्ध को 200 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस साल अपेक्षाकृत ज़्यादा भीड़ आ गई थी. समारोह में कुछ राजनीतिक भाषण हुए जिनकी वजह से दंगे भड़क गए.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा नीत देवेंद्र फड़णवीस सरकार के पिछले तीन साल के शासनकाल में एक भी दंगा नहीं भड़का और पुणे की घटना राज्य में विकास का एजेंडा रोकने की विपक्ष की साज़िश का नतीजा है.
माकपा के सदस्यों ने इस विषय पर बोलने का मौका नहीं मिलने पर शोर-शराबा किया और कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री से सदन में बयान की मांग करते हुए आसन के समीप आ गए.
हंगामे के चलते अध्यक्ष ने सदन की बैठक करीब दस मिनट के लिए दोपहर 12:45 बजे तक स्थगित कर दी.
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ने इस विषय पर बोलने की अनुमति देने से पहले सदस्यों से आग्रह किया कि यह संवेदनशील विषय है और हमें जनप्रतिनिधि के नाते ज़िम्मेदारी से बोलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप से समस्या का समाधान नहीं होगा. हम सभी जनता के प्रतिनिधि हैं और हमें मिलकर राष्ट्र की रक्षा करनी है.
खड़गे ने अपनी बात रखते हुए जब कहा कि देश में हज़ारों साल से दलितों के हथियार उठाने पर पाबंदी रही है और वे सेना में शामिल नहीं हो सकते थे. इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा नहीं है. शिवाजी की सेना में तो दलित थे.
इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवाजी की सरकार में तो थे लेकिन पेशवाओं के समय नहीं थे और अंग्रेज़ हुकूमत ने यह पाबंदी उठाई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)