सीताराम येचुरी ने कहा, कृषि विकास दर 4.5 प्रतिशत से घटकर 2.1 प्रतिशत हुई, किसान आत्महत्याएं ख़तरनाक स्तर पर पहुंचीं, क़र्ज़माफ़ी सिर्फ़ बड़े कॉरपोरेट डिफॉल्टर्स के लिए.
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने माना है कि किसानों का उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान समर्थन मूल्य से जुड़े एक सवाल के मौखिक जवाब में कहा, यह सही है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है, हालांकि किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिए देशव्यापी स्तर पर उपाय किए जा रहे हैं.
दूसरी तरफ, माकपा नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर दावा किया है कि कृषि विकास दर पिछले साल की 4.5 प्रतिशत से घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई है. किसान आय दोगुना करने वाली घुमावदार बातें सुन रहे हैं, जबकि वास्तव में तबाही की स्थिति है. न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों नहीं दिया जा रहा है, जो कि किसानों का अधिकार है और अब तक नहीं दिया गया है.
Agriculture growth rate slips to 2.1% (from 4.5% last year). Farmers hear spin on 'doubling income' while the reality is back-breaking and a disaster. Why is MSP, which is their rightful due, not being given?
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) January 5, 2018
एक अन्य ट्वीट में येचुरी ने लिखा, पिछले तीन साल में किसान आत्महत्याएं खतरनाक स्तर पर पहुंच गई हैं और इस सरकार ने उन्हें आत्महत्या की तरफ धकेला है. न्यूनतम समर्थन मूल्य का वादा था, लेकिन नहीं दिया गया, जबकि कर्जमाफी सिर्फ बड़े कॉरपोरेट डिफॉल्टर्स के लिए है.
Farmer suicides in the past 3 years bear witness to the dismal level this govt has pushed Kisans to. No promised MSP, while loan waivers are only for defaulting big corporates. pic.twitter.com/QxXITomiZQ
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) January 5, 2018
राज्यसभा में कांग्रेस सदस्य विप्लव ठाकुर द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के बावजूद किसानों को इसके मुताबिक उपज की कीमत नहीं मिल पाने के सवाल पर सिंह ने कहा कि सरकार ने कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर धान, ज्वार, बाजरा सहित 22 फसलों के साल 2017-18 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत पर लाभ 50 प्रतिशत से अधिक रखा था.
उन्होंने कहा इसके बावजूद मेरा अनुभव कहता है कि दिल्ली से कोलकाता तक समूचे इलाके में सौ किलोमीटर के दायरे में धान की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. सिंह ने कहा कि सरकार राज्यों में फसलों की खरीद प्रक्रिया पर पूरी निगरानी रख रही है जिससे किसानों को उपज की निर्धारित कीमत मिल सके.
सिंह ने कहा कि सरकार इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में नीति आयोग और राज्यों के साथ विचार विमर्श कर रही है जिससे बेहतर व्यवस्था कायम की जा सके.
सिंह ने इस समस्या के समाधान के तौर पर गेंहू और धान से इतर अन्य फसलों की पैदावार करने वाले किसानों के लिए मूल्य समर्थन योजना को बेहतर विकल्प बताया. इसके तहत उपज की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर फसल की खरीद राज्य सरकार को करना चाहिए.
इस बारे में राज्य सरकारों से जब भी प्रस्ताव आते हैं, केंद्र सरकार इस योजना के तहत अतिरिक्त राशि जारी करती है. इस योजना में केंद्र सरकार ने राज्यों से आठ लाख मीट्रिक टन दाल और कपास आदि की खरीद की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)