बिहार के सहरसा ज़िले में एक अनशन पिछले एक पखवाड़े से जारी है. एक पुल के निर्माण के लिए ये अनशन हो रहा है. अनशनकारियों की हालत अब बेहद नाज़ुक है.
ज़िले के सलखुआ प्रखंड में कोसी नदी के डेंगराही घाट पर इस पुल का निर्माण करने की मांग पिछले 60 साल से जारी है. पुल के निर्माण के लिए अनशन फरकिया गांव में जारी है. ख़ास बात ये है कि पुरुष से ज़्यादा इसमें महिलाएं शामिल हैं. पुरुषों की संख्या जहां तकरीबन 10 है वहीं 30 से अधिक महिलाएं अनशन पर बैठी हैं.
इस अनशन को तकरीबन 17 दिन हो चुके हैं और अनशनकारियों की हालत अब नाज़ुक हो रही है. प्रभात ख़बर अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, भूख हड़ताल शुरू करने वाले बाबू लाल शौर्य की हालत बेहद ख़राब है. उन्हें पीलिया हो गया है. अनशनकारी महिलाओं के बारे में डॉक्टरों ने कहा है कि उनके शरीर की इम्युनिटी खत्म हो रही है.
प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके के लोग बताते हैं कि सिमरी बख्तियारपुर और सलखुआ प्रखंड के दर्जनों पंचायत और सैकड़ों गांव कोसी के गर्भ में हैं. ये इलाका एक टापू की तरह है.
लोगों का दावा है कि पुल न बनने से इस इलाके लोग एक निश्चित क्षेत्र दायरे में सिमटे हुए हैं. इलाके के गांवों में न तो अच्छा बाज़ार बस सका और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और शुद्ध पेयजल की सुविधा ही ठीक से पहुंच सकी. इलाके की सड़कों की स्थिति भी बेहद ख़स्ताहाल है.
छोटे बड़े किसी भी काम के लिए नाव से नदी पार करनी पड़ती है. लोगों का कहना है कि पुल का निर्माण हो जाए तो रोज़गार के नए अवसर मिलने के साथ बच्चों की शिक्षा और लोगों को स्वास्थ्य के बेहतर विकल्प मिल सकेंगे. इसके अलावा खगड़िया और पटना से सहरसा की दूरी भी काफी कम हो जायेगी.
कोसी नदी को बिहार का श्राप कहा है. इस नदी में जब बाढ़ आती है तो अपने साथ भारी तबाही लाती है. बिहार की एक बड़ी आबादी का जनजीवन तबाह हो जाता है.
डेढ़ लाख से अधिक की आबादी हर साल कोसी की विनाशलीला को झेलती है. नदी पर तटबंध निर्माण के 60 साल बाद भी किसी सरकार ने नदी पर पुल बनाने के बारे में नहीं सोचा.
राज्य सरकार कोसी से यहां के लोगों को बचाने के लिए कितनी प्रतिबद्ध है इसका पता इस बात से चलता है कि फरकिया गांव के लोग इस नदी पर पुल बनाने की मांग पिछले साठ साल से कर रहे हैं लेकिन अब तक मामला जस का तस पड़ा हुआ है और गांववाले अब एकजुट होकर अनशन करने का मजबूर हैं.