माकपा ने कहा कि घरेलू खुदरा कारोबारी तबाह हो जाएंगे. कांग्रेस ने मोदी पर अधूरा सच बोलने का आरोप लगाते हुए कहा- वर्ष 2017 में जो विदेशी निवेश हुआ है, वह पिछले 13 साल में सबसे कम है.
नई दिल्ली/मुंबई: सरकार ने आम बजट से पहले आज विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को और उदार बनाने की घोषणा की.
एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में स्वत: मंज़ूरी के ज़रिये शत प्रतिशत एफडीआई को मंज़ूरी दे दी गई जबकि क़र्ज़ बोझ तले दबी एयर इंडिया में 49 प्रतिशत तक विदेशी भागीदारी को हरी झंडी दे दी गई. इसके अलावा निर्माण क्षेत्र की ब्रोकिंग गतिविधियों और पावर एक्सचेंज में विदेशी निवेश नियमों को उदार बनाया गया है.
सरकार ने चिकित्सा उपकरणों और विदेशों से कोष प्राप्त करने वाली कंपनियों से जुड़ी आॅडिट फर्मों के मामले में भी एफडीआई नीति में रियायत दी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसले लिए गए.
आइकिया जैसी विदेशी खुदरा विक्रेता कंपनियों को बढ़ावा देने वाली ताज़ा पहल में सरकार ने एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में स्वत: मंज़ूरी मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई को मंज़ूरी दे दी है. इससे पहले भी इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति थी लेकिन तब इसके लिये पहले मंज़ूरी लेने की शर्त रखी गई थी.
एफडीआई नीति में किए गए ताज़ा संशोधन का मकसद नीति को अधिक उदार और सरल बनाना है. इससे देश में कारोबार सुगमता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
सरकार की तरफ से जारी विज्ञप्ति में इसकी जानकारी देते हुए कहा गया है, नीति में किए गए बदलाव से देश में एफडीआई प्रवाह बढ़ेगा परिणामस्वरूप निवेश, आय में वृद्धि होगी साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया में विदेशी एयरलाइन कंपनियों को पहले अनुमति लेने की शर्त पर 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदने को मंज़ूरी दी है. सरकार के क़र्ज़ के बोझ तले दबी एयर इंडिया के विनिवेश की योजना है.
आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है, ‘एयर इंडिया में विदेशी एयरलाइन कंपनियों की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कुल हिस्सेदारी 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही यह भी शर्त होगी कि एयर इंडिया में बड़ा हिस्सा और उसका प्रभावी नियंत्रण भारतीय नागरिक के हाथों में ही बना रहेगा.’
एयर इंडिया पर मार्च 2017 अंत तक कुल 48,877 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है. इसमें से 17,360 करोड़ रुपये विमानों का क़र्ज़ है जबकि 31,517 करोड़ रुपये कार्यशील पूंजी से जुड़ा ऋण है.
वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के मुताबिक एयर इंडिया को 2017-18 में 3,579 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा होने का अनुमान है.
बिजली की ख़रीद-फरोख़्त सुविधा प्रदान करने वाले पावर एक्सचेंज के मामले में भी विदेशी निवेश नीति को उदार बनाया गया है. वर्तमान नीति के तहत पावर एक्सचेंज में स्वत: मंज़ूरी मार्ग से 49 प्रतिशत तक एफडीआई हो सकता है.
वर्तमान में विदेशी संस्थागत निवेशकों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों- एफआईआई, एफपीआई को केवल द्वितीयक बाज़ारों में ही ख़रीद-फरोख़्त की अनुमति है.
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘अब इस प्रावधान को समाप्त करने का फैसला किया गया है. इसके बाद एफआईआई, एफपीआई अब प्राथमिक बाज़ारों के ज़रिये भी पावर एक्सचेंज में निवेश कर सकेंगे.’
निर्माण क्षेत्र की गतिविधियों के मामले में सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि रीयल एस्टेट ब्रोकिंग सेवाएं, रीयल एस्टेट व्यवसाय में नहीं आतीं हैं. इसलिए इस तरह की सेवाएं स्वत: मंज़ूरी मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई पाने की पात्र हैं.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इस ताज़ा फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे विदेशी निवेश के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि नियमों को उदार बनाए जाने से अर्थव्यवस्था का विकास तेज़ी से हो सकेगा.
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) में सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि इस पहल से देश का निवेश माहौल और बेहतर होगा.
सरकार ने इसके साथ यह भी कहा है कि कंपनी गठन से पहले के ख़र्चे और मशीनरी आयात ख़र्च जैसे गैर-नकद व्यय के एवज में जारी होने वाले शेयरों के लिए अब स्वत: मंज़ूरी मार्ग से अनुमति होगी.
यह सुविधा उन क्षेत्रों के लिए होगी जिनमें सरकारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है. इससे पहले कंपनियों के गठन से पहले के ख़र्च के लिये मंज़ूरी लेनी पड़ती थी.
सरकार ने स्वत: मंज़ूरी मार्ग से आने वाले निवेश प्रस्तावों के मामले में प्रक्रियागत रुकावटों को भी दूर करने के क़दम उठाए हैं.
सरकार ने कहा है कि स्वत: मंजूरी मार्ग से आने वाले ऐसे प्रस्ताव जो कि चिंता पैदा करने वाले देशों से आते हैं इस मामले में पाकिस्तान और बांग्लादेश, उन प्रस्तावों को सरकारी मंज़ूरी के लिए डीआईपीपी द्वारा जांच परखा जाएगा.
पूर्व मंज़ूरी वाले मामले में चिंता वाले देशों से आने वाले प्रस्तावों में सुरक्षा मंज़ूरी को संबंधित विभाग और मंत्रालय से ही जांच परखा जाएगा. उसके बाद ही मंज़ूरी दी जाएगी.
इससे पहले इन प्रस्तावों को गृह मंत्रालय से अनुमति दी जाती थी. सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के परिणामस्वरूप 2016 में देश में कुल 60.68 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त किया गया जो कि अब तक का रिकॉर्ड है.
खुदरा क्षेत्र में शत प्रतिशत एफडीआई से दुकानदार तबाह हो जाएंगे: माकपा
माकपा ने एकल ब्रांड खुदरा कारोबार और निर्माण क्षेत्र के विकास में स्वत: रूट के तहत एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर शत प्रतिशत करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को घरेलू खुदरा कारोबारियों को तबाह करने वाला बताया है.
माकपा पोलित ब्यूरो के बयान में केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले का विरोध करते हुए खुदरा कारोबार में लगे करोड़ों छोटे-बड़े दुकानदारों और निर्माण क्षेत्र के लिए नुकसानदायक बताया गया है. फिलहाल इन क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत है.
पार्टी ने कहा कि एकल ब्रांड के खुदरा कारोबार में शत प्रतिशत एफडीआई छूट देने की यह पहल इस बात का संकेत है कि अब मोदी सरकार मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार के क्षेत्र में भी एफडीआई को मंज़ूरी देगी.
माकपा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि भाजपा जब विपक्ष में थी तब खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के प्रवेश का विरोध करती थी और अब सत्ता में आने पर उसने पाखंडपूर्ण तरीके से इस मामले में अपना रुख़ बदल लिया है.
पार्टी पोलित ब्यूरो ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाज़त देने के मंत्रिमंडल के फैसले पर भी कड़ा विरोध दर्ज कराया.
पार्टी ने कहा कि एयर इंडिया का निजीकरण करने के बाद अब मोदी सरकार इसे विदेशी कंपनियों के हाथों में देने की ओर बढ़ रही है.
माकपा ने सरकार से परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति की उस रिपोर्ट का संग्यान लेने को कहा जिसमें सरकार से एयर इंडिया का निजीकरण करने के फैसले की समीक्षा करने और क़र्ज़ के बोझ से इसे उबारने के लिये पांच साल का समय देने की सिफारिश की थी.
एयर इंडिया में विदेशी निवेश की मंज़ूरी एक सुविचारित निर्णय: सरकार
विदेशी विमानन कंपनियों को सरकारी एयर इंडिया में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ख़रीदने की अनुमति देने का निर्णय एक पूरा सोच-समझ कर लिया गया फैसला है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि यह मंज़ूरी वैश्विक निवेशकों को एक महत्वपूर्ण संदेश देगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में एयर इंडिया में विदेशी कंपनी को 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ख़रीदने की अनुमति देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी गई.
इस बैठक के तुरंत बाद नागर विमानन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय है.
उल्लेखनीय है कि सरकार क़र्ज़ के बोझ से दबी एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की पहले ही तैयारी कर रही है. इस संबंध में अधिकारी ने कहा कि अभी तक किसी भी विदेशी विमानन कंपनी ने एयर इंडिया में हिस्सेदारी ख़रीदने की इच्छा नहीं जताई है.
अनाम रहने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, ‘यह सरकार का एक विचार किया गया निर्णय है ताकि हम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई नियमों को संशोधित कर विमानन कंपनी एयर इंडिया में विदेशी निवेश को कुछ हद तक अनुमति दे सकें.’
अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय वैश्विक निवेशकों को एक महत्वपूर्ण संदेश देगा.
इस निर्णय के बाद अब कोई विदेशी विमानन कंपनी एयर इंडिया में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ख़रीद सकती है. हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि कंपनी पर मालिकाना हक़ किसी भारतीय का ही होगा.
वर्ष 2017 में विदेशी निवेश 13 सालों में सबसे कम: कांग्रेस
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पर देश में आए विदेशी निवेश के बारे में अधूरा सच बोलने का आरोप लगाते हुए बीते कहा कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री यह भी बता देते कि वर्ष 2017 में जो निवेश हुआ है, वह पिछले 13 साल में सबसे कम है.
प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को कहा कि देश में आने वाले निवेश में से आधा पिछले तीन वर्षों में आया है. पिछले वर्ष देश में रिकॉर्ड निवेश आया. यह सरकार की ओर से दूरगामी नीतिगत प्रभाव वाले निर्णयों के कारण आए हैं जो सुधार और बदलाव के मार्गदर्शक सिद्धांत पर आधारित हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान की ओर ध्यान दिलाते हुए कांग्रेस नेता राज बब्बर ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने निवेश के बारे में अधूरा सच बताया है.
उन्होंने कहा, ‘अगर प्रधानमंत्री बता देते तो अच्छा होता कि देश के अंदर वर्ष 2017 में जो निवेश हुआ है, वो 13 सालों में सबसे कम हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्रीजी अगर ये भी बता देते कि वर्ष 2014 में संप्रग की सरकार थी. डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे. वर्ष 2014 में जो ताज़ा निवेश हुआ था, वो 16.2 लाख करोड़ रुपये का हुआ था और जो वर्ष 2017 में ये घटकर 7.9 लाख करोड़ रुपये रह गया है. अच्छा होता, अगर प्रधानमंत्री जी सभी आंकड़े सामने रख देते.’
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि प्रधानमंत्री को विनिर्माण क्षेत्र में आई कमी और बेरोज़गारी के आंकड़ों के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए थी.
एफडीआई सुधारों से शेयर बाज़ार में गिरावट
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति को उदार बनाए जाने के बावजूद बाज़ार में बुधवार को स्थानीय शेयर बाजारों का उत्साह ठंडा रहा और दोनों सूचकांक सेंसेक्स तथा निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए. प्रतिभागियों ने कंपनियों के तिमाही नतीजे से पहले थोड़ा सतर्क रुख़ अपनाया.
बजट से पहले सुधारों की गाड़ी आगे बढ़ाते हुए सरकार ने विदेशी एयरलाइनों को क़र्ज़ में डूबी सरकारी एयर इंडिया में 49 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति दे दी. साथ ही एकल खुदरा ब्रांड, निर्माण तथा बिजली एक्सचेंज में विदेशी निवेश को लेकर नियमों को और आसान बनाया.
हालांकि इसके बावजूद बाज़ार कंपनियों के तिमाही नतीजे आने से पहले रिकार्ड ऊंचाई से नीचे आ गया. इसकी शुरुआत गुरुवार को होगी जब टीसीएस का तीसरी तिमाही का नतीजा आएगा. उसके बाद शुक्रवार को इन्फोसिस का तिमाही परिणाम आएगा.
तीस शेयरों वाला सूचकांक मज़बूती के साथ खुला और एक समय रिकॉर्ड 34,565.63 अंक तक चला गया. हालांकि बाद में मुनाफा वसूली से यह नीचे आ गया. अंत में यह 10.12 अंक या 0.03 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 34,433.07 अंक पर बंद हुआ.
इससे पहले, पिछले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 649.81 अंक मज़बूत हुआ था.
नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 4.80 अंक या 0.05 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 10,632.20 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह 10,655.50 से 10,592.70 अंक के दायरे में रहा.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘कंपनियों के तिमाही नतीजे आने से पहले निवेशक थोड़ा घबराए हुए हैं. हालांकि अमेरिकी एच-1बी वीज़ा नियमों से राहत मिलने से आईटी सूचकांक का प्रदर्शन बेहतर रहा. साथ ही सकारात्मक परिदृश्य की उम्मीद से नुकसान से उबरने में मदद मिली.’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि बाज़ार की प्रवृत्ति सकारात्मक है और अल्पकाल में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. बजट और खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े से पहले सतर्क रुख़ तथा तेल कीमतें बाज़ार को प्रभावित कर सकती हैं.
वैश्विक स्तर पर हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग 0.50 प्रतिशत तथा शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 0.25 प्रतिशत मज़बूत हुए. हालांकि अन्य बाज़ारों में गिरावट का रुख़ रहा.
यूरोपीय बाज़ारों में शुरुआती कारोबार में जर्मनी तथा फ्रांस के बाज़ारों में गिरावट दर्ज की गई जबकि लंदन का एफटीएसई 0.24 प्रतिशत मज़बूत हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)