यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने कहा, आधार को बदनाम करने का अभियान चल रहा है. ख़बर पर एफआईआर को लेकर प्रेस परिषद ने रिपोर्ट मांगी.
बेंगलुरु/नई दिल्ली: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि का कहना है कि आधार को बदनाम करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाया जा रहा है.
आधार डेटा लीक संबंधी एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद ट्रिब्यून अखबार के खिलाफ प्राथमिकी को लेकर किए सवाल पर उन्होंने यह बात कही. इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन पुरस्कार से इतर नीलेकणि ने ईटी नाउ से कहा, आधार को बदनाम करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से एक अभियान चलाया जा रहा है, और यह सौ फीसदी सच है.
एक अरब से ज्यादा आधार कार्ड से जुड़ी सूचना लीक होने के संबंध में खबर लिखने वाली पत्रकार के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सोमवार को प्राथमिकी दर्ज की. इस संबंध में यूआईडीएआई अधिकारी ने शिकायत दर्ज करवाई है.
अधिकारी ने पुलिस को बताया कि खुद को खरीदार बताने वाली पत्रकार ने गुमनाम विक्रेता से व्हाटसएप पर कोई सेवा खरीदी जिसके तहत उसे आधार संख्या तक बिना किसी प्रतिबंध के पहुंच मिल गई.
नीलेकणि ने कहा कि राई का पहाड़ बनाया जा रहा है क्योंकि आधार बहु-स्तरीय सुरक्षा के साथ निर्मित किया गया है और उस तक पहुंच इतनी आसान नहीं है.
ट्रिब्यून के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आधार पर नकारात्मक विचारों के नकारात्मक परिणाम ही होंगे, लोगों के लिए बेहतर होगा कि इसे लेकर रचनात्मक विचार रखें.
यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, अगर आप सिर्फ नकारात्मक विचार रखते हैं और रचनात्मक विचार नहीं, तो उसके अन्य परिणाम नकारात्मक ही होंगे. मुझे लगता है कि सब को यह मान लेना चाहिए कि आधार यहां बना रहेगा.
उन्होंने कहा कि आधार यहां बना रहेगा है क्योंकि कम से कम 119 करोड़ लोगों में से 55 करोड़ लोगों ने अपने बैंक खातों से आधार जोड़ लिए हैं और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत 95,000 करोड़ रुपये सीधे उनके खातों में डाले गए हैं.
नीलेकणि ने कहा कि उन्हें उच्चतम न्यायालय पर पूरा विश्वास था कि वह गोपनीयता के मौलिक अधिकार के तहत आधार का समर्थन करेगा क्योंकि वह कानून के तहत तर्कसंगत तरीके से बनाया गया है. सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने आधार के तहत प्राप्त सूचना का सुरक्षित रखने के लिए उन्हें दो स्तरीय सुरक्षा प्रणाली अपनाने का समर्थन किया.
आधार से जुड़ी आशंकाओं के बीच पेश हुई वर्चुअल आईडी
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने गोपनीयता से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए वर्चुअल आईडी पेश की है. कोई भी आधार कार्ड धारक प्राधिकरण की वेबसाइट पर जाकर अपना वर्चुअल आईडी निकाल सकते हैं. इसके जरिये बिना आधार संख्या साझा किए सिम के सत्यापन समेत कई अन्य कार्य किए जा सकते हैं.
वर्चुअल आईडी बायोमीट्रिक्स के साथ 16 अंकों वाली संख्या होगी. इससे मोबाइल कंपनी या किसी अन्य प्राधिकृत एजेंसी को उपभोक्ता का नाम, पता व फोटो मिल जाएगा जो कि सत्यापन के लिए पर्याप्त है.
अधिकारियों ने बताया कि कोई भी कार्डधारक कितनी भी वर्चुअल आईडी बना सकते हैं. नयी वर्चुअल आईडी बनाते ही पुराना वाला स्वत: ही रद्द हो जाया करेगा.
एक दूरसंचार कंपनी ने बताया कि इसके अलावा प्राधिकरण ने सीमित केवाईसी की भी शुरुआत की है जिसके तहत किसी प्राधिकृत एजेंसी को उपभोक्ता की सीमित जानकारी ही उपलब्ध हो पाती है.
वर्चुअल आईडी किसी भी व्यक्ति की आधार संख्या पर आधारित होगी. इसे एक मार्च 2018 से स्वीकार किया जाने लगेगा. सत्यापन के लिए आधार का इस्तेमाल करने वाली सभी एजेंसियों के लिए वर्चुअल आईडी स्वीकृत करना एक जून 2018 से अनिवार्य हो जाएगा. इसका पालन नहीं करने वाली एजंसियों को आर्थिक दंड का सामना करना होगा.
प्राधिकरण के परिपत्र के अनुसार, आधार कार्ड धारक सत्यापन या केवाईसी सेवाओं के लिए आधार संख्या के बदले वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके जरिये वैसे ही सत्यापन किया जा सकता है जैसे आधार संख्या के जरिये किया जाता है.
प्राधिकरण ने यह कदम गोपनीयता बढ़ाने व आधार की जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए उठाया है. यह कदम ऐसे समय में उठा है जब लोगों की निजी व जनसांख्यिकीय आंकड़े जमा करने को लेकर चिंताएं उठने लगी हैं.
इससे विभिन्न एजेंसियों द्वारा आधार संख्या संग्रहित करने में भी कमी आएगी. प्राधिकरण के अनुसार, सत्यापन करने वाली एजेंसियां कार्ड धारक के बदले वर्चुअल आईडी बनाने के लिए स्वीकृत नहीं होंगे.
प्रेस परिषद ने यूआईडीएआई से रिपोर्ट मांगी
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने बुधवार को आधार कार्ड डेटा की कथित चोरी पर एक अखबार की खबर के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से रिपोर्ट मांगी.
यूआईडीएआई द्वारा आधार डेटा की चोरी पर खबर को लेकर दर्ज कराई गई प्राथमिकी में द ट्रिब्यून की संवाददाता और उनके सूत्रों को नामजद किया गया है.
पीसीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा, पीसीआई प्रमुख चंद्रमौली कुमार प्रसाद के निर्देश के तहत इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए, यूआईडीएआई, नई दिल्ली को नोटिस जारी करके इस मामले के तथ्यों पर विस्तृत रिपोर्ट के साथ जवाब देने को कहा गया है.
इसमें कहा गया कि प्रसाद ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की रिपोर्ट पर चिंता जताई. इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने आधार कार्ड का डेटा चोरी होने की द ट्रिब्यून की खबर को लेकर यूआईडीएआई के अधिकारी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)