आध्यात्मिक नेता ने कहा, हमें लोगों को इस आधार पर लामबंद नहीं करना चाहिए कि हम बौद्ध हैं, हम हिंदू हैं, हम मुसलमान है. यह अच्छा नहीं है.
![Tibet's exiled spiritual leader the Dalai Lama attends a meeting with youth in Strasbourg, France, September 15, 2016. REUTERS/Vincent Kessler](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2017/04/Dalai-Lama-Reuters.jpg)
पुणे: तिब्बतीय आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि धर्म व्यक्तिगत विषय है और उसका उपयोग लोगों को लामबंद करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
वह एमएईईआर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी और एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षक कांग्रेस के उद्घाटन के मौके पर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
जब उनसे पूछा गया कि एक जनवरी को पुणे जिले के कोरेगांव में हुई हिंसा के आलोक में वह क्या संदेश देना चाहते हैं तो उन्होंने कहा, धर्म निजी विषय है. आप चाहे इस धर्म को मानें या उस धर्म का मानें, यह निजी मामला है. हमें लोगों को इस आधार पर लामबंद नहीं करना चाहिए कि हम बौद्ध हैं, हम हिंदू हैं, हम मुसलमान है. यह अच्छा नहीं है.
एक जनवरी को कोरेगांव में युद्ध स्मारक पर पहुंचने पर दलितों पर हमला किया गया था जिसके दो दिन बाद महाराष्ट्र में बंद का आह्वान किया गया था.
सम्मेलन में दलाई लामा ने अपने संबोधन में कहा, दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत शैशवावस्था में है, फिर भी जटिल राष्ट्र है. जब विभिन्न धर्मों के धार्मिक मतों की रक्षा की बात आती है तो देश में उल्लेखनीय सहिष्णुता नजर आती है.