सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने मीडिया से बात कर शीर्ष अदालत के प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत में शुक्रवार को एक असाधारण स्थिति देखी गई. इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया को संबोधित किया.
एक अप्रत्याशित क़दम उठाते हुए न्यायमूर्ति चेलामेश्वर और तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों ने उच्चतम न्यायालय के न्यायतंत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन किया. संवाददाता सम्मेलन में न्यायमूर्ति चेलामेश्वर के अलावा न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ मौजूद रहे.
उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि चारों वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने अपनी आत्मा बेच दी थी. इसलिए हमने मीडिया से बात करने का फैसला किया. भारत समेत किसी भी देश में लोकतंत्र को बरकरार रखने के लिए यह जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था सही ढंग से काम करे.’ उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी.
We do not want people to say 20 years later that all four senior-most judges sold their souls: Justice Chelameswar.
— Press Trust of India (@PTI_News) January 12, 2018
Unless this institution is preserved, democracy will not survive in this country: Justice Chelameswar.
— Press Trust of India (@PTI_News) January 12, 2018
न्यायाधीश जे. चेलामेश्वर ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय का प्रशासन ‘सही नहीं चल रहा’ और बहुत सी ऐसी चीज़ें हुई हैं जो नहीं होनी चाहिए थीं. कई बार उच्चतम न्यायालय के प्रशासन में सब कुछ सही नहीं होता और बहुत सी ऐसी चीज़ें हुई जो नहीं होनी चाहिए थी.’
संवाददाता सम्मेलन यहां उनके तुग़लक़ रोड स्थित आवास पर आयोजित किया गया.
23 जून 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में जन्मे जस्टिस जस्ती चेलामेश्वर केरल और गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं.
मद्रास लोयला कॉलेस से भौतिकी विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने 1976 में आंध्र यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की. बाद में वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने. 2007 में उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. बाद में उनका तबादला केरल हाईकोर्ट कर दिया गया. अक्टूबर 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे.
आधार, अभिव्यक्ति की आजादी और जजों की नियुक्ति को लेकर नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (एनजेएसी) को लेकर उन्होंने बेबाक राय रखी है.