सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाने पर पूर्व न्यायाधीशों और न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न लोगों ने अपनी राय साझा की है.
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने आज सुबह मीडिया से बात करते हुए शीर्ष अदालत के काम के तरीके पर सवाल उठाए हैं, साथ ही उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र भेजा है. शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के इस तरह मीडिया में आने की घटना देश में पहली बार हुई है. इन चार जजों के इस कदम पर देश भर के न्यायपालिका से जुड़े लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
रिटायर्ड जज आरएस सोढ़ी ने जजों की मीडिया से बातचीत पर कहा, ‘मामला कोई मायने नहीं रखता. उनकी शिकायत प्रशासनिक मामलों को लेकर है. वे 4 हैं, उनके अलावा 23 और हैं. ये 4 मिलकर चीफ जस्टिस की गलत छवि बना रहे हैं. ये अपरिपक्व और बचकाना है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि इन चारों पर अभियोग लगाया जाना चाहिए. उन्हें अब बैठकर फैसले देने का कोई अधिकार नहीं है. यह ट्रेड यूनियननुमा व्यवहार गलत है. लोकतंत्र पर खतरा उनके बताने की बात नहीं है, हमारे यहां संसद, कोर्ट और पुलिस काम कर रहे हैं.’
I think all 4 judges should be impeached, they have no business to sit there and deliver verdicts anymore. This trade unionism is wrong. Democracy in danger is not for them to say, we have parliament, courts, police functioning: Justice R.S. Sodhi (Retd) pic.twitter.com/bBFW8v5rkv
— ANI (@ANI) January 12, 2018
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण का मानना है कि यह गंभीर मामला है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘ये बहुत गंभीर मामला है, जिससे चीफ जस्टिस की छवि पर सवाल उठते हैं. अगर चीफ जस्टिस अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में किसी को तो सामने आना ही था. पर इन जजों का ऐसे सामने आना अप्रत्याशित है.’
अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में आने वाले राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी में भी जजों के इस तरह मीडिया के सामने आने पर प्रधानमंत्री के संज्ञान लेने की बात कही है.
We can't criticize them, they are men of great integrity & have sacrificed a lot of their legal career, where they could've made money as senior counsels. We must respect them. PM must ensure that the 4 judges & CJI, in fact whole SC come to one opinion & proceed further: S.Swamy pic.twitter.com/dYj6MJPhkO
— ANI (@ANI) January 12, 2018
उन्होंने कहा, ‘हम उन (जजों) की आलोचना नहीं कर सकते. वे ईमानदार लोग हैं जिन्होंने अपने कानूनी करियर में काफी कुछ खोया है. वे वरिष्ठ वकील बनाकर पैसा कमा सकते थे. हमें उनका सम्मान करना चाहिए. प्रधानमंत्री को इन चारों जजों, चीफ जस्टिस और पूरे सुप्रीम कोर्ट का एकमत होकर आगे बढ़ना सुनिश्चित करना चाहिए.
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी इन जजों के इस तरह मीडिया के सामने आने पर दुख जाहिर किया है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, मैं बेहद दुखी हूं. साथ ही मैं उस पीड़ा को भी महसूस कर सकता हूं कि देश की सबसे बड़ी अदालत पर इतना दबाव हो कि जिसके चलते जजों को यूं मीडिया के सामने आना पड़े.’
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने जजों के इस कदम को चौंकाने वाला बताया. उन्होंने कहा, ‘ऐसी कोई न कोई वजह जरूर रही होगी, जिसके चलते इतने वरिष्ठ जजों ने यह कदम उठाया. जब वे बोल रहे थे, उनका दर्द उनके चेहरे पर दिखाई दे रहा था.’
It's quite shocking. There must have been compelling reasons for the senior-most judges to have adopted this course of action. One could see pain on their faces while they were speaking: KTS Tulsi, advocate SC on 4 judges' letter to CJI pic.twitter.com/hd86rdR040
— ANI (@ANI) January 12, 2018
वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने इसे न्यायपालिका के लिए काला दिन बताया है. उन्होंने कहा, ‘आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक गलत मिसाल कायम करेगी. अब से हर आम आदमी सभी न्यायिक आदेशों को संदेह की नजर से देखेगा. हर फैसले पर सवाल उठेंगे.’
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत ने भी जजों के मीडिया से रूबरू होने को गंभीर बताया है. उन्होंने कहा, ‘जजों को मीडिया के सामने आकर ऐसा अप्रत्याशित कदम लेना पड़ा. इसका अर्थ यही है कि बात गंभीर है. या तो चीफ जस्टिस से जुड़ा या कोई आंतरिक मामला है.’
जजों के इस कदम के तार सीबीआई जज लोया की मौत की जांच से जुड़े केस से भी जोड़े जा रहे हैं. हाईकोर्ट के पूर्व जज मुकुल मुद्गल ने जजों की मीडिया कॉन्फ्रेंस को गंभीर तो माना लेकिन इस पर कुछ साफ तरह से कहने को मना कर दिया.
There must be some serious reason that they were left with no other option but to hold a Press Conference. But what connection Loya has with this? I know nothing about this & I don't want to make comments about any political matter: Mukul Mudgal, retired SC judge pic.twitter.com/oWWVb2t9WT
— ANI (@ANI) January 12, 2018
एएनआई से बात करते हुए मुद्गल ने कहा, ‘ऐसी कोई गंभीर बात रही होगी कि उनके सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. लेकिन इसका लोया से क्या संबंध है? मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और मैं किसी राजनीतिक तरीके से इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.’
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस कॉन्फ्रेंस को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि देश के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि न्यायपालिका के अंदर क्या चल रहा है. मैं इस कदम का स्वागत करती हूं.