रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के बांग्लादेश में दाख़िल होने के बाद बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया गया था. म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.
कॉक्स बाजार/बांग्लादेश: बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की है, जो पिछले अनुमान से कहीं ज़्यादा है. रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की तैयारियों के बीच बांग्लादेश की पंजीकरण परियोजना के प्रमुख ने बुधवार को यह जानकारी दी.
बांग्लादेश की थलसेना ने पिछले साल म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के देश में दाख़िल होने के बाद इन शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया था.
म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.
शरणार्थियों का पंजीकरण इसलिए किया जा रहा है ताकि उन्हें वापस भेजने में सहूलियत हो. हालांकि, शरणार्थियों का कहना है कि वे वापस नहीं जाना चाहते.
बांग्लादेश ने कहा कि वह शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया अगले हफ़्ते शुरू करना चाहता है और दो साल के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बांग्लादेश ने म्यांमार से एक समझौता भी किया है.
बांग्लादेशी थलसेना में ब्रिगेडियर जनरल और रोहिंग्या पंजीकरण परियोजना के प्रमुख सईदुर रहमान ने कहा, ‘अब तक हमने 1,004,742 रोहिंग्या शरणार्थियों का पंजीकरण किया है. उन्हें बायोमीट्रिक पंजीकरण कार्ड दिए गए हैं.’
उन्होंने कहा कि अभी हज़ारों रोहिंग्या शरणार्थियों का पंजीकरण बाकी है. रहमान ने कहा कि ताज़ा आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों से ज़्यादा हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में म्यांमार सीमा के पास 9,62,000 रोहिंग्या रह रहे हैं.
रोहिंग्या करार दो साल के अंदर शरणार्थियों की वापसी का लक्ष्य
यांगून: इससे पहले बांग्लादेश ने मंगलवार को कहा कि सैन्य कार्रवाई के चलते विस्थापित हो कर शरणार्थी बने अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों की दो साल के अंदर स्वदेश वापसी पर उसकी और म्यांमार की सहमति हो गई है.
यह पहला मौका है जब शरणार्थी बने लाखों रोहिंग्या मुसलमानों की देश वापसी का ठोस समय तय किया गया है. वैसे, अब भी यह साफ नहीं है कि उनकी देश वापसी की शर्तें क्या होंगी.
यह क़रार म्यांमार की राजधानी न्यपीदाव में इस हफ्ते हुआ. यह तकरीबन साढ़े सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों पर लागू होगा जिन्होंने 2016 अक्टूबर के बाद सैन्य कार्रवाई के चलते वतन छोड़ कर बांग्लादेश में पनाह ली थी.
बांग्लादेश सरकार ने एक बयान में बताया कि क़रार का लक्ष्य ‘स्वदेश वापसी की शुरुआत के दो साल के अंदर’ रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार लौटाने पर लक्षित है. बयान में यह नहीं बताया गया है कि कब रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत होगी.
उधर, म्यांमार सरकार ने कहा है कि वह 23 जनवरी से रोहिंग्या मुसलमानों के स्वागत करने के कार्यक्रम पर अमल कर रही है.
इस क़रार के दायरे में तकरीबन दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है जो अक्टूबर 2016 से पहले से बांग्लादेश में रह रहे हैं. इन्हें सांप्रदायिक हिंसा और सैन्य कार्रवाइयों के चलते म्यांमार से भागना और बांग्लादेश में शरण लेना पड़ा था.
दोनों देश अंतत: उस फॉर्म पर सहमत हो गए जिन्हें रोहिंग्या शरणार्थियों को यह प्रमाणित करने के लिए भरना पड़ेगा कि वह रखाइन प्रांत के हैं. इस प्रांत में म्यांमार की सेना ने सैकड़ों रोहिंग्या गांवों में कथित रूप से सैन्य सफाई अभियान चलाया.
म्यांमार में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद सफीउर रहमान ने बताया, ‘हम आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम होंगे.’ उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत के लिए म्यांमार की तरफ से तय अगले हफ़्ते की समयसीमा पर कहा कि यह ‘संभव नहीं’ है.