नई दिल्ली: बांग्लादेश में युवा नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़के हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुक्रवार (19 दिसंबर) दोपहर भी जारी रहे. इस दौरान अख़बारों के दफ़्तरों, एक प्रमुख सांस्कृतिक संगठन और एक भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया गया.
हादी 2024 के उन विरोध प्रदर्शनों के एक प्रमुख चेहरे थे, जिनके चलते शेख़ हसीना सरकार सत्ता से बाहर हुई थी. गुरुवार (18 दिसंबर) को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका पहुंचा. अंतरिम सरकार ने घोषणा की है कि उनका अंतिम संस्कार शनिवार को संसद परिसर में किया जाएगा.
ढाका स्थित अंतरिम सरकार ने हादी की मौत के बाद हुई हिंसा की निंदा की है और नागरिकों से अपील की है कि वे ‘कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की जा रही भीड़ हिंसा के हर रूप का विरोध करें.’
हादी और कई प्रदर्शनकारियों की नई दिल्ली के प्रति नाराज़गी के मद्देनज़र, बांग्लादेश में भारतीय राजनयिक मिशनों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
गुरुवार को हादी की मौत की घोषणा के कुछ ही देर बाद प्रदर्शनकारियों के समूहों ने प्रमुख बांग्ला अख़बार प्रथम आलो और अंग्रेज़ी दैनिक डेली स्टार के दफ़्तरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. डेली स्टार के ढाका कार्यालय के बाहर, बांग्लादेश एडिटर्स काउंसिल के अध्यक्ष के तौर पर वहां पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार नुरुल कबीर पर भी हमला किया गया. उनके अख़बार न्यू एज के अनुसार, यह हमला तब हुआ जब वे अख़बार पर हुए हमले की सूचना मिलने के बाद वहां पहुंचे थे.
शुक्रवार तड़के प्रदर्शनकारियों ने ढाका के धनमंडी इलाके में स्थित सांस्कृतिक संगठन छायानट की इमारत को भी नुकसान पहुंचाया. इसके अलावा, राजशाही में शेख़ हसीना की पूर्व सत्तारूढ़ और फिलहाल प्रतिबंधित पार्टी अवामी लीग के एक दफ़्तर को भी ढहा दिए जाने की खबर है.
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ बांग्लादेश के मुताबिक, चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में कम से कम चार लोग घायल हुए, जिनमें दो पुलिसकर्मी शामिल हैं.

अंतरिम सरकार ने शुक्रवार दोपहर को जारी बयान में कहा, ‘यह हमारे देश के इतिहास का एक बेहद अहम दौर है, जब हम एक ऐतिहासिक लोकतांत्रिक परिवर्तन की ओर बढ़ रहे हैं. हम अराजकता में पनपने वालों और शांति को नकारने वाले कुछ लोगों को इस प्रक्रिया को पटरी से उतारने नहीं दे सकते.’ सरकार ने यह बात 12 फरवरी को प्रस्तावित आम चुनाव के संदर्भ में कही.
सरकार ने कहा कि ये चुनाव और इसके साथ होने वाला जनमत संग्रह ‘सिर्फ़ राजनीतिक अभ्यास नहीं’, बल्कि एक ‘गंभीर राष्ट्रीय संकल्प’ हैं, जो उस सपने से जुड़े हैं जिसके लिए हादी ने ‘अपने जीवन का बलिदान’ दिया है.
प्रथम आलो, डेली स्टार और न्यू एज के पत्रकारों को संबोधित करते हुए सरकार ने कहा, ‘हम आपके साथ खड़े हैं. आपने जो आतंक और हिंसा झेली है, उसके लिए हमें गहरा खेद है. पत्रकारों पर हमले सच्चाई पर हमले हैं. हम आपको पूरा न्याय दिलाने का वादा करते हैं.’
सरकार ने मयमनसिंह में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या की जाने के मामले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ‘नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. इस जघन्य अपराध करने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.’
संस्कृति सलाहकार मुस्तफ़ा सरवर फ़ारूक़ी ने एक अलग बयान में अख़बारों और छायानट पर हुए हमलों को ‘आगामी चुनावों को विफल करने की साज़िश’ बताया. उन्होंने कहा, ‘आज हमें शहीद उस्मान हादी की बात करनी थी, शोक मनाना था. लेकिन विषय किसने बदला? प्रथम आलो, डेली स्टार और छायानट पर किसने हमला किया? ऐसा करने वाले लोग बांग्लादेश में लोकतांत्रिक बदलाव नहीं चाहते.’
बीडीन्यूज 24 की रिपोर्ट के अनुसार, इन हमलों के बाद बांग्लादेश शिल्पकला अकादमी ने अपने कार्यक्रम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए हैं.
शुक्रवार को अख़बार का भौतिक संस्करण प्रकाशित न कर पाने वाले प्रथम आलो और डेली स्टार ने अपने दफ़्तरों में हुई तोड़फोड़ और आगज़नी की निंदा करते हुए कहा कि इससे कर्मचारियों की जान को गंभीर ख़तरा पैदा हुआ. दोनों ने आरोप लगाया कि कुछ ताक़तें हादी की हत्या का इस्तेमाल अपने मकसद के लिए कर रही हैं.
डेली स्टार ने कहा, ‘छत पर फंसे हमारे सहकर्मी अपनी जान को लेकर डरे हुए थे, क्योंकि भीड़ एक-एक मंज़िल तोड़ती जा रही थी और नीचे आग लगा दी गई थी.’ अख़बार ने बताया कि एक समय धुएं के कारण कर्मचारियों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया था.
वहीं, प्रथम आलो ने कहा कि आग में उसका दफ़्तर ‘पूरी तरह जलकर खाक’ हो गया और वहां रखी संपत्ति व अहम दस्तावेज़ नष्ट हो गए.

प्रथम आलो ने यह भी कहा कि सुरक्षा की मांग के बावजूद पुलिस समय पर नहीं पहुंची. वहीं डेली स्टार के अनुसार, अगर प्रशासन की प्रतिक्रिया बेहतर समन्वित होती, तब घंटों तक जान के ख़तरे में फंसे कर्मचारियों को इतना मानसिक आघात नहीं झेलना पड़ता.
दोनों अख़बारों ने कहा कि ये हमले व्यापक रूप से स्वतंत्र मीडिया और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला हैं.

इस बीच, शुक्रवार दोपहर ढाका के शाहबाग और उत्तर पूर्वी शहरों सिलहट और चटगांव में प्रदर्शन जारी रहे.
ढाका बिज़नेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, विरोध प्रदर्शनों में ‘भारत के एजेंट होश में आओ’ और ‘भारतीय आक्रामकता बंद करो’ जैसे नारे लगाए गए.
बांग्लादेश में भारतीय राजनयिक परिसरों की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है और कथित तौर पर देशभर में मिशनों की सुरक्षा के लिए सेना तैनात की गई है.
इन एहतियाती कदमों के बावजूद नई दिल्ली में पड़ोसी मुल्क के हालात को लेकर चिंता बनी हुई है. सूत्रों के अनुसार, फिलहाल भारतीय राजनयिक कर्मियों को निकालने की कोई योजना नहीं है.
सूत्रों ने बताया कि कुछ समूहों द्वारा ऑनलाइन प्रसारित एक सूची में भारतीय उच्चायोग से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाने की बात कही गई थी. इसी सूची में वे जगहें भी शामिल थीं, जिन पर बाद में भीड़ ने हमला किया.. जैसे दो अख़बारों के दफ़्तर और छायानट व उदिची जैसे सांस्कृतिक संगठन. सूची में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (आईजीसीसी) का नाम भी था.
ढाका के धनमंडी इलाके में स्थित आईजीसीसी की मूल इमारत को पिछले साल अगस्त में हसीना सरकार के पतन के बाद हुई हिंसा में नुकसान पहुंचाया गया था और आग लगा दी गई थी. इसके बाद से केंद्र एक वैकल्पिक स्थान से संचालित हो रहा है.
हसीना शासन के ख़िलाफ़ जुलाई–अगस्त 2024 के आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल हादी, दक्षिणपंथी सांस्कृतिक समूह इंक़लाब मंच के प्रवक्ता थे, जो अवामी लीग को भंग करने के अभियान में आगे रहा है. वे फरवरी में होने वाले आम चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की तैयारी में थे.
हादी और इंक़िलाब मंच भारत के कड़े आलोचक बताए जाते हैं. हसीना फिलहाल भारत में निर्वासन में हैं. उनके निर्वासन का मुद्दा बांग्लादेश के विभिन्न समूहों, अंतरिम सरकार और नई दिल्ली के बीच विवाद का विषय रहा है.
यूनुस ने हादी की मौत पर शोक जताते हुए इसे ‘देश के राजनीतिक और लोकतांत्रिक परिदृश्य के लिए अपूरणीय क्षति’ बताया है और हत्यारों के ख़िलाफ़ कोई रियायत न बरतने का वादा किया है. उन्होंने कहा, ‘शोक की इस घड़ी में शहीद शरीफ उस्मान हादी के आदर्शों और बलिदान को अपनी ताक़त बनाएं. धैर्य रखें, अफ़वाहों से बचें और जल्दबाज़ी में कोई फ़ैसला न लें.’
