नई दिल्ली: केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है. आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण अभ्यास के दौरान कार्यभार के विरोध में अधिकारियों के प्रदर्शन का हवाला दिया है.
18 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में आयोग ने कोलकाता स्थित परिसर की तत्काल और चौबीसों घंटे सुरक्षा का अनुरोध किया.
चुनाव आयोग ने 24 और 25 नवंबर को बूथ स्तर के अधिकारियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा कार्यालय के घेराव के बाद ‘गंभीर सुरक्षा जोखिम’ का हवाला दिया. ये घेराव विशेष गहन पुनरीक्षण अभ्यास के दौरान किया गया था.
आयोग ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनाती आवश्यक है. यह अनुरोध कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज कुमार वर्मा को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के पूर्व निर्देशों के बाद किया गया है.
| श्रेणी | संख्या | विवरण/संदर्भ |
| कुल हटाए गए नाम (एएसडीडी) | 58.20 लाख | कुल नाम सूची से हटाए गए |
| मृतक | 24.16 लाख | मृतक के रूप में सत्यापित किए गए |
| स्थानांतरित/अनुपस्थित | 32.65 लाख | अब पंजीकृत पते पर निवास नहीं कर रहे हैं |
| डुप्लिकेट प्रविष्टियां | 1.38 लाख | एक ही व्यक्ति का कई जगह नाम |
| अज्ञात मतदाता | 32 लाख | सत्यापन/सुनवाई लंबित |
| वंशानुक्रम मैपिंग में विसंगतियां | 1.36 करोड़ | परिवार के सदस्यों/पीढ़ियों को जोड़ने में समस्याएं |
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर को प्रकाशित मतदाता सूची के मसौदे से पता चलता है कि 7.66 करोड़ मतदाताओं की पिछली सूची में से 92.40% नाम बरकरार रखे गए हैं.
इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोलकाता उत्तर में सबसे अधिक 25.92% नाम हटाए गए, जबकि जोरासांको निर्वाचन क्षेत्र में यह आंकड़ा 36.85% तक पहुंच गया.
इसके बाद की सुनवाई प्रक्रिया के प्रबंधन के लिए आयोग लगभग 4,000 माइक्रो-ऑब्जर्वर्स (micro-observers) की नियुक्ति करेगा, जो संभवतः ग्रुप-बी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों में से होंगे.
ये अधिकारी 32 लाख ‘अज्ञात’ मतदाताओं की सुनवाई की निगरानी करेंगे, जिनका नाम 2002 की मतदाता सूची से नहीं जोड़ा जा सका, साथ ही उन 1.36 करोड़ मतदाताओं के एक वर्ग की भी सुनवाई करेंगे, जिनके वंशानुक्रम मैपिंग में तार्किक विसंगतियां पाई गई हैं.
अग्रवाल ने बताया कि इन सुनवाइयों के लिए नोटिस 27 दिसंबर के बाद भेजे जाएंगे. सत्यापन चरण 7 फरवरी, 2026 को समाप्त होने वाला है, जो अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से सात दिन पहले है.
हालांकि एएसडीडी से नाम हटाए जाने की प्रक्रिया अंतिम है, लेकिन अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि जिन वैध मतदाताओं का नाम हटा दिया गया है, वे प्रपत्र 6 के माध्यम से अपना नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य को नए नाम जुड़वाने के लिए 3.24 लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं.
सीईओ ने इस कार्य में सहायता के लिए अतिरिक्त 2,800 मतदाता सूची अधिकारियों की नियुक्ति हेतु आयोग को एक प्रस्ताव भी भेजा है. मतदाता सूची का मसौदा और हटाए गए मतदाताओं की सूची वर्तमान में पश्चिम बंगाल सीईओ के आधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध है.
