‘जब सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट जारी किया, तो राज्यों को फिल्म बैन करने का अधिकार नहीं’

सुप्रीम कोर्ट ने हटाया फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगा प्रतिबंध. कहा क़ानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का दायित्व राज्यों का है.

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नाम बदलने के बाद फिल्म पद्मावत का नया पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)

सुप्रीम कोर्ट ने हटाया फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगा प्रतिबंध. कहा क़ानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का दायित्व राज्यों का है.

नाम बदलने के बाद फिल्म पद्मावत का नया पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)
नाम बदलने के बाद फिल्म पद्मावत का नया पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: विवादों में चली आ रही फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने आज हटा दिया है. हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान सरकार ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके खिलाफ फिल्म के निर्माता वायाकॉम 18 ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने किसी भी अन्य राज्य को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने वाला आदेश अथवा अधिसूचना जारी करने पर भी रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को भी पद्मावत की स्क्रीनिंग रोकने संबंधी इस प्रकार की कोई अधिसूचना और आदेश जारी करने से रोका. अदालत ने निर्देश दिया कि अपने अपने क्षेत्रों में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का राज्यों का दायित्व है.

पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि जारी की गई इस तरह की अधिसूचना और आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. इस मामले में इस तरह की अधिसूचना अथवा आदेश जारी करने से हम अन्य राज्यों को भी रोक रहे हैं.’

एनडीटीवी की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब सेंसर बोर्ड ने सेंसर सर्टिफिकेट जारी किया है तो राज्यों को बैन करने का कोई अधिकार नहीं है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो पद्मावत फिल्‍म क्यों रिलीज नहीं हो सकती. जब संसद ने वैधानिक तौर पर सेंसर बोर्ड को जिम्मेदारी दी है और बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दिया है तो कानून व्यवस्था का हवाला देकर राज्य कैसे फिल्म पर बैन लगा सकते हैं.

निर्माता की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी, ‘फिल्म पर राज्यों का प्रतिबंध लगाना संघीय ढांचे के खिलाफ है. अगर किसी को फिल्म पर आपत्ति है तो वे ट्रिब्यूनल के पास जा सकते हैं, लेकिन फिल्म पर किसी भी रूप में रोक लगाना उचित नहीं है. इसलिए राज्यों को निर्देश दिए जाए कि वे प्रतिबंध को हटा लें.’

गुजरात, राजस्थान, हरियाणा राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि अधिसूचना और आदेश केवल गुजरात और राजस्थान राज्यों की ओर से ही जारी किए गए थे.

मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई या तो शुक्रवार की जाए या फिर 22 जनवरी को ताकि राज्य दस्तावेजों का अध्ययन करें और अदालत की मदद कर सकें.

उन्होंने कहा कि इन राज्यों में कानून व्यवस्था की समस्या के बारे में खुफ़िया रिपोर्ट है और फिल्म को प्रमाण पत्र देते समय सीबीएफसी ने इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया. हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कभी भी तथ्यों से छेड़छाड़ शामिल नहीं हो सकती.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर करणी सेना के सूरजपाल अमु ने दुःख जताते हुए कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट ने लाखों हिन्दुओं की भावना को ठेस पहुंचाया है, जो सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. हमारा संघर्ष जारी रहेगा चाहे मुझे फांसी पर चढ़ा दो. ये फिल्म रिलीज़ होगी तो देश टूटेगा.

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिकवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ़ करते हुए बधाई दी है. उन्होंने इस अभिव्यक्ति की आज़ादी और कलाकारों की स्वतंत्रता की जीत बताई.

राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कलवी ने अदालत के निर्णय पर कहा, ‘पूरे देश के सामजिक संगठनों से अपील करूंगा कि पद्मावत नहीं चलनी चाहिए. फिल्म हॉल पर जनता कर्फ्यू लगा दे.

राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, इसका पालन करेंगे.

कटारिया ने कहा, ‘मेरा विभाग कानूनी प्रावधानों को देखेंगे, यदि संभव हो तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पढ़ने के बाद हम आगे बढ़ेंगे.

वहीं अदालत ने निर्णय पर हरियाणा के स्वास्थय मंत्री अनिल विज ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना ही फैसला सुना दिया. हम फैसले का पालन करेंगे और साथ ही यह भी देखेंगे कि क्या इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है.

गुरुवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर में राजपूत समुदाय के लोगों ने गृह मंत्री रामसेवक पैकरा को मिलकर फिल्म पद्मावत पर प्रतिबंध लगाने को कहा और साथ ही चेतावनी भी दी अगर राज्य में कहीं भी पद्मावत रिलीज़ हुई, तो सिनेमाघरों को आग लगा दिया जाएगा.

मंगलवार को हरियाणा सरकार के कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था. वहीं 12 जनवरी को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने-अपने राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था.

9 जनवरी को राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने भी राजस्थान में फिल्म रिलीज़ पर प्रतिबंध लगा दिया था. गोवा पुलिस ने भी मनोहर पर्रिकर सरकार को सुझाव दिया था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगनी चाहिए.

यह भी कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी फिल्म पर प्रतिबंध लगेगा, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्म पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और वहीं हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं.

ज्ञात हो कि फिल्म 1 दिसंबर 2017 को रिलीज़ होनी थी, लेकिन लगातार विरोध और विवादों के चलते निर्माताओं द्वारा रिलीज़ की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी. फिर राजपूत संगठन और करणी सेना की धमकियों के बाद सेंसर बोर्ड ने राज घरानों के कुछ सदस्यों के साथ इतिहासकारों का एक पैनल बनाया, जिसने यह फिल्म देखी.

इसके बाद  30 दिसंबर को सेंसर बोर्ड ने फिल्म को यू/ए सर्टिफ़िकेट देते हुए फिल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत कर दिया.

25 जनवरी को रिलीज़ होने वाली इस फिल्म पर राजपूत करणी सेना और तमाम हिंदूवादी के साथ कुछ राजपूत संगठनों ने फिल्म पर आरोप लगाया है कि फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है.

फिल्म में खिलजी और पद्मावती के बीच संबंध दिखाया गया है. हालांकि फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है.

पिछले साल जयपुर और कोल्हापुर में जब फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब करणी सेना के कथित सदस्यों ने इसके सेट पर तोड़फोड़ तथा इसके निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ धक्कामुक्की की थी.

फिल्म में दीपिका पादुकोण राजपूत रानी पद्मावती का किरदार निभा रही हैं, वहीं रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी का रोल कर रहे हैं. शाहिद कपूर फिल्म में राजा रतन सिंह का किरदार निभा रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)