सुप्रीम कोर्ट ने हटाया फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगा प्रतिबंध. कहा क़ानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का दायित्व राज्यों का है.
नई दिल्ली: विवादों में चली आ रही फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने आज हटा दिया है. हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान सरकार ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके खिलाफ फिल्म के निर्माता वायाकॉम 18 ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी.
Supreme Court stays notification by Madhya Pradesh, Haryana, Rajasthan and Gujarat, grants green signal to release of the film #Padmaavat. pic.twitter.com/Aqsi4x9meX
— ANI (@ANI) January 18, 2018
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने किसी भी अन्य राज्य को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने वाला आदेश अथवा अधिसूचना जारी करने पर भी रोक लगा दी.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को भी पद्मावत की स्क्रीनिंग रोकने संबंधी इस प्रकार की कोई अधिसूचना और आदेश जारी करने से रोका. अदालत ने निर्देश दिया कि अपने अपने क्षेत्रों में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का राज्यों का दायित्व है.
पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि जारी की गई इस तरह की अधिसूचना और आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. इस मामले में इस तरह की अधिसूचना अथवा आदेश जारी करने से हम अन्य राज्यों को भी रोक रहे हैं.’
एनडीटीवी की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब सेंसर बोर्ड ने सेंसर सर्टिफिकेट जारी किया है तो राज्यों को बैन करने का कोई अधिकार नहीं है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो पद्मावत फिल्म क्यों रिलीज नहीं हो सकती. जब संसद ने वैधानिक तौर पर सेंसर बोर्ड को जिम्मेदारी दी है और बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दिया है तो कानून व्यवस्था का हवाला देकर राज्य कैसे फिल्म पर बैन लगा सकते हैं.
निर्माता की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी, ‘फिल्म पर राज्यों का प्रतिबंध लगाना संघीय ढांचे के खिलाफ है. अगर किसी को फिल्म पर आपत्ति है तो वे ट्रिब्यूनल के पास जा सकते हैं, लेकिन फिल्म पर किसी भी रूप में रोक लगाना उचित नहीं है. इसलिए राज्यों को निर्देश दिए जाए कि वे प्रतिबंध को हटा लें.’
Request the Central government to pass a direction to the states for a better and an effective step and solution: Senior advocate Harish Salve while representing producers of #Padmaavat in the Supreme Court
— ANI (@ANI) January 18, 2018
गुजरात, राजस्थान, हरियाणा राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि अधिसूचना और आदेश केवल गुजरात और राजस्थान राज्यों की ओर से ही जारी किए गए थे.
मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई या तो शुक्रवार की जाए या फिर 22 जनवरी को ताकि राज्य दस्तावेजों का अध्ययन करें और अदालत की मदद कर सकें.
उन्होंने कहा कि इन राज्यों में कानून व्यवस्था की समस्या के बारे में खुफ़िया रिपोर्ट है और फिल्म को प्रमाण पत्र देते समय सीबीएफसी ने इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया. हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कभी भी तथ्यों से छेड़छाड़ शामिल नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर करणी सेना के सूरजपाल अमु ने दुःख जताते हुए कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट ने लाखों हिन्दुओं की भावना को ठेस पहुंचाया है, जो सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. हमारा संघर्ष जारी रहेगा चाहे मुझे फांसी पर चढ़ा दो. ये फिल्म रिलीज़ होगी तो देश टूटेगा.
Aaj Supreme Court ne lakhon-crore logon, lakhon-crore Hinduon ki bhavnaon ko thes pahuchai hai, jo SC ka samman karte hain. Hamara sangharsh jaare rahega chaahe mujhe faansi laga do! Ye film release hogi toh desh tootega: Suraj Pal Amu pic.twitter.com/smAb63kjbj
— ANI (@ANI) January 18, 2018
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिकवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ़ करते हुए बधाई दी है. उन्होंने इस अभिव्यक्ति की आज़ादी और कलाकारों की स्वतंत्रता की जीत बताई.
It's vindication to artists' rights & freedom of speech. SC must be congratulated for upholding not just freedom of speech but artists' rights to present story in manner he/she wishes. Hope states honor verdict & don't create hurdles in its implementation: Kapil Sibal #Padmaavat pic.twitter.com/Df7dRoLmVK
— ANI (@ANI) January 18, 2018
राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कलवी ने अदालत के निर्णय पर कहा, ‘पूरे देश के सामजिक संगठनों से अपील करूंगा कि पद्मावत नहीं चलनी चाहिए. फिल्म हॉल पर जनता कर्फ्यू लगा दे.
Poore desh ke saamajik sangathanon se appeal karoonga #Padmaavat nahi chalni chahiye. Film hall par janta curfew laga de: Lokendra Singh Kalvi, Rajput Karni Sena Chief in Ujjain #MadhyaPradesh pic.twitter.com/kxIYAE38EV
— ANI (@ANI) January 18, 2018
राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, इसका पालन करेंगे.
We respect the Supreme Court's decision, will abide by it. My department & I will look for a legal provision, if one is possible, after reading SC's decision and then we will move forward: Rajasthan Home Minister Gulab Chand Kataria #Padmaavat pic.twitter.com/W7eW0AMdQQ
— ANI (@ANI) January 18, 2018
कटारिया ने कहा, ‘मेरा विभाग कानूनी प्रावधानों को देखेंगे, यदि संभव हो तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पढ़ने के बाद हम आगे बढ़ेंगे.
वहीं अदालत ने निर्णय पर हरियाणा के स्वास्थय मंत्री अनिल विज ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना ही फैसला सुना दिया. हम फैसले का पालन करेंगे और साथ ही यह भी देखेंगे कि क्या इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है.
Supreme Court gave the decision without listening to our side. Supreme Court is the supreme so will abide by the decision. We will also examine the decision and see if there is a scope of appealing against it: Anil Vij, Haryana Health Minister #Padmaavat pic.twitter.com/XhGluX1kre
— ANI (@ANI) January 18, 2018
गुरुवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर में राजपूत समुदाय के लोगों ने गृह मंत्री रामसेवक पैकरा को मिलकर फिल्म पद्मावत पर प्रतिबंध लगाने को कहा और साथ ही चेतावनी भी दी अगर राज्य में कहीं भी पद्मावत रिलीज़ हुई, तो सिनेमाघरों को आग लगा दिया जाएगा.
Ye antim chetaawni hai usko iss baar khamiyaza bhugatna padega. Maharani Padmavati hamari aan baan shaan ki pratik hai aur agar Chhattisgarh mein film laga to iska khamiaza bhugatna padega. Jahan #Padmaavat chalega wo cinema ghar jalega: Protester pic.twitter.com/qUGsYHymCL
— ANI (@ANI) January 18, 2018
मंगलवार को हरियाणा सरकार के कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था. वहीं 12 जनवरी को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने-अपने राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था.
9 जनवरी को राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने भी राजस्थान में फिल्म रिलीज़ पर प्रतिबंध लगा दिया था. गोवा पुलिस ने भी मनोहर पर्रिकर सरकार को सुझाव दिया था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगनी चाहिए.
यह भी कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी फिल्म पर प्रतिबंध लगेगा, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्म पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और वहीं हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं.
ज्ञात हो कि फिल्म 1 दिसंबर 2017 को रिलीज़ होनी थी, लेकिन लगातार विरोध और विवादों के चलते निर्माताओं द्वारा रिलीज़ की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी. फिर राजपूत संगठन और करणी सेना की धमकियों के बाद सेंसर बोर्ड ने राज घरानों के कुछ सदस्यों के साथ इतिहासकारों का एक पैनल बनाया, जिसने यह फिल्म देखी.
इसके बाद 30 दिसंबर को सेंसर बोर्ड ने फिल्म को यू/ए सर्टिफ़िकेट देते हुए फिल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत कर दिया.
25 जनवरी को रिलीज़ होने वाली इस फिल्म पर राजपूत करणी सेना और तमाम हिंदूवादी के साथ कुछ राजपूत संगठनों ने फिल्म पर आरोप लगाया है कि फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है.
फिल्म में खिलजी और पद्मावती के बीच संबंध दिखाया गया है. हालांकि फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है.
पिछले साल जयपुर और कोल्हापुर में जब फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब करणी सेना के कथित सदस्यों ने इसके सेट पर तोड़फोड़ तथा इसके निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ धक्कामुक्की की थी.
फिल्म में दीपिका पादुकोण राजपूत रानी पद्मावती का किरदार निभा रही हैं, वहीं रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी का रोल कर रहे हैं. शाहिद कपूर फिल्म में राजा रतन सिंह का किरदार निभा रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)