मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में चल रही सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई की मीडिया रिपोर्टिंग पर बचाव पक्ष की अर्ज़ी के बाद रोक लगा दी गई थी, जिसके ख़िलाफ़ पत्रकारों ने याचिका दायर की है.
मुंबई: निचली अदालत द्वारा सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में कार्यवाही की रिपोर्टिंग से पत्रकारों को रोके जाने के खिलाफ दो याचिकाओं पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई और मामले के आरोपियों को नोटिस जारी किया.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे याचिकाओं पर 23 जनवरी को सुनवाई करेंगे.
शुक्रवार को जब ये याचिकाएं सुनवाई के लिए आईं तो सीबीआई के वकील संदेश पाटिल ने कहा कि मुद्दे पर जांच एजेंसी का कोई ‘रुख नहीं’ है. हम तटस्थ हैं. हम इसके बारे में फैसला अदालत पर छोड़ते हैं.’
पाटिल ने यह भी बताया कि इस केस की विशेष सीबीआई कोर्ट में रोज सुनवाई हो रही है और मीडिया रिपोर्टिंग पर लगे बैन के बाद से 30 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है.
ज्ञात हो कि इस मामले की सुनवाई मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रही हैं, जिसने बीते 29 नवंबर को बचाव पक्ष की एक अर्जी के बाद मीडिया को अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से रोक दिया था.
एक याचिका बृहन्मुंबई पत्रकार संघ ने दायर की है और दूसरी याचिका विभिन्न अखबारों और समाचार चैनलों की ओर से नौ पत्रकारों ने दायर की है.
इन याचिकर्ताओं में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया समेत वरिष्ठ पत्रकार नीता कोल्हात्कर, सुनील बघेल, शरमीन हाकिम, सदफ मोदक, रेबेका समेर्वल, नरेश फर्नांडिस, सुनील कुमार सिंह और विद्या कुमार शामिल हैं.
अदालत के इस आदेश को इन पत्रकारों ने ‘गैरकानूनी’ बताते हुए कहा था कि यह मामला लोगों से जुड़ा है और इसमें कई पूर्व पुलिस अधिकारी आरोपी हैं, लिहाजा मामले में मौके पर कवरेज बेहद जरूरी है.
लाइव लॉ के अनुसार याचिकर्ताओं का कहना था कि सीबीआई जज द्वारा बचाव पक्ष की गल रिपोर्टिंग की आशंका पर जल्दबाजी में आदेश दिया गया, जबकि बीते 5 सालों से मीडिया इस मामले की रिपोर्टिंग कर रही है और अब तक गलत रिपोर्टिंग का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
मालूम हो कि 20०5 में हुई सोहराबुद्दीन, उनकी पत्नी कौसर बी व तुलसीदास प्रजापति की हत्या में कथित तौर पर गुजरात पुलिस के अधिकारियों का हाथ था. 23 पूर्व पुलिस अधिकारियों सहित आरोपियों की मुंबई की एक विशेष अदालत में सुनवाई चल रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)