मोदी के मंत्री ने कहा, ‘इंसानों के विकास संबंधी डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से ग़लत’

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलाव की ज़रूरत. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है.

/
केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह और जैव विज्ञानी चार्ल्स डार्विन. (फोटो साभार: फेसबुक/विकिपीडिया)

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलाव की ज़रूरत. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है.

केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह और जैव विज्ञानी चार्ल्स डार्विन. (फोटो साभार: फेसबुक/विकिपीडिया)
केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह और जैव विज्ञानी चार्ल्स डार्विन. (फोटो साभार: फेसबुक/विकिपीडिया)

औरंगाबाद/महाराष्ट्र: केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने दावा किया है कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘वैज्ञानिक रूप से ग़लत है.’ उन्होंने स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव की भी हिमायत की.

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कभी किसी कपि के इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है.

उन्होंने बीते शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘(इंसानों के विकास संबंधी) चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से ग़लत है. स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की ज़रूरत है. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है.’

ऑल इंडिया वैदिक सम्मेलन में हिस्सा लेने मध्य महाराष्ट्र के इस शहर में आए पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘हमारे किसी भी पूर्वज ने लिखित या मौखिक रूप में कपि (वानर) को इंसान में बदलने का ज़िक्र नहीं किया था.’

डार्विनवाद जैविक विकास से संबंधित सिद्धांत है. उन्नीसवीं सदी के अंग्रेज़ प्रकृतिवादी डार्विन और अन्य ने यह सिद्धांत दिया था.

इसके पहले बीते आठ जनवरी को राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा था कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था.

राजस्थान विश्वविद्यालय में एक समारोह को संबोधित करते हुए को देवनानी कहा था कि हम सब ने पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था, लेकिन गहराई में जाने पर पता चलेगा कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से एक हज़ार वर्ष पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था.

उन्होंने कहा था कि हमें अपने स्कूली पाठ्यक्रम में इस तथ्य को क्यों नहीं शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह प्रणाली बाद में आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)