विश्व आर्थिक मंच की बैठक में शामिल होने दावोस जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया गया है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था सभी के लिए काम करती है, न कि सिर्फ़ चंद लोगों के लिए.
दावोस (स्विट्जरलैंड)/नई दिल्ली: भारत में 2017 में कुल संपत्ति के सृजन का 73 प्रतिशत हिस्सा केवल एक प्रतिशत अमीर लोगों के हाथों में है. एक नए सर्वेक्षण से सोमवार को इस तथ्य का खुलासा किया गया. साथ की सर्वेक्षण ने भारत की आय में असामनता की चिंताजनक तस्वीर पेश की.
अंतरराष्ट्रीय राइट्स समूह ऑक्सफेम की ओर से यह सर्वेक्षण दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की शिखर बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
भारत के संबंध में इसमें कहा गया है कि पिछले साल 17 नए अरबपति बने है. इसके साथ अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है. 2017 में भारतीय अमीरों की संपत्ति 4.89 लाख करोड़ बढ़कर 20.7 लाख करोड़ रुपये हो गई है. यह 4.89 लाख करोड़ कई राज्यों के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट का 85 प्रतिशत है.
आॅक्सफेम इंडिया की सीईओ निशा अग्रवाल ने बताया कि यह भयानक स्थिति है कि भारत में आर्थिक विकास का लाभ कुछ लोगों तक ही सीमित होकर रह गया है. उन्होंने कहा, ‘अरबपतियों की बढ़ती संख्या संपन्न अर्थव्यवस्था की नहीं बल्कि कमज़ोर अर्थव्यवस्था के लक्षण को दर्शाती है. जो कड़ी मेहनत कर रहे हैं… फसल उगा रहे हैं… बुनियादी ढांचा विकसित कर रहे हैं… कारखानों में काम कर रहे हैं, वे बच्चों को शिक्षा दिलवाने, परिवार के सदस्यों के लिए दवा ख़रीदने और दो जून की रोटी जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. समाज में इस तरह का विभाजन लोकतंत्र के प्रभाव को घटाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा.’
सर्वे में यह भी दिखाया गया है कि महिलाओं की स्थिति निचले स्तर पर है. दस में से नौ अरबपति पुरुष हैं. भारत में केवल चार महिला अरबपति हैं और उनमें से तीन के पास पैतृक संपत्ति है.
आॅक्सफेम के अनुसार, ‘ग्रामीण भारत में एक कामगार अपनी पूरी ज़िंदगी (तकरीबन 50 साल का काम) में जितना कमाता है उतना कमाने में किसी शीर्ष कपड़ा कंपनी के प्रबंधक को सिर्फ 17.5 दिन लगते हैं.’
वैश्विक स्तर पर यह तस्वीर और भी चिंताजनक है. पिछले साल दुनिया भर में अर्जित की गई संपत्ति का 82 प्रतिशत केवल एक प्रतिशत लोगों के पास है. वहीं, 3.7 अरब लोगों की संपत्ति में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ, जिसमें ग़रीब आबादी का आधा हिस्सा आता है.
ऑक्सफेम के वार्षिक सर्वेक्षण को महत्वपूर्ण माना जाता है और विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा होती है, जहां बढ़ती आय और लिंग के आधार पर असमानता दुनिया भर के शीर्ष नेताओं के बीच प्रमुख बिंदु है.
सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारत की कुल संपत्ति का 58 प्रतिशत हिस्सा एक प्रतिशत अमीर लोगों के पास है. जो कि वैश्विक आंकड़े से भी अधिक है. वैश्विक स्तर पर एक प्रतिशत अमीरों के पास कुल संपत्ति का 50 प्रतिशत हिस्सा है.
ऑक्सफेम इंडिया ने कहा कि 2017 के दौरान भारत के एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति बढ़कर 20.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है.
‘रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ’ शीर्षक से जारी सर्वेक्षण पर ऑक्सफेम ने कहा कि कैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था अमीरों को और अधिक धन एकत्र करने में सक्षम बनाती है और वहीं लाखों करोड़ों लोग ज़िंदगी जीने के लिए मशक्कत कर रहे हैं.
इस सर्वेक्षण में 10 देशों के 70,000 लोगों को शामिल किया गया है.
डब्ल्यूईएफ की बैठक में शामिल होने दावोस जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऑक्सफेम इंडिया ने आग्रह किया है कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था सभी के लिए काम करती है न कि सिर्फ़ चंद लोगों के लिए.
उन्होंने सरकार से श्रम आधारित क्षेत्रों को प्रोत्साहित करके समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने, कृषि में निवेश करने और सामाजिक योजनाओं का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए कहा है.
विश्व आर्थिक मंच की शिखर बैठक में शामिल होने के लिए मोदी दावोस रवाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को दावोस रवाना हो गए जहां वे विश्व आर्थिक मंच की शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे.
प्रधानमंत्री ने रविवार को कहा था कि वह दावोस (स्विट्जरलैंड) में अपने कार्यक्रमों के दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ भारत के भविष्य के संबंधों पर अपना नज़रिया रखेंगे. मोदी यह भी चाहते हैं कि दुनिया के नेता मौजूदा वैश्विक प्रणालियों के समक्ष वर्तमान तथा नई उभरती चुनौतियों पर ‘गंभीरता से ध्यान दें.’
मोदी दावोस में इस बार विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की शिखर बैठक के पहले पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करने वाले है.
मोदी ने दावोस यात्रा पर रवाना होने से पहले कहा था कि भारत का अन्य देशों के साथ संबंधों का हालिया वर्षों में विस्तार हुआ है. दुनिया के देशों के साथ भारत के संबंध ‘वास्तवित रूप से बहुआयामी हुए हैं जिनमें राजनीतिक, आर्थिक, सामान्य जन के स्तर पर, और सुरक्षा तथा अन्य आयाम शामिल हैं.’
मोदी ने अपने ट्वीट में कहा था, ‘दावोस में मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ भारत के भविष्य के संबंधों के बारे में अपनी राय रखूंगा.’
उन्होंने कहा था कि उन्हें वहां स्विट्ज़रलैंड के राष्ट्रपति एलेन बेरसेट तथा स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन के साथ द्विपक्षीय बैठक का इंतज़ार है. मोदी ने कहा, ‘मुझे यक़ीन है कि द्विपक्षीय मुलाकातें फलदायी होंगी और इन देशों के साथ हमारे संबंध तथा आर्थिक सहयोग मज़बूत होगा.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘समकालीन अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और वैश्विक सरकारी ढांचे के समक्ष मौजूदा तथा उभर रही चुनौतियों पर नेताओं, सरकारों, नीति निर्माताओं, कॉरपोरेट तथा सामाजिक संगठनों द्वारा गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है.’
उन्होंने सम्मेलन के मुख्य मंत्र ‘क्रिएटिंग अ शेयर्ड फ्यूचर इन अ फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड’ (बंटी हुए संसार के साझे भविष्य का सृजन) को विचारपूर्ण और उचित बताया था. प्रधानमंत्री का वैश्विक सीईओ के साथ रात्रिभोज का कार्यक्रम है. मंगलवार को वे वैश्विक कारोबारी समुदाय के नेताओं के साथ संवाद करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)