चारा घोटाले से जुड़े तीसरे मामले में दोषी साबित हुए लालू, 5 साल की सज़ा

चाईबासा कोषागार मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी दोषी क़रार देते हुए उन्हें भी पांच साल की सज़ा सुनाई गई है.

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Ranchi: RJD supremo Lalu Prasad Yadav escorted by police officials after being convicted by the special CBI court in a fodder scam case, in Ranchi on Saturday. PTI Photo(PTI12_23_2017_000111B)

चाईबासा कोषागार मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी दोषी क़रार देते हुए उन्हें भी पांच साल की सज़ा सुनाई गई है.

Ranchi: RJD supremo Lalu Prasad Yadav escorted by police officials after being convicted by the special CBI court in a fodder scam case, in Ranchi on Saturday. PTI Photo(PTI12_23_2017_000111B)
फोटो: पीटीआई

रांची: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद राज्य के ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, आरके राणा और विद्या सागर निषाद समेत 50 आरोपियों को बुधवार को यहां सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये का गबन करने के एक अन्य मामले में आज दोषी करार दिया.

मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गयी थी और उन्हें 5 साल की सजा हुई है. लालू पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. चारा घोटाले का ये तीसरा मामला था, इससे पहले दो अन्य मामलों में भी लालू को सजा हो चुकी है. लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी पांच साल की सजा हुई है.

इस ताजा फैसले से चारा घोटाले से ही जुड़े देवघर कोषागार मामले में सजा मिलने के बाद जेल में बंद लालू प्रसाद यादव के रिहा होने की संभावना बहुत धूमिल हो गयी है.

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया और 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने से संबद्ध आरसी 68ए 96 मामले में कुल 56 आरोपियों में से लालू एवं जगन्नाथ मिश्र समेत 50 को दोषी करार दिया जबकि अदालत ने छह लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

अदालत ने दस जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. चारा घोटाले से जुड़ा यह तीसरा मामला है जिसमें लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया है.

पिछले एक माह में आया ऐसा यह दूसरा मामला है. इसके अलावा चारा घोटाले से ही जुड़े एक अन्य मामले में भी फरवरी माह में फैसला आने की संभावना है.

इस बीच लालू के पुत्र एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमत्री तेजस्वी यादव तथा राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद यादव ने आज के मामले में भी लालू को फंसाये जाने की बात कहते हुए उच्च न्यायालय और आवश्यक होने पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.

लालू के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में सजा के बिंदुओं पर भी अदालत ने सुनवाई कर ली है और अदालत का सजा पर फैसला दोपहर दो बजे के बाद आने की उम्मीद है.

सीबीआई की विषेष अदालत में चाईबासा कोषागार से जुड़े इस दूसरे मामले में गत दस जनवरी को बहस पूरी हो गयी थी. इससे पूर्व छह जनवरी को रांची में ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने लालू यादव को देवघर कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में साढ़े तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी.

इस मामले में अब तक जमानत न मिल पाने से लालू यादव यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं. वहीं आज के चाईबासा कोषागार से जुड़े इस मामले में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्र समेत सभी राजनीतिज्ञों एवं प्राशासनिक अधिकारियों को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत भी दोषी ठहराया है जो आधिकारिक पद पर रहते हुए उसका दुरुपयोग कर अपराध करने पर आरोपी पर लगायी जाती है.

इस धारा में दोषी ठहराये जाने के चलते लालू यादव को इस मामले में देवघर कोषागार से अधिक सजा मिलने की आशंका है.

इससे पहले चाईबासा कोषागार से ही गबन के एक अन्य मामले में लालू को वर्ष 2013 में पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है, जिस मामले में वह उच्चतम न्यायालय से जमानत पाकर रिहा हो चुके हैं.

चारा घोटाले का घटनाक्रम

अविभाजित बिहार सरकार में 1996 में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का खुलासा हुआ. वर्ष 2000 में बिहार से अलग कर झारखंड राज्य के गठन के बाद 61 में से 39 मामले नए राज्य में हस्तांतरित कर दिया गया.

मामले में 20 ट्रकों पर भरे दस्तावेज़ थे. मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने 23 दिसंबर को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को दोषी करार दिया गया.

घटनाक्रम इस प्रकार है:

जनवरी, 1996: चाईबासा के उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग में छापेमारी की जिसके बाद चारा घोटाले का खुलासा हुआ.

मार्च, 1996: पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से चारा घोटाले की जांच करने को कहा. सीबीआई ने चाईबासा (अविभाजित बिहार में) कोषागार से अवैध निकासी मामले में प्राथमिकी दर्ज की.

जून, 1997: सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया, लालू प्रसाद को आरोपी के तौर पर नामज़द किया.

जुलाई, 1997: लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया, राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया. सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया. न्यायिक हिरासत में भेजे गए.

अप्रैल, 2000: राबड़ी को भी मामले में आरोपी बनाया गया लेकिन उन्हें ज़मानत दे दी गई.

अक्टूबर, 2001: उच्चतम न्यायालय ने बिहार के विभाजन के बाद मामला झाारखंड उच्च न्यायालय को हस्तांतरित किया.

फरवरी, 2002: झारखंड में विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई.

दिसंबर, 2006: पटना की एक निचली अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू और राबड़ी को बरी किया.

मार्च, 2012: लालू और जगन्नाथ मिश्रा के ख़िलाफ़ आरोप तय किए गए.

सितंबर, 2013: एक दूसरे चारा घोटाला मामले में लालू, मिश्रा और 45 अन्य दोषी क़रार दिए गए. लालू को रांची की जेल में भेजा गया और लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया, चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई.

दिसंबर, 2013: उच्चतम न्यायालय ने लालू को ज़मानत दी.

मई, 2017: उच्चतम न्यायालय के आठ मई के आदेश के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई. उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत से देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उनके ख़िलाफ़ अलग से मुकदमा चलाने को कहा.

23 दिसंबर, 2017: सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू सहित 16 अन्य को दोषी क़रार दिया. लालू को अब तक छह में से दो मामलों में दोषी क़रार दिया जा चुका है.

6 जनवरी, 2018:  विशेष सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा सुनाई. लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये के जुर्माने एवं बिहार के पूर्व मंत्री आरके राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा मिली.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)