इससे पहले ओडिशा के कोरापुट में एक आदिवासी लड़की ने कथित बलात्कार के बाद आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है.
भुवनेश्वर: राज्य के माओवाद प्रभावित ज़िले कोरापुर में एक आदिवासी लड़की से कथित तौर पर बलात्कार और फिर उसकी ख़ुदकुशी का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि खुर्दा ज़िले में एक अन्य बलात्कार पीड़िता द्वारा आत्महत्या करने की घटना सामने आई है.
आरोप है कि खुर्दा ज़िले में इस बलात्कार पीड़िता ने पुलिस की कथित निष्क्रियता एवं न्याय नहीं मिलने की वजह से ख़ुदकुशी कर ली.
यह घटना बीते बुधवार रात को हुई. पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बानापुर थाने के सुआनपदिया गांव में उसी गांव के एक युवक ने दसवीं कक्षा की छात्रा से पिछले साल 31 दिसंबर को कथित तौर पर बलात्कार किया था.
लड़की के परिवार वालों ने ग्रामीणों से सलाह-मशविरा कर दो जनवरी को बानापुर थाने में युवक के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी.
बानापुर थाने के बाहर इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों में से एक कल्पना मोहंती ने कहा कि पुलिस ने कथित तौर पर आरोपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की, जिस कारण लड़की को ख़ुदकुशी जैसा क़दम उठाना पड़ा.
खुर्दा की एसपी दीप्ति रंजन रॉय ने कहा, ‘हम एक से दो दिन के भीतर निश्चित तौर पर आरोपी को गिरफ्तार कर लेंगे. अगर कुछ पुलिस अधिकारी लापरवाही बरतते हुए पाए जाते हैं तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.’
पुलिस ने ग्रामीणों को आरोपी के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है.
कोरापुट में आदिवासी लड़की की आत्महत्या मामला: मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट मांगी
उधर, राज्य कोरापुट ज़िले के कुंदुली में एक आदिवासी नाबालिग लड़की द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले पर ओडिशा मानवाधिकार आयोग (ओएचआरसी) ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से एक पखवाड़े के भीतर रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तीन महीने पहले लड़की ने दावा किया था कि पिछले साल 10 अक्टूबर को वर्दी पहने चार लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था जिसके कुछ दिन बाद लड़की ने बीते 23 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी.
पुलिस ने बताया था कि कक्षा नौ में पढ़ने वाली लड़की ने कथित तौर पर घर में फांसी लगा ली थी. उस वक्त घर कोई नहीं था.
रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले भी लड़की ने आत्महत्या की कोशिश की थी. इसके इतर ओडिशा पुलिस के ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन सेले ने ओडिशा मानवाधिकार आयोग को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ है, लेकिन लड़की अपने दावे पर कायम रही थी कि उसके साथ बलात्कार हुआ है.
बहरहाल, आत्महत्या पर चिंता जाहिर करते हुए आयोग के कार्यकारी प्रमुख न्यायाधीश बीके मिश्रा ने कहा कि याचिका की प्रतियां और अन्य काग़ज़ात मुख्य सचिव और डीजीपी को उपलब्ध कराए जाएं.
आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी से यह भी जानना चाहा कि कथित बलात्कार की घटना के बाद राज्य द्वारा पीड़िता और उसके परिवार को क्या सहायता दी गई.
ओएचआरसी ने इस मामले की अगली सुनवाई नौ फरवरी को तय की है.
इस 14 वर्षीय आदिवासी लड़की को न्याय दिलाने मांग को लेकर बीते 24 जनवरी को कांग्रेस और भाजपा ने ओडिशा में अलग-अलग बंद का आह्वान किया था, जिससे राज्य भर में जनजीवन प्रभावित हुआ था.
बंद की वजह से राज्य के कटक, पुरी, ब्रह्मपुर, संबलपुर, बालेश्वर, भद्रक, राउरकेला, सुंदरगढ़, झारसुगुड़ा, बारगढ़, जगतसिंहपुर, जाजपुर, केंद्रपाड़ा और कोरापुट प्रभावित रहे.
भाजपा ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने के साथ ही दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा देने की मांग की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)