यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सिथ का कहना है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत के गांवों में अब भी हमले हो रहे हैं.
कुटुपलोंग (बांग्लादेश): संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि ऐसा लगता है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हमले अब भी जारी हैं और बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों में रह रहे लाखों लोगों के लिए घर लौटना अभी सुरक्षित नहीं है.
यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सिथ ने कुटुपलोंग शरणार्थी शिविर के दौरे के दौरान कहा था कि कई रोहिंग्या अंतत: म्यांमार में अपने गांवों को लौटना चाहते हैं. लेकिन उन्हें अभी लौटना पड़े तो उन्हें अपनी सुरक्षा का डर लगता है.
उन्होंने कहा, ‘लौटने के लिए स्थिति सुरक्षित नहीं है. मैंने एक युवती से बात की जो फोन पर रखाइन में अपनी रिश्तेदार से बात कर रही थी. वहां आज भी गांवों पर हमले हो रहे हैं.’
फोर्सिथ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब न्यू मेक्सिको प्रांत के पूर्व गवर्नर बिल रिचर्डसन ने इस संकट पर बने एक परामर्श पैनल से अचानक इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इस पैनल को म्यांमार नेता आंग सान सू ची को बढ़ावा देने और संकट पर पर्दा डालने का काम करने वाला बताया था.
म्यांमार और बांग्लादेश द्वारा हस्ताक्षर किए गए समझौते के तहत रोहिंग्या को धीरे-धीरे वापस देश भेजने की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू होने वाली थी लेकिन बांग्लादेशी अधिकारियों ने आख़िर समय में इस प्रक्रिया को रोक दिया.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा और शरणार्थियों के स्वेच्छा से लौटने पर उठ रहे प्रश्नों के मद्देनज़र इस प्रक्रिया के लिए थोड़ा और वक़्त चाहिए.
गौरतलब है कि बांग्लादेश का म्यांमार के साथ समझौता हुआ है जिसके तहत अक्टूबर 2016 से आए कम से कम से 7,50,000 शरणार्थियों को अगले दो वर्ष में स्वदेश भेजा जाना है. यह प्रक्रिया अगले सप्ताह से शुरू की जानी है.
लेकिन बेहद कठिन परिस्थितियों में रह रहे रोहिग्यांओं ने कहा है कि घरों पर हमले, हत्या और बलात्कार जैसे अत्याचारों के बाद घर छोडकर भागने के बाद वह रखाइन लौटना नहीं चाहते.
बता दें कि बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की है, जो पिछले अनुमान से कहीं ज़्यादा है. रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की तैयारियों के बीच बांग्लादेश की पंजीकरण परियोजना के प्रमुख ने बीते बुधवार को यह जानकारी दी.
बांग्लादेश की थलसेना ने पिछले साल म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के देश में दाख़िल होने के बाद इन शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया था.
म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)