बीते शनिवार को शोपियां ज़िले में सेना की गोलीबारी के दौरान दो आम नागरिकों की मौत हो गई थी.
श्रीनगर/जम्मू: जम्मू कश्मीर पुलिस ने शोपियां ज़िले में बीते शनिवार को हुई गोलीबारी की घटना में शामिल सेना के जवानों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है. गोलीबारी में दो नागरिक मारे गए जबकि नौ अन्य जख़्मी हो गए थे.
बता दें कि गोलीबारी के दौरान जावेद अहमद भट और सुहैल जावेद लोन घायल हो गए थे, जिनकी बाद में मौत हो गई. इस घटना को लेकर सोमवार को जम्मू कश्मीर विधानसभा में हुए हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष को प्रश्न काल स्थगित करना पड़ा ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके.
केस दर्ज होने की जानकारी देते हुए पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दर्ज किया गया है. प्राथमिकी सेना के 10, गढ़वाल इकाई के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ दर्ज किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि एफआईआर में उस मेजर के नाम का भी ज़िक्र है जिसने घटना के समय सेना के जवानों का नेतृत्व किया था.
शोपियां के गानोवपुरा में पथराव करने वाली भीड़ ने जब सेना के काफिले को निशाना बनाया तो सेना की जवाबी गोलीबारी में दो युवक कथित तौर पर मारे गए और नौ अन्य जख़्मी हो गए.
महबूबा मुफ़्ती की सरकार ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और 20 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है. वहीं रक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं.
जम्मू कश्मीर विधानसभा में शोपियां की घटना पर हंगामा, प्रश्नकाल स्थगित
शोपियां जिले में कथित तौर पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में दो आम नागरिकों की मौत हो लेकर जम्मू कश्मीर विधानसभा में सोमवार को हुए हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष को प्रश्न काल स्थगित करना पड़ा ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके. घटना शनिवार की है.
विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता से अनुरोध किया कि वह चर्चा की अनुमति दें, जिसके बाद प्रश्न काल को स्थगित करना पड़ा.
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा, ‘जो कुछ भी हुआ (शोपियां में) वह दुर्भाग्यपूर्ण है… कुछ सदस्य इस पर चर्चा चाहते हैं. चर्चा होनी भी चाहिए. चर्चा की अनुमति देना सदन का अधिकार है.’
सोमवार सुबह सदन के एकत्र होते ही नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और माकपा के सदस्य खड़े हो गए. उन्हें सत्तारूढ़ पीडीपी के शोपियां से विधायक मोहम्मद युसूफ़ भट और सोनावर मोहम्मद अशरफ़ भट का भी समर्थन था.
सदस्य वर्तमान कानून व्यवस्था पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाए. उनके हाथों में शोपियां घटना की तस्वीरें थी.