एक वीडियो वायरल हुआ है. जिसमें कुछ छात्र भाजपा को वोट न करने की शपथ लेते हुए दिखाई दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह वीडियो मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले के एक शिक्षण संस्थान का है.
मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनावी घड़ी नजदीक आ रही है, राज्य की भाजपा सरकार के सामने नई-नई चुनौतियां उभर कर आ रही हैं. हालिया विवाद होशंगाबाद जिले के इटारसी का है. एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक शिक्षण संस्थान के छात्रों ने आगामी चुनावों में भाजपा को वोट न करने की शपथ ली है.
समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा जारी वीडियो में छात्र कहते नजर आ रहे हैं, ‘जब तक भारतीय जनता पार्टी ऑनलाइन परीक्षा बंद नहीं कर देती तब तक मैं भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं दूंगा. न ही भारतीय जनता पार्टी के किसी कार्यकर्ता का कोई सहयोग करूंगा. मैं ये भी शपथ लेता हूं कि 24 घंटे के भीतर कम से कम तीन लोगों को मैं इस तरह की शपथ के लिए प्रेरित करूंगा. साथ ही मैं अपने ग्राम के और अपने क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी के भ्रष्टाचार, अन्याय के बारे में लोगों को जागरूक करूंगा.’
पत्रिका की खबर के अनुसार, वीडियो वायरल होते ही भाजपा पदाधिकारी सक्रिय हो गये और खोजबीन पर पता चला कि मामला इटारसी के विजयलक्ष्मी इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का है. यह वीडियो गणतंत्र दिवस के दिन बनाया गया है.
वहीं नई दुनिया की खबर के अनुसार, इस तरह की शपथ सिर्फ होशंगाबाद के इटारसी में ही नहीं, बल्कि प्रदेश के और भी हिस्सों में ली गई है. जिसके अलग-अलग वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं.
हालांकि भाजपा नेता इसे विपक्ष और शिक्षा माफियाओं की कारस्तानी ठहराकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. एनडीटीवी से बातचीत में भाजपा प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं, ‘जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें तकनीकी संस्थान के विद्यार्थी हैं. परीक्षा लेना एक संस्था का काम है और वही संस्था तय करती है कि परीक्षा कैसे लेनी है! आशंका है कि इसके पीछे कांग्रेस या शिक्षा माफिया का हाथ हो सकता है. पुलिस इसकी जांच करेगी.’
#WATCH Teachers of Vijaylaxmi Industrial Training Institute in Itarsi ask students to take pledge not to vote for BJP in the upcoming elections & support it in any manner until it stops online examinations #MadhyaPradesh (26.01.18) pic.twitter.com/PY3S721Mbq
— ANI (@ANI) January 28, 2018
वहीं एनडीटीवी से ही बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और तकनीकी विशेषज्ञ मुकेश यादव कहते हैं, ‘राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं, जहां कंप्यूटर ही नहीं हैं. लिहाजा विद्यार्थी कंप्यूटर के जरिए परीक्षा देने में कैसे सक्षम होंगे! यह सीधे तौर पर विसंगति है. शहरी छात्र जहां कंप्यूटर फ्रेंडली होते हैं, वहीं ग्रामीण बच्चे कंप्यूटर को जानते ही नहीं हैं. इसी बात से हर कोई परेशान है.”
हालांकि इस सबके बीच संस्थान के संचालक के के तिवारी इसे उनकी गैर मौजूदगी में किया गया विघार्थियों का कृत्य ठहरा रहे हैं.
गौरतलब है कि भाजपा का इस तरह का अनोखा विरोध पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले गुजरात में व्यापारियों ने अपने बिलों पर ‘मेरी भूल कमल का फूल’ छपवाकर अपना विरोध दर्ज कराया था, तो वहीं पिछले दिनों एक संविदा शिक्षक ने अपने शादी के कार्ड पर भी यही स्लोगन छपवाया था. मध्य प्रदेश के ही सागर जिले में संविदा स्वास्थ्यकर्मी भी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर वाहनों पर इसी स्लोगन का स्टीकर लगाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं.